मनीष कर्ण, जनकपुरधाम, मार्च ३, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
विष्णुपुराण मे वर्णित सीता एवं राम सहित केर डोलीक संग जनक द्वारा स्थापित चारि शिवधामक परिक्रमा अर्थात् मिथिला मध्यम परिक्रमा जे फागुन मासक अमावस्या सँ पूर्णिमा धरि १५ दिन मे पूरा कैल जाएछ, तेकर तैयारी शुरु कैल जा चुकल अछि।
एहि बेर मलयमास पड़ि जेबाक कारणे ई तिथि फागुन २५ गते (तदनुसार ८ मार्च २०१६) सऽ सुरु होवय जा रहल अछि। मिथिला मध्यम परिक्रमाक वास्ते जनकपुर उप-महानगर पालिका वार्ड नं. १२ स्थित हनुमाननगर जाहि ठाम सँ परिक्रमाक आरम्भ कैल जाएछ, ओतय विशेष तैयारी एखनहि सऽ देखबा मे आबय लागल अछि। एहि स्थल केर साफ-सफाई तथा रंग-पेन्टिंग करबाक संग साज-सजाबट आर डोलीक सजावट आदि शुरु भऽ गेल अछि।
नेपाल एवं भारत केर मिथिलाक्षेत्र मे लगभग १३५ किलोमीटर केर एहि यात्रा केँ मिथिलाक वर्तमान समयक सबसँ पैघ तीर्थयात्राक रूप मे मानल जाएत अछि। एहि यात्रा मे दुनू देशक लाखों श्रद्धालू श्री सीताराम केर डोली (माफा) पर सवारीक पाछाँ – पाछाँ बाजा-गाजाक संग चलैत छथि। एहि मे सहभागी श्रद्धालू लोकनिक मान्यता अछि जे यात्रा मे भगवान् राम ओ जगज्जननी सीताक प्रत्यक्ष अनुभूति लेल ई यात्रा प्रसिद्ध अछि।
एहि बेर परिक्रमा मे सहभागी तीर्थयात्री केर समुचित बासक संग स्वच्छ पेय पानि, भोजन, विश्राम स्थल, प्राथमिक उपचार, सुरक्षा व्यवस्था आदि लेल स्थानीय युवा क्लब आ जनकपुर बृहत्तर परिषद् द्वारा संयुक्त रूप मे संयोजन कैल जा रहल अछि।
राजा जनक द्वारा अपन राजधानी जनकपुर केर चारि कोण मे चारि टा महादेव मन्दिर स्थापित करबाक इतिहास अछि, ई चारि स्थान वर्तमान समयक जनकपुर पूर्व केर सतोखर मे सप्तेश्वरनाथ, पश्चिम मे जलेश्वरनाथ, उत्तर मे क्षीरेश्वरनाथ आर दक्षिण मे कल्याणेश्वरनाथ केर रूप मे प्रसिद्ध अछि।
पन्द्रह दिनक परिक्रमा अन्तर्गत पहिल दिन कुवा हनुमाननगर, दोसर दिन मधुबनी जिलाक कलना स्थित कल्याणेश्वर महादेव स्थान, तेसर दिन मधुबनीक फूलहर स्थित गिरिजास्थान, चारिम दिन महोत्तरी जिलाक मटिहानी, पाँचम दिन जलेश्वरनाथ महादेव स्थान (जलेश्वर), छठम् दिन मडै, सातम दिन ध्रुवकुण्ड, आठम दिन कञ्चनवन, नवम दिन पर्वता, दसम दिन धनुषाधाम, एगारहम दिन सतोखर, बारहम दिन औरही, तेरहम दिन करुण (भारत) आर चौदहम दिन बिसौल (भारत) केर यात्राक बाद अन्तिम दिन अर्थात् पन्द्रहम दिन जनकपुरधाम आबिकय अन्तरगृह परिक्रमा मे परिणति पाबि जाएछ। एत्तहि आबिकय मिथिलाक मध्यम परिक्रमाक बिसर्जन कैल जाएछ।
स्वयं भगवान् आर भगबतीक डोली संगक ई पन्द्रह दिनक यात्रा विशेष फलदायी होयबाक कारण सुप्रसिद्ध तीर्थक रूप मे सुस्थापित अछि।