बिहार दिवस मिथिलावासी केँ कोना उत्साहित करत?

सन्दर्भ बिहार दिवस

bihar's false pride२२ मार्च – १९१२ – बंग प्रान्त सँ बिहार प्रान्त केर स्वतंत्र अस्तित्व ब्रिटिश राज भारत मे आयल। ताहि सँ पहिने बिहार सूबा केर रूप मे मुगलकालीन नबाब द्वारा नामित होयबाक साहित्यिक-भौतिक पूर्वाधार भेटैत अछि। बिहारक सूबा मे उत्तर क्षेत्र तैयो स्वतंत्र राज केर पहिचान सँ सुसम्पन्न रहल आर बाकी बिहार सँ अलग एहि लेल सेहो रहल जे गंगाक उत्तर हिमालय धरिक क्षेत्र मे गैर हिन्दू आक्रमणकारी केँ स्वीकार करब कठिनाहे नहि असंभव सेहो छल। मुदा आखिरकार बंग केँ तोड़ि एहि अजेय भागक सांस्कृतिक अखण्डता केँ भंग करबाक षड्यन्त्रक जीत भेल। गोटेक भावुक स्रष्टा-सर्जक लोकनि सेहो ‘बिहार’ नाम्ना बहुसांस्कृतिक-बहुधार्मिक-बहुभाषिक आर परतंत्र भारत केँ सर्वाधिक आवश्यक अवयव स्वतंत्रता लेल ताहि समयक सर्वाधिक सान्दर्भिक एकजुटता लेल ‘हिन्दी क्षेत्र’ केर रूप मे देशक स्वतंत्रता संग्राम मे हिस्सेदारी देबाक लेल ‘स्वत्व’ केर त्याग करबाक एकटा अत्यन्त विलक्षण मुदा अदूरदर्शी कार्य भेल।

सुगौली संधि सँ पहिनहि मिथिला केँ दुइ देश मे ओहिना बाँटबाक कार्य कैल जा चुकल छल जेना कि आन संस्कृति केँ बहुत बाद मे आबिकय पाकिस्तान, बांग्लादेश आ काश्मीर केर रूप मे कैल गेल। मिथिलाक्षेत्रक लोक ओतेक पहिने १८१४-१६ मे दुइ देशक बीच बँटाकय मैत्रीपूर्ण हिन्दू राष्ट्रक सीमा मे रहबाक बात केँ अहु लेल प्रतिकार नहि केलनि जे हुनक मूल संस्कार आ धर्म नेपाल मे हिन्दू राजा – गोरखा शाह परिवारक हाथ मे बेसी सुरक्षित मानलनि, कारण गोरखाक न्याय केर उपमा आइ तक प्रसिद्ध अछिये आर गोरखाक सेना जे पहिने गंगाक उत्तरी सीमा पर पहरा दैत यवन आक्रमणकारी केँ रोकबाक ऐतिहासिक योगदान देलक से आइयो भारतदेश केर सीमाक रक्षक बनले अछि। मुदा जेना-जेना नेपाल मे खुल्ला सीमाना केँ विभिन्न उपक्रम सँ बँधबाक बात उठैत अछि, जेना-जेना नेपाल मे राजनीतिक परिवर्तन आबि रहल अछि आर एत्तहु जाहि आधार पर बिहाररूपी मधेशक निर्माण लेल संघर्षक स्वर मुखर होएत अछि, मातृभाषा केँ किनार लगाकय हिन्दी केर सम्पर्कभाषाक बात उठैत अछि, ई वैह तरहक सिग्नल दैत अछि जे कहियो बिहार केर निर्माण संग देने होयत। एकटा अति प्राचीन संस्कृति आ विशिष्ट पहिचान आइ कतहु भऽ कय नहि अछि। मिथिला संवैधानिक आवृत्त मे विलुप्त भऽ गेल अछि आर एकमात्र आधार सांस्कृतिक-ऐतिहासिक-पौराणिक शास्त्रीय पहिचान टा एकर अन्तिम साँस समान एखनहु जीबित देखा रहल अछि। नहि जानि ई अन्तिम साँस सेहो कहिया टूटि जायत आ ‘मिथिला’ केवल एकटा प्राचीन विलुप्त पहिचानक रूप मे जानल जायत।

