– कुन्दन कुमार कर्ण
जहिना दीपमे तेल जरूरी हए छै
तहिना नेहमे मेल जरूरी हए छै
जितबा लेल जिनगीक जुआमे मनुषकेँ
अपने किस्मतक खेल जरूरी हए छै
नेहक बाटपर जाइ बड़ी दूर
तेहन विश्वासक चलब रेल जरूरी हए छै
हितमे काज केनाइ समाजक असलमे
लोकप्रिय बनै लेल जरूरी हए छै
बिनु संघर्ष जिनगीक मजा कोन कुन्दन
कहियो काल किछु झेल जरूरी हए छै
मात्राक्रम : 2221-221-122-122
© कुन्दन कुमार कर्ण