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कन्हैया-कन्हैया – कन्हैया रास रचैयाः मैथिल विचारक केर दृष्टि

लाल भाइ कन्हैयाक मादे दूटप्पी
– विकास झा, मधुबनी
 
vikash jhaरे कन्हैया, तोरा की चाही से खरियाइर ले भाइ ! आनंदभवन प’ ठाढ़ भ’ जँ झंडेवालान नहि सुझैत छौ ताहि मे एतेक खौंझैबाक की प्रयोजन ? कहियो टहलि अबै ने, सबटा फरछिया जेतौक ! तोहर लाल सलाम सँ देशक भाल कतेक लाल भेल से एखनहुँ कंगाल भ’ बंगाल गबैत अछि ! जाधरि तों अपन एखरिया केँ अहि देशक तिनरंगिया सँ ऊँच रखबैं आ जा धरि अम्बेदकर सँ बेसी लेलिन केँ पूजबें ताधरि अहिना कतेको तरहक “आजादी” लेल डिरियाएत रहबें ! पहिने विचार सँ स्वतंत्र हो ने ,तखन ने व्यवहार सँ स्वतंत्र हेबें !
 
हम कतेक काल धरि तोहर भाषनक ओर छोर तकैत रहलौं मुदा तोहर बकथोंथी एकटा पुरुख विशेष सँ तोहर डाहक बखान सँ बेसी किछु नहि बुझना गेल। एहो सोंचि माथ दुखा गेल जे अँरसठ बरखक अहि देश मे मात्र अठारह महिना मे कोना एतेक “जातिवाद, मनुवाद, सम्प्रदायवाद आ आन सब अधलाह वाद” पसरि गेलै, अहि सँ पहिने त’ तूँ एकर सबहक नामो नहि सुनने हेबहिन ने ? देख भाइ, अपन आँखि केँ कौआ नहि गिद्ध बनो ! ई देश एतबे टा नहि जे तोरा अभरैत छौ जेएनयू सँ होइत नागपुर आ झंडेवालान धरि ! अहि देश मे एतबे जुआन लोक नहि जे तोरा भेटैत छौ थपड़ी पीटैत आ ‘सेम-सेम’ करैत तोरा कालेजक गल्ली मे ! ई देश एतेक बुड़िबलेलो नहि जे अपन पालन करबा लेल अनकर विवेक पैंच लेत ! अहि अँरसठ बरख मे कतेक पोंखगर भेलौ तोहर समांग से एकबेर इतिहासक ऐना मे देखिले ! पहिल चुनाव मे सोलह आ अहि बेर तोरा बोहनियो पर आफद भ’ गेलौ आ एतेक बरख मे तोहर अपनहि आँगन मे कतेक भिन-भिनौज भेलौ से अखियास कर ! तीनटा लोक छें आ तेरह ठाम पाक बनैत छौ, तों की अल्हुआ अहि मुलुक केँ एक करबैं ! आइ बगए बानी सेहो फिट देखलियौ, झोरा दाढ़ी सब निपत्ता ! बोली बचन मे सेहो पहिने सन गंभीरता नहि रहौ, लगैछ जे छहरदेवारी मे ‘बेनिफिट ऑफ़ डाउट’ केँ भंजेबाक पूर्ण मंथन केलेंह अछि ! दू टा बाटी जे भेटल रहौ तकरो माने उनटा लगेलें ! ओ जे लाल रहौ से अहि मुलुक केर खून आ ओ जे बुल्लू रहौ से अहि मुलुक केर घाम आ तूँ तकरो राजनितिक बूसट पहिरा दलित आ पिछड़ल मे बाँटि देलहिन ! भाइ, तोरा दहिना हाथ मे एकतीस प्रतिशत भोंट कम लगैत छौ, त ई कह जे तोरा बामा हाथ मे कतेक भोंट छौक ? हमरा जनैत बामा हाथ प्रायः कम सक्कत होइ छैक तें लोक दहिना सँ उमेद करैत अछि । एक आधटा बमरेटिया जे अपवाद बहराइत छैक तें किछु ओकरो लोक मुँह पोछि दैत छैक ! रौ भाइ, अहि देशक माटि पानि जतबे अंटोटल ततबे सुखितगर ! अहि ठाम उद्धव सन बुधियार बूड़ि बनैत छथि आ कालिदास सन बूड़ि बुधियार ! अहि ठाम अयाचिक निर्वाह सेहो होइत छनि ! तों बुधियार छें, गप बान्हल कहलियौ, बुझबा मे भाँगठ नहि हेतौक ! देख भाइ ने त’ हम तोरा सन नामी कॉलेज मे पढ़ने छी ने तोरा एतेक नॉलेज अछि, हमरा हाथ मे दू टा के कहए एकोटा माइक नहि अछि आ नहिये हजार दू हजार हँसेरि, तैयो हम बजैत छी आखिर हम आजाद छी ने रौ ! आ अंत मे एकटा मोनक गप्प कहैत छियौ, तोरा देखि हमरा प्रसन्नता सेहो बड्ड भेल भाइ, कम सँ कम तूँ अहि की-बोर्ड सँ क्राँति ठाढ़ कर बला युग मे अपन कर्म सँ क्राँति ठाढ़ करबाक कुब्बैत रखैत छें ! बेस त’ जय हिन्द ! माने तोरा भाषा मे कहियौ त’ लाल सलाम !

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