विशेष संस्मरणः
सन्दर्भ दिल्ली मे अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस केर आयोजन आ मैथिलीक भविष्य लेल युवाजनक प्रयास
मैथिली भाषा ओ साहित्य केर सेवा लेल हरेक वर्ष देल जाएत ‘मैसाम सम्मान’ व ‘मैसाम युवा सम्मान’
मैसाम – दिल्ली केर मंच द्वारा विशुद्ध साहित्य सेवा, राजनीति लेल कोनो जगह नहि देल जायतः अध्यक्ष अमर नाथ झा
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर मैथिली साहित्य महासभा दिल्ली द्वारा कंस्टिच्युसन क्लब केर स्पीकर हौल मे वरिष्ठ मैथिली गीतकार रविन्द्र नाथ ठाकुर केर अध्यक्षता तथा सुप्रसिद्ध मैथिली नाट्य साहित्यकार महेंद्र मलंगिया प्रमुख आतिथि आर डॉ गंगेश गुंजन, डॉ देवशंकर नवीन, राम भरोस कापड़ि भ्रमर, डॉ मंजर सुलेमान आदि विभिन्न लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान् मैथिल साहित्यकार लोकनिक विशिष्ट सान्निध्य मे मैथिली भाषा ओ साहित्य केर वर्तमान ओ भविष्य प्रति परिचर्चा गोष्ठीक संग भव्य आयोजन कैल गेल।
आयोजन समितिक अध्यक्ष एवम् कार्यक्रम संयोजक अमर नाथ झा एक-एक पल केर खबड़ि सँ फेसबुक मार्फत आम मैथिल जनमानस केँ अवगत करबैत रहलाह। आयोजनक विशेषता रहल जे एहि गोष्ठी मे साहित्य अकादमीक विशेष कार्य अधिकारी डा. देवेन्द्र कुमार देवेश तथा मैथिली भोजपुरी अकादमी दिल्लीक उपाध्यक्ष कुमार सन्जॉय सिंह सेहो गोष्ठी मे विशेष रूपे सहभागी होइत मातृभाषा केर महत्व पर प्रकाश देलनि। संगहि ओ सब मैथिली भाषा तथा साहित्य केर विकास लेल संस्थागत एवं व्यक्तिगत हर स्तर पर सहयोग देबाक वचन देलनि।
सर्वविदित अछि जे दुनु अकादमीक सकारात्मक भूमिका सँ लेखन प्रोत्साहनक अलावे पठनीय संस्कार आर पोथी आदिक उपलब्धता मे उल्लेख्य सुधार आओत। दिल्ली मे करीब 30 लाख मैथिली भाषी रहैत छथि आर नगर निगम केर विद्यालय द्वारा मैथिली पठन पाठन तक केर स्वीकृति देल जा चुकल अछि। मुदा हाल धरि ई लागू नहि कैल जा सकल अछि। अपन मातृभाषा मे पढ़ाई केला स उच्च शिक्षा आ संघ लोक सेवाक परीक्षा मे सहजता भेटत ई अपेक्षा कैल जा रहल अछि। मैथिली साहित्य महासभाक आयोजन एहि दिशा मे एकटा मीलक पाथर साबित होयत ई अपेक्षा अछि।
मैसाम दिल्ली अपन स्थापनाक पहिल वर्षगाँठ सेहो मना रहल एहि विशेष दिवस पर बहुत रास महत्वपूर्ण संकल्प लैत घोषणा आदि सेहो केलक। एकर जानकारी करबैत मैसाम दिल्ली महासचिव संजीब सिन्हा कहलैन अछि जे मैथिली साहित्य महासभा दिल्ली द्वारा सम्मान एवं सहयोग लेल नियमावली बनाओल जा चुकल अछि। मैसाम मैथिली साहित्य आ भाषा केँ प्रोन्नतिशील बनाबय लेल दू टा सम्मान प्रतिवर्ष देबाक घोषणा कय रहल अछिः १. “मैसाम सम्मान” मैथिली साहित्य एवं भाषाक संरक्षण-संवर्धन कएनिहार केँ ई सम्मान अर्पित कएल जाएत। एहि सम्मान केर तहत २५ हजार टाकाक राशि देल जाएत। एहि सम्मानक लेल लेखक सँ पोथी आमंत्रित नहि रहत। सम्मानक चयन मैसाम द्वारा गठित तीन सदस्यीय चयन समिति द्वारा कएल जाएत। अगस्त मास मे समारोहपूर्वक ई सम्मान प्रदान कएल जाएत। २. “मैसाम युवा सम्मान” ई सम्मान मैथिल युवा लेखक केँ देल जाएत, जिनकर