इतिहास बचेबाक सार्वजनिक अपील
– पंडित भवनाथ मिश्र, मिथिलाक्षर लिपिकेर पुरालेखविद्
पंडित भवनाथ बाबु वर्तमान समय महावीर मन्दिर, पटना मे प्रकाशन तथा शोध अधिकारी केर पद पर कार्यरत छथि। समय-समय पर मिथिलाक पुरातन आलेख आदि पर हिनक विचार सँ आम मैथिल जनमानस लाभान्वित होएत रहल अछि, कम सँ कम सरोकारवाला मैथिल जिज्ञासू व मुमुक्षु लेल हिनकर बात अनुसंधान, संरक्षण तथा संवर्धन लेल प्रेरित करैत हम स्वयं अनुभूति करैत आबि रहल छी। पंडित मिश्र एकटा कुशल अध्येता, शोधकर्ता आ विचारक सेहो छथि। शास्त्र-पुराण आदिक नीक अध्ययन सँ समय-समय पर हमरा सब केँ प्रेरणादायक विचार केर लाभ दैत आयल छथि। हालहि हिनका द्वारा एकटा अत्यन्त गंभीर प्रकृतिक अपील फेसबुक मार्फत आयल अछि। हिनका हिसाबे सेहो आ यथार्थतः मिथिलाक्षेत्रक लौकिक व्यवहार मे देखल जायवला त्रुटि पर ध्यान जाएत ई देखल जाएत अछि जे हमरा लोकनि ऐतिहासिक अभिलेख – प्राचीन शिलालेख आदिक सुरक्षित रखबा पर ध्यान नहि दैत छी, उल्टे ओकरा मेटेबाक आ नोकसान पहुँचेबाक कार्य अज्ञानतावश कय बैसैत छी। अतः भवनाथ बाबुक किछु विचार पर आरो बेसी लोकक ध्यानाकर्षण होइक ताहि लेल हुनकर अपील केँ मैथिली जिन्दाबाद पर सेहो राखि रहल छी।
भवनाथ बाबुक विचारः
मिथिलाक इतिहासक ठोस साक्ष्य शिलालेख लोकक उपेक्षाक कारणें खराब भए रहल अछि। तिलकेश्वर मठक ई शिलालेख एकर साक्ष्य अछि। गाम-गाममे पोखरिक घाटक रूपमे व्यवहार कएल गेल पाथरकें उनटाओल जाइत अछि तँ पैघ पैघ आ महत्त्वपूर्ण शिलालेख भेटैत अछि। हालहि मे देकुली मे एहने एकटा पाथर भेटल अछि। मन्दिरक दिवार पर लगाओल गेल कतेको लेख चून सँ पोति देल गेल अछि।
हमरा सभक दायित्व थिक जे एकरा संरक्षित करी जाहिसँ हमर मिथिलाक वास्तविक इतिहास सोझाँ आबि सकए। नहिं तँ खिस्से-पिहानी कें हमरालोकनि इतिहास रूपमे प्रस्तुत करैत गौरवान्वित होइत रहि जाएब।