कुआलालंपुर, मलेशिया। मार्च २०, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली भाषा एवं साहित्य संग मिथिलाक अपन पहिचान केर स्थापना लेल आजन्म खटनिहार स्रष्टा – अभियानी साहित्यकार, कलाकार, रेडियोकर्मी आ बहुप्रतिभाधनी श्री धीरेन्द्र प्रेमर्षि मैथिली जिन्दाबाद केँ ‘पाग मिथिलाक जनमानस हेतु पहिचान प्रवर्धनक सकारात्मक हस्तक्षेप’ होयबाक प्रतिक्रिया देलनि अछि। श्री प्रेमर्षि वर्तमान समय नेपाली भाषाक अभियानमूलक कार्यक्रम ‘दुइ थोपा हाँसो’ मे नेपालक विभिन्न नामी-गिरामी सर्जक लोकनिक समूह ‘सिस्नुपानी’क एक अभिन्न अंग बनिकय मलेशिया देशक यात्रा पर छथि। ओहि ठाम ओ अपन सिरस्त्राण ‘पाग’ पहिरिकय सार्वजनिक कार्यक्रम मे सहभागिता दैत देखा रहला अछि। विदित हो जे नेपाल मे एकल पहिचान केँ मान्यता देबाक दमनकारी नीति मे आब परिवर्तन आयल अछि आर एहि क्रम मे बहुपहिचानक राष्ट्र नेपाल मे सबहक भाषा-भेष केर सम्मान होयबाक एकटा नीक उदाहरणक रूप मे ई दृष्टिगोचर भेल अछि।
पूर्व मे नेपाल केर राज्य द्वारा नागरिकता प्रदान करबाक लेल वा कोनो राजकीय कार्यक्रम मे सहभागिता देबाक लेल वा एतेक तक जे कोनो सार्वजनिक कार्यक्रम मे एकमात्र दाउरा-सुलुवार-ढाकाटोपी केँ राष्ट्रीय परिधानक सम्मान देल जेबाक परंपरा छल। अन्य संस्कार केर सम्मानजनक परिधान केँ सम्मानक स्थान हेय दृष्टि सँ देखब व ओकर अपमान करबाक राज्य केर नीति केँ घोर विभेद मानिकय विरोध कैल जाएत रहल अछि नेपाल मे। परञ्च नव नेपाल मे संघीयताक स्थापना भेला सँ सबहक भाषा आ भेषभुसा केर समान रूप सँ सम्मान होयब आब शुरु भऽ गेल कहि सकैत छी। वर्तमान सिस्नुपानीक विदेश यात्रा व नेपाली श्रमजीवीक असीम संघर्षपूर्ण प्रवासक जीवन मे ‘दुइ ठोप हँसी’ केर नाम सँ जे अभियान चलि रहल अछि तेकर मुख्य भाषा एकमात्र नेपाली होयब बहुल्य दर्शक मोताबिक भले कायमे हो, परन्तु धीरेन्द्र प्रेमर्षि समान सुविख्यात मैथिली सर्जक केर समावेशिकता असैर सँ नेपाली दर्शक केँ पर्यन्त मैथिलीक मिठास भेटिते हेतनि ई स्वतः मानल जा सकैत अछि। तखन पाग लगाकय कार्यक्रम मे जायब, केहेन लागि रहल अछि, कि सब नव अनुभूति भेटि रहल अछि आर मिथिलाक पहिचान केँ अन्तर्राष्ट्रीयकरण मे अपने समान हस्ती द्वारा पागक प्रयोग केर प्रभाव केहेन देखि रहल छी, एहि सब प्रश्न-जिज्ञासाक परिधि मे श्री प्रेमर्षि संग भेल वार्ता-साक्षात्कार एतय राखि रहल छी।
हमः विदेशक भूमि पर पाग लगेबाक अनुभूति – केहेन लागल अपना आ संगी सब केँ…. विदेशी जनमानस मे पाग कोनो उत्सुकता सृजित करैत देखायल वा नहि?
प्रेमर्षिजीः निश्चिते ई एकटा अलग अनुभव दय रहल अछि। ई हमर अपन मौलिक पहिचान केर प्रवर्धन हेतु एकटा सकारात्मक डेग जेकाँ लागि रहल अछि। एकरा वृहत् स्वीकार्यता सेहो भेटैत देखि रहल छी। संग मे रहल विभिन्न संस्कृतिक स्रष्टा लोकनिक संग विदेशियो सब मे मिथिलाक सिरस्त्राणरूपी पागक महत्व बुझबाक लेल जिज्ञासा हुनकर नजरि व प्रश्न सँ ज्ञात होएत अछि।
हमः विशेष कय जखन नेपाली ढाका टोपी लगेनिहार स्रष्टाक संग नेपालहि केर मिथिलाक एकटा दिग्गज स्रष्टा धीरेन्द्र प्रेमर्षि जखन पाग पहिरिकय कतहु कार्यक्रम स्थल पर पहुँचैत छथि तऽ सोझाँ नेपाली राष्ट्रीयताक एकल प्रतीक चिह्न मे पागक मिश्रण केहेन फील दैत देखायल?
