दक्षिण भारतवर्षक कैलाशः श्रीलंकाक कोनेश्वरम महादेव मन्दिर

श्रीलंकाक कोनेश्वरम महादेवक दर्शन । दक्षिणक कैलाश।

– आशुतोष चौधरी, नदियामी, दरभंगा। (हालः श्रीलंका सँ)

srilanka1श्रीलंकाक पूर्वी प्रान्त में पूर्वी तट पर स्थित छैथ कोनेश्वरम महादेव । कोलोम्बो सँ करीब २५० किलीमीटर पूर्व म स्थित त्रिंकोमाली शहर, लगैत अछि जेना शिव स्वयं एकर रचना अपन हाथ सँ केने रहैथ।

एहि शहरक प्राकृतिक छटाक वर्णन कतेक करी से कम हैत। नील रंगक समुद्र आ तेहने सुन्दर मंदिरक प्राकृतिक सौंदर्य। चुँकि ई मंदिर आ तिब्बती पहाड़ कैलाश पर्वत ( भगवान शिवक प्राथमिक निवास) दुनु एक्के देशांतर (लोंगीच्युड) पर अछि ताहि हेतु हिनका दक्षिणक कैलाश सेहो कहल जायत अछि ।

srilanka2मंदिरक शुरुवाती रचना कारी रंगक ग्रेनाइट चट्टान केँ काटिकय स्थापत्य कला शैली सँ कयल गेल अछि । एहि मंदिरक वर्णन स्कन्दपुराण केर तीन अध्याय में कैल गेल अछि।

सन् १३८० ई. में स्थला पुराणक रचनाकार जयवीर अपन पुराण में एहि मंदिर केँ दक्षिणक कैलाश केर सँज्ञा देलैन । शिवलिंगक ठीक सामने समुद्रक टीला पर शिव भक्त रावणक विशालकाय मूर्ति दुनु हाथ जोड़ने भगवानक आराधना करैत बुझाएत अछि। मंदिर अपन वार्षिक कार्यक्रम पारंपरिक रथ महोत्सव, नवरात्रि एवम् शिवरात्रिक लेल सेहो विश्व विख्यात अछि । एतय शिव, शक्ति आ भगवान विष्णु केर अलग-अलग स्थापना कएल गेल अछि ।

मंदिरक सँभावित स्थापना ४०० ईसा पूर्व मानल जायत अछि जेकर उल्लेख मंदिर प्रांगन में स्थित शिलालेख पर सेहो कयल देखल जा सकैछ ।

srilanka3एकटा हिंदू पौराणिक कथा केर मुताबिक इन्द्र भगवान् एतय नित्य आबि भगवान् शिवक पूजा आर आरधना करैत छथि ।कहल जाएत अछि जे महाराज रावण कुल ६९ टा शिवलिंग कैलाश पर्वत सँ आनने छलाह जाहि में सँ ई एकटा महत्वपूर्ण शिवलिंग थीक।

स्थानीय लोक सब सँ बात केला स ईहो पता लागल जे रावण आर हुनकर माता नित्य आबि शिवक उपासना करैत छलाह। चूँकि मंदिरक निर्माण में बेसी स्वामी रॉक ( चट्टान) प्रयोग कैल गेल अछि ताहि हेतु लोक सब ई मानय छैथ जे ५००० साल BC ( ईसा पूर्व ) रावण स्वयं टा एते शक्तिशाली छलाह जे अपना ताकत सँ पूरा चट्टान शिवलिंग सहित लाएब कय मंदिरक स्थापना केने हेताह ।

एकटा और पौराणिक कथा केर अनुसार राजा गजबाहू ११३ ईस्वी में अपन शासनकाल मे एकरा गिरेबा आ एतय बौध मंदिर बनेबाक उद्देश्य सँ चढ़ाई करैक लेल निकलला लेकिन पास एला पर हुनका ज्ञात भेलैन जे एतय एकटा हिन्दू परिवार हुनकर अंधापन केर इलाज कय सकैत छल । ओए दिन चमत्कारिक ढंग सँ हुनकर आँखिक इलाज एकटा हिन्दू द्वारा केलाक परिणामस्वरुप ओ बहुत प्रभावित भऽ गेला आर ओहि दिन सँ एहि मंदिर केर संरक्षण देबय लगलाह ।

मंदिरक दर्शन केला बाद त्रिंकोमाली शहर सँ लगभग १२ किलोमीटर पश्चिम में स्थित निलामल्ली बीच (समुद्री तट) पर सेहो जेबाक अवसर भेटल जतय एना लगैत अछि जे पूरा समुद्र भगवान शिव केर कंठक समान नीला भऽ गेल अछि आर नीचां में उज्जर रंगक बौउल जेना दूध । हम आय तक एतेक मनोरम दृश्य अपना आँखि सँ नहि देखने छलहुँ, प्रकृति केर सुन्दर रचना देखिकय  बहुत अचंभित मुदा प्रसन्न छी ।