आयु ४० बरस या एहि सँ कम रहत। जाहि बरखक सम्मान रहत ओहि बरखक १ जनबरी सँ आयु सीमा तय होएत। एहि सम्मान केर तहत २५ हजार टाकाक राशि देल जाएत। सम्मानक चयन मैसाम द्वारा गठित तीन सदस्यीय चयन समिति द्वारा कएल जाएत। अगस्त मास मे समारोहपूर्वक ई सम्मान प्रदान कएल जाएत। ३. मैथिली साहित्य महासभा एकटा आओर प्रकल्पक घोषणा कय रहल अछि – “मैथिली लेखक कोष” : एहि कोष केर तहत मैथिली लेखक केँ आर्थिक रूप सँ सहयोग कएल जाएत।
संगहि वर्ष २०१६ मे देल जायवला ‘मैसाम युवा सम्मान-२०१६” लेल मैथिली युवा लेखक सब सँ हुनक स्वरचित पोथी आ सत्यापित जन्म प्रमाणपत्र निम्नलिखित पता पर १५ जुलाई धरि पठेबाक अनुरोध करैत महासचिव संजीब सिन्हा मैथिली जिन्दाबाद मार्फत आम जनमानस मे जानकारी करेबाक अपील केलनि अछिः श्री अमर नाथ झा, अध्यक्ष, मैथिली साहित्य महासभा, जी-२, १८/२२७ संगम विहार, नई दिल्ली – ११० ०६२ मोबाइल न. 0८८00३३३३३९
ई-मेल: [email protected] ।
महासचिव संजीब सिन्हा आगू जानकारी दैत कहलनि जे पोरकां साल एहि मातृभाषा दिवस पर स्थापना भेल मैसाम केर संगोष्ठी कार्यक्रमक रिपोर्ट सेहो प्रकाशित कैल गेल जेकर लोकार्पण उपरोक्त कार्यक्रम मे मंचस्थ अतिथि लोकनिक कर-कमल सँ कराओल गेल। एहि रिपोर्ट मे मैसाम द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रम पर प्रतिवेदन स्वरूप सब बात केँ समेटल गेल अछि। मात्र कार्यक्रमक आयोजन टा एहि संस्थाक उद्देश्य नहि अपितु साहित्य सृजन सेहो भिन्न भिन्न रूप मे होएत रहय ई प्रयास अछि।
एहि अवसर पर आयोजित परिचर्चा गोष्ठी मे मैथिली साहित्यक वर्तमान परिदृश्य पर चिन्तन कैल गेल छल। आरम्भ मे आयोजक संस्था मैथिली साहित्य महासभा दिल्लीक अध्यक्ष अमर नाथ झा द्वारा मंचासीन एवं आगन्तुक अतिथि लोकनिक स्वागत करैत आयोजनक उद्देश्य तथा महासभाक एक वर्षक कार्यकाल पर संछेप मे प्रकाश देल गेल। अपन प्रखर स्वर मे ओ आह्वान करैत कहलनि जे विगत कतेको वर्ष दिल्ली प्रवास मे रहैत मैथिली भाषा ओ साहित्य प्रति मैथिल लोकमानसक उदासीनता सँ ऊबि ई युवा प्रयास अर्थात् मैसाम-दिल्लीक स्थापना सँ अपन मातृभाषा मैथिली प्रति लोकमानस मे आकर्षण बढत। खासकय युवावर्ग मे जे सृजनशक्ति छूपल अछि ओ उजागर होयत। मैथिली भाषाक पोथी बेसी सँ बेसी लिखल-पढल जायत। प्रकाशनक कार्य तीव्र गति सँ देशक राजधानी मे सेहो बढत। आर एहि सब लेल मैथिली साहित्य महासभा प्रतिबद्ध अछि।
हुनका द्वारा हालहि देखल गेल किछु विभाजनकारी तत्त्व द्वारा लगायल जा रहल बेतूका आरोप प्रति सेहो आक्रोश व्यक्त करैत भाषा एवं साहित्य लेल आरम्भ कैल गेल एहि प्रयास केँ राजनीति सँ दूर रखबाक चेतावनी सेहो देल गेल। ओ कहलैन, “किछु लोक अनावश्यक आरोप लगा रहल अछि जे एकर अध्यक्ष एकटा गैर-साहित्यकार वर्ग सँ कियैक बनल। अफसोस जे एतेक वर्ष सँ दिल्ली मे साहित्य क्षेत्र मे सांगठनिक-सामूहिक कार्य लेल रिक्त अवसर केँ कतहु सँ भरपाई नहि कैल गेल आर आब यदि युवा नेतृत्व एहि वास्ते आगाँ आयल अछि तऽ किछु तथाकथित अति-होशियार बन्धु लोकनि छूछ आलोचना मे लागिकय आरोप-प्रत्यारोप मे लागि गेला अछि। हम स्पष्ट कय दी जे साहित्यक्षेत्र सँ कियो स्रष्टा आगू आबि एकर नेतृत्व करैथ, एहि वास्ते हम आ मैसाम सदैव तैयार रहत।”
