विश्व महिला दिवस – ८ मार्च पर खास प्रस्तुति

बजली दाइरानी – हमरो चाही पाग!!

– प्रवीण नारायण चौधरी

mithilaaniबजली दाइरानी हमहुँ पहिरब पाग
नारी रहितो हम समानताक गायब राग!
 
ओ पाग जे मातृभूमि चिन्हाबय
दोसर ओ जे धर्म सिखाबय!
पाग एक मुदा मर्म अनेक
ई मातृभूमिकेर सम्मान बढाबय!
 
बेटहि समान बेटी पर अछि भार
बुझि सकय छी हमहूँ,
शिक्षा आ समाज लेल आब
बोझ उठायब हमहुँ!
 
बेटी अनकर घर जाएत तैं
राखब हमरा उपेक्षित
ई नहि ओहेन समय यौ बाबु
बुझब जग केँ अहूँ!
 
mithilani paagमाथक अछि आँचर श्रृंगार
साड़ी पहिरन हमर अप्पन,
अर्थ केर जुग ई पिछड़ल मिथिला
प्रवास लेल बाध्य मैथिल जन गण!
 
एक पहिये नहि चलत गृहस्थी
भैर परिवारक बोझ एक जन
आबो हम नहि बान्हब फांर्ह त
बेकार जायत हम्मर तन मन!
 
जतय एली सिया आ अहिल्या,
मैत्रेयी गार्गी ओ भारती,
कानि रहल लोकपलायन सँ,
आइ ओ पावन मिथिला धरती!
 
आबहु जँ हम चौखैट भीतर
परदहि तरक वस्तु रहब,
बुझि जाउ मरि जायत मिथिला,
डाँढ़ तोर दरिद्र बनब!
 
देखू संसारक बेटी केँ
चलि गेल ओ आइ चानहु पर,
आबहु जँ पुरुखहि ओझरायब
बिका जायत पाग दहेजहि तर!
 
हम नहि मांगी आर किछो बस
माँगय छी शिक्षा संस्कार,
माय बाप कि पति परिवार
भेटय हमरो स्वतन्त्र अधिकार!
 
विश्व महिला दिवस पर आइ
खास ‘प्रवीण’क ई अछि प्रस्तुति,
घूमि-घूमि बड देखल सगरो
घसल अठन्नी मिथिलाक रीत!
 
पागक रूप पहिचान सम्मान बस
चढय हरेक मैथिल जन माथ!
मिथिलानीक अन्तर्निनाद केँ
बुझत सब करत आत्मसात!!
 

हरिः हरः!!