Search

स्त्री शिक्षा सँ गरीबीक अभिशाप दूर होयतः दमुमि प्रवक्ता प्रकाश

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर चिंतन आ नव प्रयासक संकल्प
 
– प्रकाश कमती, तरौनी, दरभंगा
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:॥” – अथर्ववेद
 
mahila shikshaजाहि कुल मे नारी केर पूजा अर्थात् सत्कार होएत छैक, ओतय स्वयं देवताक वास होएत छैक। एकर बिपरित जतय नारीक पूजा नहि होएछ, ओतय सब कैल-धैल अफलीभूत होएछ, सब बेकार जाएछ।
 
वेदविद् एकरा एनाहु कहैत छथि, जतय नारीक पूजा कैल जाएछ, ओहि कुल मे दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होएत छैक, आर जतय स्त्रीगणक सम्मान नहि ताहिठामक समस्त क्रिया निष्फल होएछ।
 
आजुक प्रगतिशील युग मे स्त्री शिक्षा परमावश्यक अछि। स्त्री केँ देशक मुख्य धारा सँ जोड़बाक लेल शिक्षा व्यवस्था सुदृढ करब ओतबे आवश्यक अछि जतेक भोजन आर वस्त्र। जाधरि देशक महिला शिक्षित नहि हेतीह ताधरि राष्ट्रक अभ्युदयक मात्र एकटा खोखला कल्पना टा होयत आओर किछु नहि। पुरुष शिक्षा पबैत छथि मुदा स्त्री शिक्षा लेल लोक ओहन कारगर व्यवस्था नहि करैत छथि। लोक केर ध्यान राखैक चाही जे जीवनक रथक दू गोट पहिया होएत छैक पुरुष आर स्त्री। जौं एकटा पहिया ठीक रहत आ दोसर नहि त कखनो गाड़ी आगाँ नहि बढ़ि सकत। तैं स्त्री शिक्षा दिस ध्यान देव व्क्तिब, समाज आ राष्ट्रक कर्तव्य होएत अछि।
 
समाज मे स्त्रीक स्थान बड्ड पैघ मानल गेल अछि। ई जननी मानल गेल छथि। हिनक महत्वक जतेक वर्णन करब से ओछे होयत। तैं इहो कहल जाएत छैक जे “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”। यानि जननी (माय) आर जन्मभूमि (मातृभूमि) स्वर्गक समान होएछ। नारीक जननीरूप लेल ओ सदैव पूज्य छथि।
 
वास्तविकता यैह छैक जे नारी समाज मे सदिखन भिन्न-भिन्न रूप मे सर्वविदित छथि। ई छथि राष्ट्रक भावी भाग्यक निर्माण करै वाली राष्ट्रमाता, समाजक प्रतिष्ठा राखै वाली स्त्री, पतिक जीवन केँ पूर्ण कयनिहारि अर्धांगिनी, गृह-भार उठौनिहारि गृहिणी, पतिक जीवन केँ सफल आ पूर्ण कयनिहारि पत्नी आ संततिक जन्म देनिहारि जननी। तैं हिनक स्थान समाज मे बड्ड पैघ आ पूज्य मानल गेल अछि आ यैह कारण एहि गृहलक्ष्मी के शिक्षित करब वर्तमान युग मे समाजक सबसँ उच्च कर्तव्य बनैत अछि।
 
आजुक युग मे स्त्री केँ शिक्षित करब अनिवार्य अछि अन्यथा शिक्षाक अभाव मे ओ पशुतुल्य बनल रहि जेतीह। हुनक ज्ञान-गरिमा अज्ञानताक अंधकार मे झाँपल रहि जेतैन। जँ जननिये रहती अशिक्षित तऽ फेर संततिक शिक्षा कतेक दूर धरि पहुँचत, स्वतः कल्पनीय अछि। यदि स्त्री केँ शिक्षित कैल जेतैन त शिक्षाक आलोक पाबि मानवीय जीवन मे विदुषी बनि जेतीह अर्थात मनुष्य जीवनक उद्देश्य केँ साकार करै मे सफल हेतीह। शिक्षाक आधार पर आत्मनिर्भर बनि समाजक कुरीतिक विरोध मे आवाज उठेति। परिवार मे सामंज्यस बना सुखमय जीवनक राह प्रशस्त करतीह। पारिवारिक आय-व्यय केर हिसाब-किताब राखि आर्थिक स्थिति केँ मजबूती प्रदान करतीह। बाल-बच्चाक प्राथमिक शिक्षा एवं सुसंस्कारक प्रवाह शिशुकालहि सँ प्रारम्भ करतीह।
 
अतः हम सब आजुक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एकटा प्रण करी जे किच्छो बीत जाय मुदा स्त्री शिक्षा केँ बढ़ाबा पर बल आ ताहि मे अपन हर तरहक सहयोग अवश्य देब।
 
(लेखक – दहेज मुक्त मिथिला अभियानक महाराष्ट्र ईकाइ केर प्रवक्ता सेहो छथि।)

Related Articles