bihar geetकहल जाएत छैक जे संघीयताक मर्म सबहक पहिचान केँ बचेबाक बात कहैत छैक। हमर हृदय दरैक उठैत अछि जखन हम राजनीति कएनिहार खास मिथिलाक लोक केँ बिहार आ मधेश लेल तऽ चिन्ता करैत देखैत छी, मुदा अपन मूल आधार, अपन संस्कार आ अपन पहिचानक विशिष्टता मे एतेक चीर-परिचित मैथिलत्व केँ कोनो खास जाति वा विशेष समुदाय केर नाम रजिस्ट्री करैत कर्तब्यविमूख बनि अंटक शंट बयानबाजी करैत देखैत छी। जाहि मिथिलाक समरस समाज केँ एतुका कर्मकाण्डीय व्यवहार सँ लैत आर्थिक अवधारणा पर्यन्त मे श्रम-आधारित वर्गीकृत समुदाय केँ आपस मे जोडिकय रखबाक अत्यन्त वैज्ञानिक आ विकसित लौकिक व्यवहार हो ताहिठाम भाषा केँ आ भेषभुसा केँ पर्यन्त कोनो अल्पसंख्यक समुदाय केर बपौती कहिकय समाज केँ विखंडित करबाक वीभत्स स्थिति देखैत छी। ई सब बहुत डेरावना तऽ अछिये, एकर परिणाम कोनो देश लेल पर्यन्त नीक होयत से मानब कठिन अछि। भारत हो या नेपाल, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा केर सम्मान करैत दुनू देश मे मिथिला केर संरक्षण आइ राज्य केर मुख्य कर्तब्य समान प्रतीत होएत अछि।

बिहार दिवस थीक आइ। विश्वविद्यालय व राजकीय संयंत्र मे ई दिवस मनेबाक बाध्यता राज्य सरकार केर नीति मुताबिक होयब स्वाभाविके छैक। मुदा हरेक मैथिल केँ आइ ई समीक्षा करबाक दिन सेहो थीक जे आखिरकार बिहार केर सझिया पहिचान हमर विशिष्टता केँ खून करबाक लेल बनल आ कि हमरा सबहक आर्थिक उपेक्षा कय संसार भरि मे मजदूर आपूर्तिकर्ता क्षेत्र बनबाक लेल बिहार केर एहि दिवस केँ स्मरण करैत गर्व करी? कि बिहार केर लिट्टी-चोखा आर तनी सा जीन्स ढीला करह केर संस्कार पर गर्व करी? कि हम सब ई नहि विचारी जे आइ एतेक बेरुक पंचवर्षीय योजना मे मिथिला लेल कि सब कैल गेल? हमर बौद्धिक सम्पदा केर संरक्षण लेल राज्य केर कि नीति बनल? हमर भाषाक विकास लेल राज्य कि सब केलक? रोजीक वृद्धिक अवसर निर्माण हो वा कृषि व्यवस्थापन क्षेत्र मे विकास हो, स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो, कोनो क्षेत्र मे बिहार केर योगदान सँ हमरा लोकनिक पूर्वक अवस्था मे प्रगति भेल कि नहि? आर तऽ आर, राज्य जखन अपन जनता मे राज्यक निवासी होयबाक आत्मसम्मान बढेबा लेल राज्य गीत लिखैत अछि तऽ हमरा सबहक चर्चा ओहू ठाँ सम्मान दैत केलक आ कि नहि? बहुत रास प्रश्न अछि जाहि पर आइ खासकय हरेक मैथिल केँ सोचबाक लेल बाध्य होमय पड़त।

समाधान एक्के टा छैक – स्वराज्य केर सिद्धान्त मे राज्य गठनक परिकल्पना; छोट राज्य केर परिकल्पना आ मिथिला राज्य केर स्थापना। पटनाक उपेक्षा सँ छुटकारा लेल अपन राज्य केर निर्माण संभवतः एकमात्र उपाय देखाएछ।