विशिष्ट व्यक्तित्वक परिचयः हलधर नाग, ओडिशी कवि
आलेखः अखिलेश दीक्षित (मूल हिन्दी मे)
अनुवादः प्रवीण नारायण चौधरी (पोस्ट स्रोतः संजीव सिन्हा, दिल्ली)
निश्चित तौर पर अहाँ सब मे सँ बहुते लोक हिनका जानैत होयब। हमहुँ हिनका ताबत धरि नहि जनैत छलहुँ जाबत धरि ई पद्मश्री सँ अलंकृत नहि भऽ गेलाह। अहाँकेँ पता होयत जे किछुए दिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा देश केर सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री तथा पद्मभूषण सँ किछेक हस्ती सब केँ सम्मानित कैल गेल। एहि हस्ती सब मे सँ एकटा छलाह उड़ीसाक कवि ६६ वर्षीय “हलधर नाग” जिनका बारे मे नहि तँ बेसी बात टीवी पर आयल आर नहिये अहाँ केँ सोशल मीडिया पर बेसी किछु पढबाक लेल भेटल।
हलधर नाग एक गरीब परिवार सँ अबैत छथि, आर ई तीसरा कक्षा धरि मात्र पढ़ाइ कय पढब छोड़ि देने छथि। ओ बामोस्किल स्कूल गेलाह लेकिन अहाँ विश्वास नहि करब जे ओ आइ पीएचडी कएनिहार छात्र सबहक सबजेक्ट केर लिस्ट मे हमेशा शामिल रहैत छथि। हिनकर नाम पर पांच थिसिस दर्ज अछि आर जल्दिये ओ उड़ीसा स्थित संबलपुर यूनिवर्सिटी केर सिलेबस केर हिस्सा हेता।
हलधर नाग केँ अपन सब कविता आर एखन धरि लिखल गेल २० महाकाव्य कंठस्थ छन्हि। हमेशा खालिये पैरे आर मात्र एकटा धोती आ गंजी पहिरयवला हलधर नाग केर पास कोनो डिग्री नहि अछि, मुदा आइ हुनकर कविता सबपर शोध करैत छात्र सब डिग्री प्राप्त कय रहला अछि। मूल रूप सँ कोस्ली भाषा मे कवितादि लिखनिहार हलधर नाग १९९० सँ लेखन कय रहला अछि।
आब ई सब हम एतय एहि लेल शेयर कय रहल छी जे किछु लोक केँ लगैत छन्हि जे सबटा ज्ञान स्कूल केर किताबहि टा मे निहित रहैत अछि। जे जतेक बेसी डिग्री अर्जन करैत रखने छथि, ओ ओतेक बड़का ज्ञानी छथि। कम सँ कम हलधर नाग जेहेन लोक एहि मिथक केँ गलत साबित करबाक लेल एक बेहतरीन उदाहरण छथि। कियैक तऽ जखन तुलसी, रहीम और कबीर केर उदाहरण देल जाएत छल तऽ वैह लोक सब आधुनिक समय केर दुहाई दैत छलाह। आब हलधर नाग तऽ औझके समय मे छथि। ताहि लेल “सिर्फ स्कूल टा ज्ञान प्राप्ति केर साधन थीक”, एहि मिथक केँ तोड़बाक लेल हिनका सँ बेहतरीन उदाहरण कियो आर नहि भऽ सकैछ।