विचार आलेख
– राम बाबु सिंह, मधेपुर (कलुआही), मधुबनी
एखन गाम घर में उत्सव जेका वातावरण अछि कारण एकटा चैती दुर्गापूजा के धूमधाम दोसर मुखिया चुनावक। विगत किछ वरख सँ मुखिया चुनाव के उमीदबारी में सेहो धन बल के पर्याप्त जोर रहए। स्थिति एहन अछि कि जे कनिको स्वयं के सोझगर बुझैत छथि चुनावी दंगल पर ठाड़ भेल छथि। एकटा गाम स एगो आध गो नै लगभग सबटोला सँ ठाड़ भेल छथि आ कोनो कोनो टोला सँ दू दूटा व्यक्ति ठाड़ छथि।
लोकतन्त्र में हमरा सब के अधिकार देल गेल अछि तें किनको मनाही नै छै। नामांकन पत्र संगहि 1000/- रुपैया जमानत राशि जमा कय कियो ठाड़ भ सकए। ठाड़ भेल व्यक्ति में स बहुतो के मुखिया के पद आर काज प्रणाली संगहि अधिकार के विषय में कोनो जानकारी नै छन्हि। शौकिया तौर पर सेहो ठाड़ छथि नै किछ त लोक नाम जानि जएत दोसर वर्चस्व देखेबाक सेहो रेस लागल अछि।
कुमार विश्वास के लिखल एकटा पँक्ति आजुक परिदृश्य में सटीक कहि सकय छी-
“मन्च जबसे अर्थदायक बन गए है
तोतला भी गितगायक बन चुके है।
राजनीती इस कदर गिरने लगी है,
जेबकतरे भी विधायक बन गए है॥”
स्पष्ट रूप सँ हमर आशय ई अछि कि लोकतन्त्र में एखन लोक के स्थान कतौ नै अछि आ तन्त्र में पद पर बैसल बाबू लोकनि अपन अधिपत्य कय लोकतन्त्र के वास्तव उद्देश्य सँ भटका देने छथि। लोक रोजी रोटी रोजगार के साधन बूझि गेलखिन्ह जखन कि पंचायती राज के अतंर्गत गाम घर स जुड़ल समस्या के मुखिया राज सरकार के बिच कड़ी के काज करै छथि। सरकारी योजना के गाम में निक जेका योजना के सुचारू ढंग स जनहित में लागु कएनाइ हिनकर प्रमुख जिम्मेदारी होय छन्हि।
मतदान के माध्यम सँ जितल व्यक्ति के पहिल जिम्मेदारी मतदाता के समस्या क निदान निक जकाँ करबाक चाहि। निस्वार्थ सेवा भावना मुखियाक पहिल प्राथमिकता होबक चाहि। मुदा एखन जे व्यक्ति चुनाव में अन्धाधुन्ध रुपैया खर्च करै छथि हिनका सँ ईमानदार प्रयास निस्वार्थ भाव सँ बईमानी बुझु किएक जे खर्च करताह पहिने अपन जेबी भरि चुनाव में भेल खर्च के बराबर करताह फेर अपन फायदा पहिने बाद में दोसर आर कोनो काज पर ध्यान देताह।
चुनाव में उमीदबार के पहिने जाँचु परखु जेना हिनकर विगत समय में कयल गेल काज, समाजिक काज में योगदान, हिनकर बात व्यव्हार संगहि योग्यता किछ सूक्ष्म जानकारी भेलाक बाद अपन पसंद के व्यक्ति के मतदान करू। प्रलोभन में मतदान जुनि करब नै त चुनाव पश्चात पछतेबा के अलावा किछू नै भेटत। अपने सब सँ आग्रह अछि चुनाव में अपन मताधिकार के प्रयोग अवश्य करब मुदा निक सच्चा ईमानदार हुए चाहे उमीदबार आर्थिक रूप स समर्थ हुए आ असमर्थ।