विराटनगर, १९ मार्च, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
सुश्री शैली सिंह एवं गुरुजन अमर नाथ झा, कुमार गिरिजानन्द सिंह तथा कुमार उदयानन्द सिंह द्वारा प्रस्तुत ‘मिथिलाक गीतनाद सह शास्त्रीय गीत-संगीत साँझ’ विराटनगर केर आरोहण गुरुकुल मे १३ मार्च केँ भव्यतापूर्वक आयोजित कैल गेल छल।
एहि महत्वपूर्ण कार्यक्रम मे दैनिक भास्कर केर पुर्णिया रिपोर्टर एवं गायिका शैली सिंह केर पति आ ‘मिथिलाक गीतनाद’ अभियानक सारथि श्री चिन्मयानन्द सिंह केर सेहो उपस्थिति भेल आर हुनकर विशिष्ट कैमरा सँ खींचल किछु रास विशेष फोटो मैथिली जिन्दाबाद केँ उपलब्ध कराओल गेल अछि। आउ, एहि फोटोक मार्फत सँ एहि कार्यक्रम केँ देखबाक प्रयास करी।
एहि तस्वीर मे श्री अमर नाथ झा द्वारा शास्त्रीय गीत गाओल जा रहल अछिः हिनका द्वारा अलग-अलग ताल पर चारि गो शास्त्रीय गीत गायन कैल गेल।
एहि मे शैली सिंह द्वारा अपन विशिष्ट शैली मे मैथिलीक पौराणिक पारंपरिक गीत केर प्रस्तुति देल जा रहल अछि। संग मे अमर नाथ झा समान गुरु गायकी केर निर्देशन दय रहला अछि। शैली सिंह केर मधुर गायन आर मिथिलाक ओ पुरान गीतक बोल श्रोता लोकनि केँ मंत्रमुग्ध कय देलक।
उपस्थित दर्शक लोकनि ई सोचय पर बाध्य भेलाह जे आखिर वर्तमान युग हमरा लोकनिक केहेन प्रगतिशीलताक सूचक थीक जे अपनहि मूल संस्कार सँ दूर लय जा रहल अछि। ओना आजुक पीढी केँ पुरान बात केँ बुझब सेहो एकटा चुनौती समान अछि, तथापि एकरा हृदय सँ सब कियो भरपूर स्वागत करैत देखेला।
और ई भाव दर्शक केर सजगता केँ वर्णन करैत देखा रहल अछि। एहि सभागारक अपनो किछु खासियत छैक जे बिना ध्वनि-विस्तारण सेहो एक-दोसरक आवाज केँ सुनल जा सकैत अछि। आर एहि ठाम मिथिलाक गीतनाद केर प्रस्तुति कतेक मर्मस्पर्शी भेल ओ कल्पना मात्र कैल जा सकैत अछि।
एतय कुमार गिरिजानन्द सिंह मिथिलाक गीतनाद पर कैल गेल गंभीर शोधकार्य केँ व्योरावार राखि रहला अछि आर ताहि केँ दर्शक-श्रोता लोकनि ध्यानपूर्वक सुनि रहला अछि। एहि तस्वीर लेल चिन्मयानन्द जी केँ हमरो तरफ सँ विशेष आभार अछि।
एतय होली आ बसन्त बहार दुइ प्रस्तुति तिनू गुरु भाइ लोकनि सामूहिक रूप सँ प्रस्तुति कय रहला अछि। एहि दुनू प्रस्तुति मे होलीक हुड़दंग नहि बल्कि असल आध्यात्मिकताक लाभ श्रोता लोकनि केँ प्राप्त भेलनि एहि मे कोनो सन्देह नहि।
अन्त मे सब दर्शक लोकनि अतिथि कलाकार संग सामूहिक फोटो सेशनक सेहो आनन्द लेलनि। होलीक अवसर पर अबीर लगबैत सब केँ स्नेह आर आशीष दैत देखेलाह। मैथिली जिन्दाबाद केर ई प्रस्तुति चीरकालीन समय लेल स्मृति मे राखल जायत।