प्रेमर्षिजीः अपन पहिचान केँ आत्मसात केला पर आरो मे स्वीकार्यता देखायब स्वाभाविक लगैत अछि। ढाका टोपी लगेनिहार सेहो हमर पाग पहिरिकय एकर आध्यात्मिक मूल्यांकन करैत देखाएत छथि। हमरा संगहि रहला अर्जुन पराजुली, लक्ष्मण गामनागे व मनोज गजुरेल सनक लब्ध-प्रतिष्ठित स्रष्टा लोकनि पागक आनन्द लैत रहैत छथि। एहि सँ पूर्व दुबई मे सेहो हमरा लोकनि एहि तरहें सह-संस्कृति संस्कार मे घूमल रही। कतेको ठाम प्रस्तुति देबाक समय ओहो सब पाग लगौने छलाह। सहकार्यक संस्कृति मे सह-अस्तित्वक स्वीकार्यता सँ राष्ट्रीयता मजबूत बनिते छैक। नीक लागि रहल अछि। गोटे कठकोकाँरि केँ छोड़ि ई सब केँ नीक अनुभूति दैत छैक।
हमः एखन धरि कियो जिज्ञासा केलनि अछि कि एहि पागक सन्दर्भ मे विदेश भ्रमण पर? यदि हँ तऽ थोड़ेक चर्चा ओहि सन्दर्भ मे जरुर करब अपन विचार रखैत!
प्रेमर्षिजीः हमरा लोकनि आपस मे बड नीक समूह बनौने छी आर सह-अस्तित्व केँ स्वीकार करयवला मानसिकता रखैत सहकार्य कय रहल छी। मनोज गजुरेलजी केर समन्वयकारी भूमिका एकरा आरो मजबूती प्रदान करैत अछि। आपस मे चर्चाक कतेको रास दौर चलिते रहैत अछि बुझू।
हमः हाल धीरेन्द्र प्रेमर्षि केँ सिस्नूपानीक सब यात्रा मे फेर सँ देखि हमरो सब काफी प्रसन्न छी। याद अबैत अछि विराटनगर मे आयोजित ओ कार्यक्रम जाहि मे भ्रष्टाचार विरुद्ध हास्य-व्यंग्य छल आर आम जनमानस केँ जगाओल जा रहल छल… ताहि समय नेपाल सरकार केर प्रतिनिधि सेहो ओहि अभियान केँ सहयोग कय रहल छलाह। विदेश यात्रा मे एहेन कोनो अभियान पर सिस्नुपानीक ध्यान केन्द्रित अछि आ कि कलाकार समूहक व्यक्तिगत माँग पर विदेश मे शो केर आयोजन कैल जा रहल अछि?
प्रेमर्षिजीः सिस्नुपानी समूह व्यंग्य शैली मे जनजागरण अभियान समान अछि। जहिना विराटनगर मे भ्रष्टाचार पर प्रहार छल, तहिना वर्तमान विदेश यात्रा सब मे विदेशी रोजगार सँ देश मे एतेक पैघ रेमिटैन्सक सहयोग कएनिहार श्रमजीवी नेपाली जनमानसक कष्पपूर्ण जीवन मे हँसीक रंग घोरबाक अभियान थीक। विदेश मे लोक कतेक कठिन संघर्ष करैत अछि, कोना अपन घर-परिवार सँ दूर अपनहि लोक लेल रोजगार करैत अर्थ उपार्जन मे जीवन कटैत अछि… एहि अभियान द्वारा ओकरा सबहक जीवन मे हँसीक किछु पल देबाक चेष्टाक संग एहि बेर राजू अधिकारी समान योगगुरु द्वारा तनाव व्यवस्थापन आ असीम थकावट केँ कोना आराम देल जा सकय ताहि सब वास्ते गुर – तकनीक सब सेहो बतायल जा रहल अछि। एहि अभियान केँ अत्यन्त सकारात्मक रूप मे सब कियो लय रहला अछि। बाकी, हास्य-व्यंग्य तऽ साहित्यक एक महत्वपूर्ण विधा थिकैक। हम सब एकटा सुसंगठित टोली-समूह द्वारा श्रमजीवी वर्गक जनमानस लेल खास प्रस्तुति पैकेज मे प्रस्तुत कय रहल छी।
हमः अहाँक प्रस्तुति मे नेपाली भाषाक अतिरिक्त मैथिली भाषाक सेहो कोनो प्रस्तुति रहैत अछि आ कि नहि?
प्रेमर्षिजीः ई कार्यक्रम नितान्त नेपाली भाषा मे विकसित कैल गेल अछि। मुदा दर्शक मे जँ एको व्यक्ति अपन मैथिलीभाषी देखाएत छथि तऽ हम किछु न किछु मैथिलियो मे जरुर सुनबैत छियन्हि।
हमः अहाँक ओ व्यंग्य गीत – हैन्डसम सर – ब्युटी मिस समान आरो केहेन-केहेन चहटगर प्रस्तुति सब समेटल जा रहल अछि वर्तमान विदेश दौरा सब पर? दर्शकक प्रतिक्रिया पर सेहो किछु अनुभव सुनाउ भाइजी!
प्रेमर्षिजीः बस ओहने-ओहने प्रस्तुति सब – चहटगर-खटगर-मिठगर… सब तरहक। जाहि सँ सचेतनामूलक हास्य केर वातावरण बनय आर नेपालक एतेक पैघ महत्वपूर्ण दर्शक सबहक मनोरंजनक संग राष्ट्र, राष्ट्रीयता, मानवता प्रति संवेदना सेहो बनय-बढय। सब कियो एकरा सकारात्मक लय रहला अछि। हम सब बहुत उत्साहित छी एहि अभियान व एकर उपलब्धि सँ।
हमः अन्त मे, मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक लेल किछु संदेश…
प्रेमर्षिजीः पाग अपन पहिचान प्रवर्द्धनक सकारात्मक हस्तक्षेप छियै। पहिरनाहरके अपन स्वत्व प्रति विश्वास हेबाक चाही, लोक खूब हुलसिकs एकरा स्वीकार करै छै।