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समाजक इच्छा कि?

राम विलास राम केर एकमात्र पुत्र फूलबाक बियाह सांगी चमरटोलीक सुप्रसिद्ध साहुकार जोखन रामक सुपुत्री संग धुमधाम सँ संपन्न भेलैक। लेनदेनक पराकाष्ठा गामक लोक देखलक। एहि सँ पहिने राम विलासक परिवार मे केकरो एतेक बढियां साँठ उपहार नहि भेटल छलैक। फूलबा बिहार सरकारक नवका योजना नियोजित शिक्षक बनि गेल छल आ राम विलासक मेहनैत काज आबि गेल छलैक। पंचायत शिक्षा समिति केँ भरपूर पाइ खुआकय ओ बेटा केँ सरकारी नोकरी मे स्थान दिया देने छलैक। राम विलास कम मेहनती नहि छल – लगभग सबटा हटिया पर अपन दोकान लगबय, जुत्ता-चप्पल सिनाय आ पालिश केनाय सँ लैत नवका जुत्ता-चप्पल सेहो बेचय। ओ अपन मेहनैतक कमाइ सँ ३ गो बेटी आ २ गो भतीजी केँ नीक घर-वर मे बियाह करबाक एकटा रेकर्ड बनेने छल। आइ जखन एकलौता बेटाक बियाह केलक तऽ समैध तगड़ा ताकि कय – सरकारी नोकरी वला लड़का केँ दहेजक माँग मिथिला मे सब ठाम बहुते छैक। नियोजित शिक्षक भेल तऽ कनी कम-शम मुदा सरकारी चपरासियोक माँग ओतेक होइत छैक, तखन शिक्षक केर माँग तऽ स्वाभाविके बेसी हेतैक। राम विलासक अंगनावालीक सेहो बहुते इच्छा सब छलैक। पड़ोसी राम बुझन यादव जे राम विलासक मीत सेहो छलैक तेकर बेटा बम्बइये सँ सबटा ठीकठाक कय गाम सँ बियाह केलकैक तऽ एक सँ बढिकय एक व्यवहार केने छलैक। ई गप राम विलासक अंगनावालीकेँ बहुते रास शख घर कय देने रहैक। राम बुझनक बेटा बम्बइ सऽ हवाइ जहाज मे पटना तक आ तेकर बाद बोलेरो गाड़ी लऽ के आबैत छलैक गाम। जते दिन धरि ओ गाम मे रहैक ततेक दिन तक सौंसे कच्ची रस्ता बोलेरो सँ धंगा जाइत छलैक। बियाह मे अगबे उजड़ा रंगक बोलेरो मे बरियाती गेल छलैक। एहेन आरो कतेक रास बात सब राम विलासक अंगनावालीक दिमाग मे छलैक। राम बुझनक बेटा बम्बइ मे काज कि करैत छैक – ओ बड पैघ कंपनीक मैनेजर छैक, लेकिन ताहि बात सँ अनभिज्ञ एक ग्रामीण महिला अपन बेटाक बियाह मे ओतबे शख पूरा करय लेल लालायित छल। नित्य अपन घरवाला केँ कान फूकैत रहैत छल, आ अन्तो-अन्त तक राम विलास दिमाग लगा लेलक जे घरवालीक लिलसा कोना पूरा करत, आइ परिणाम सोझाँ मे छैक। अंगनावालीक दुनू पैर बुझू जे अकाशे ठेकल छैक। खन अय घर – खन ओय घर! कनिया देखयवाली सबहक लाइन लागल छैक अंगना मे, फूलबाक कनिया एहन सुन्नरि आ कि नहि सुन्नरि ई चर्चा कतहु नहि मुदा साँठ मे जे पेटी, संदूक, टेलिविजन, मोटरसाइकिल, कोच, सोफा, गद्दा, सीरक, साड़ी आ कपड़ा-लत्ता सब आयल छैक तेकरे चर्चा चारूकात भऽ रहलैक अछि। समाज मे त्यागक चर्चा कम आ आमदक चर्चा खूब होइत छैक। ओतहि बगल मे कतेको परिवार अपना केँ दहेज मुक्त मानि घर मे पुतोहु अनलक आ साधारण लेन-देन भेल उपहार छलैक तऽ ओहि लेल समाज मे चर्चाक विषय नहि बनलैक। मुदा आइ केकरो घर मे कोनो बेटीवला अपन स्वेच्छा या अनिच्छा चाहे जेना भी खूब देलकैक तेकरा लेल समाजक हरेक वर्ग द्वारा वाहवाह कैल जा रहल छैक। सरकारी नोकरी आ प्राइवेट नोकरी – रोजगार दुनू एक्के रंग छैक। लेकिन समाजक दृष्टिकोण मे सरकारी माने काज करू वा नहि करू, पाइ भेटबे करत, नोकरियो कियो नहि खा सकैत अछि। नियोजिते छी ताहि सँ कि, आन्दोलन होइते छैक, आइ न काल्हि परमानेन्ट आ उचित वेतनमान भेटबे करतैक। पहिने बड़का लोक मे बड़-बड़ दाबी छलैक, आब बड़का सब अछि। कियो केकरो सँ कम नहि। समाज जाहि दिशा मे जा रहल अछि एकरा मनमाना कही तैयो अतिश्योक्ति नहि होयत। केकरो हँटयवला आ बुझाबयवला कियो नहि। जँ कियो कतहु किछु बाजल आ कि झौं-झौं करैत ओकरा चुप करा देल जाइत छैक। अकबाल आ हुकुमत केकरो नहि चलैत छैक। समाजिक पंचायत तक समाप्त भऽ रहलैक अछि। अप्रत्यक्ष शासन थानाक चलैत छैक। राजनीति करनिहारक तूती बजैत छैक। वोट बैंक राजनीति – जातिवादी वोटक ध्रुवीकरण, जेकर लाठी, ओकरे महिस! ई थीक वर्तमान मिथिला समाज। हरि: हर:!!

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