कवि ललित कुमार झा – मैथिली एवं हिन्दीक विभिन्न रचना संग्रह प्रकाशित, वर्तमान गुआहाटी मे प्रवास, साहित्यानुरागी एवं समाजसेवी तथा अभियानी।
कविक परिचय आ प्रकाशित पोथीक विवरण एहि फोटो मे स्पष्ट दर्शित अछि।
साहित्यक सेवाक संग-संग अपने भाषा एवं संस्कृति प्रति सेहो समाज केँ जाग्रत रखबाक अभियान मे निरंतर योगदान दैत आबि रहल छी। गुआहाटी मे मैथिली साहित्यानुरागी युवा पुस्ता केँ सेहो भरपूर प्रोत्साहन आ समुचित संरक्षण दैत मैथिली जिन्दाबाद कय रहल छी।
अपनेक आजुक एक रचना जे व्हाट्सअप पर आयल, बस पाठक केर स्वाद लेल राखि रहल छी।
अंग परिवर्तन
(हास्य काव्य)
सोचू एहन परिवर्तन महान,
अंग सभ बदलए स्थान।
ककरो आँखि होइत आंगुर मे,
ककरो रहैत अन्य स्थान॥
भुड़की बाटे आंगुर ध’ क’
झाँकि सकइत घरक अंदर।
जकर नाक पोन्ह पर रहैत,
तकर जीवन केहन भयंकर॥
जकर मुँह हाथ मे रहैत,
से सभ हथमुँहा कहाइत।
जकर मुँह पीठ पर रहैत,
ओ बुझू भूखे टटाइत॥
आरो अंगक जगह बदलि क’
सोचि-सोचि ठिठिआउ त’।
कल्पनाक सागर मे गोता लगाउ त’॥