राष्ट्र, राष्ट्रवाद आ धर्म पर नव चिन्तन कतेक उचित

आलेख

– राम कुमार सिंह, मधेपुर, मधुबनी (हाल दिल्ली)

rashtravaadधर्म-अधर्म, राष्ट्रवाद-राष्ट्रद्रोह, देशभक्ति-गद्दार शब्द वर्तमान समय में चरम पर देखल जा रहल अछि। समाचार पत्र हुए चाहे प्रिंट मिडिया एखन एही शब्द केर बिना अधूरा बुझना जायत अछि। राष्ट्रवाद शब्द केर दुरूपयोग जाहि तेजी स भ रहल अछि ई वास्तव में हमरा सभक लेल दुर्भाग्यपूर्ण बात अछि। बुद्धिजीवी वर्ग सेहो एहि परिचर्चा सं बाँचल नहीं अछि अपितु कोना धेने बैसि तमाशबीन बनल देख रहल छथि। राष्ट्रवाद के विषय पर देश में व्यापक बहस चलि रहल अछि आ एखन सब एक दोसर के संदेह के दृष्टि स देख रहल छथि।

वर्तमान समय जेकाँ परिस्थिति पहिने वास्तव में कहियौ नै देखल गेल । सत्ताधारी दल के कोनो तरहक विरोध फेसबुक पर समर्थक लोग अधर्मी देशद्रोही आर ज्यादातर लोग अपशब्द पर उतारू भ जायत अछि। सवर्ण जाति जेना झा, तिवारी, शर्मा, पाण्डेय, सिंह, मिश्रा केर नाम फर्जी आईडी सँ ई सब कॉमेंट्स केर नाम पर असभ्यताक सिमा पार कय जायत अछि। भाषा केँ देखि ई सब 100 फीसदी नकली आइडी बाला बुझयत अछि जे एकटा विशेष चिंताक विषय आ सवर्णक प्रति कोनो षड्यंत्र सेहो बुझयत अछि। प्रश्न ई अछि की वैचारिक मतभेद केर मतलब वर्तमान समय में राष्ट्रद्रोही आ अधर्मी किएक ?

धर्म केर मतलब जखन कियो अपन धर्म मात्र केँ सर्वश्रेष्ठ बुझयत छथि तखने गम्भीर प्रश्न उठि जाइछ। अपन धर्म के प्रति विश्वास निसन्देह सर्वश्रेष्ठ रहक चाहि मुदा दोसर धर्म के सेहो सम्मान करक चाहि। मनुष्य के आतंरिक धर्म मतलब गुण के भण्डार असल में धर्म अछि। धर्म के नाम पर लोग व्यक्तिगत स्वार्थ के लेल भय सेहो पैदा करैत छथि मुदा असल धर्म स डराए के कोनो आवश्यकता नै अपितु धर्म के मार्ग पर अडिग भ सेवा भाव के भवना स सतत प्रयत्नशील रहक चाहि।

धर्म के मतलब मनुष्य जीवन के उचित लक्ष्य धरि पथ प्रदर्शित करय बाला, मनुष्य जीवन के अनीति कार्य स दूर राखय बाला । धर्म जीवन दर्शन अछि। धर्म अन्हार जीवन में ज्योति/रौशनी जेकाँ, पथभ्रष्ट के लेल आशा । धर्म के बिना मनुष्य पूर्ण भ नहि सकए। किछू व्यक्ति स्वयं के नास्तिक बुझैत छथि मुदा देखल जाए त हिनकर आस्था एनकेन प्रकारे कोनो ने कोनो धार्मिक विषय वस्तु स जुड़ल रहैत अछि। अहि आस्था केर धर्म कहल जायत अछि।

आशा करैत छी यथशीघ्र समाज में देश में स्थित सामान्य आ सौहार्दपूर्ण रहय जाहि स देश विकास के रथ पर सबार भ आगा बढ़य।