सभागार मे उपस्थित विशिष्ट प्रबुद्धजन व युवा मैथिल जनमानस मे एकटा नव उर्जाक संचार भेल जखन अमर नाथ झा अपन प्रखर वाणी सँ सुस्पष्ट संदेश दैत सभा केँ आत्मस्थिति सँ अवगत करबैत स्वच्छ मानसिकता आ भावना सँ कार्य करबाक लेल प्रेरित केलनि।
विदित हो जे हालहि गोटेक अति राजनीति करैत मैथिली-मिथिला गतिविधि केँ शिथिल कय रहल षड्यन्त्रकारी शक्ति द्वारा जानि-बुझिकय मैथिली साहित्य महासभा मे सेहो ओहिना विभाजन आनल गेल जेना राजधानी केन्द्रित अन्य विभिन्न युवा प्रयास मे विभिन्न बहन्ने भाजपा-काँग्रेस-आप-बाप करैत शुरुहे सँ कैल गेल अछि।
एहि क्रम मे मैथिली साहित्य महासभाक संस्थापक आ ओरिजिनल लोक बनैत अपना केँ ‘समाज’ केर संग रहि एक अलगे आयोजन सेहो कैल गेल छल। एहि लेल विशेष अभियान चलबैत दिल्ली व अन्यत्र उपस्थित मैथिल जनमानस केँ गलत संदेश देबाक भरपूर प्रयास करैत मैथिली साहित्य महासभा दिल्ली केँ सेहो ध्वस्त करबाक वीभत्स योजनादि बनाओल गेल छल। अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर एकटा अलगे आयोजन सेहो कैल गेल। बारीक तमसाय तऽ भोज बनय, प्रतिस्पर्धा मे नीक कार्य करू ताहि सँ मातृभाषा मैथिलीक मानवर्धन होयत, कार्य होयत, बेसी सँ बेसी प्रगतिशीलता आओत। परन्तु आपसे मे माथ भिड़ेनाय आ एक-दोसर केँ नीचाँ देखेनाय आजुक समय मे आउटडेटेट पैटर्न छैक एकर अनुभूति आयोजनक परिणाम सँ स्वतः स्पष्ट भेल अछि।
सभाध्यक्ष रविन्द्र नाथ ठाकुर जे मैथिली भाषाक सुप्रसिद्ध गीतकार ओ गायक रविन्द्र-महिन्द्र केर जोड़ी मे सँ एकमात्र जीवित स्रष्टा सेहो छथि ओ कहलैन कि मैथिली साहित्यक मूल शक्ति सृजनशीलताक अविरल धारा थीक जे निरंतर स्वयंसेवा आ समर्पणक भावना सँ बहि रहल अछि। अपन योगदान केँ निरंतरता दैत चलू आ स्वस्फूर्त रूप मे एहि भाषाक जीवटता संसार केँ आकर्षित करैत रहत। वर्तमान युवा पीढी पर विशेष भार रहबाक बात कहि ओ मैथिली साहित्य महासभाक सम्हरल डेग केर भरपूर प्रशंसा सेहो केलनि।
सभाध्यक्ष अत्यन्त सरलता संग बहुत रास महत्वपूर्ण प्रकरण केर चर्चा करैत अध्यक्षताक भार सेहो अभिभावक रूप मे निर्वाह करैत रहलाह। ओ महेन्द्र मलंगिया जी केर संबोधनक क्रम मे कहल गेल किछु बात पर बीच्चहि मे टोकैत अध्यक्ष ठाकुर कहलखिन जे मैथिली शब्दक मौलिकताक प्रभाव सँ मलंगियाजी समान महान नाटककार भेटल अछि, भले मैथिल जनमानस मे विभिन्न कारण सँ लोक मे अपनहि भाषा सँ वितृष्णा आबि रहल हो मुदा मिथिलाक घर-गृहस्थी केर संचालन मे सहायक पालतू जानवर सहित अन्य-अन्य चिड़ै-चुनमुनी पर्यन्त एखनहु मैथिली भाषा टा बुझैत अछि, बकरी केँ अर्र कहला सँ, बरद केँ आउ-आउ केला सँ चलैत बात बुझैत अछि। ओकरा सबकेँ अंग्रेजी भाषाक कम हेयर, गो देयर वा हिन्दी भाषाक इधर आओ, उधर जाओ एकदम नहि बुझय मे अबैत छैक। सभा मे एहि मर्मस्पर्शी बातक बेर-बेर चर्चा भेल आर मातृभाषाक प्रेमक आह्लाद मानू प्रसाद समान सबकेँ भेटैत रहल।
सभा मे उपस्थित विशिष्ट अतिथि वक्ता डा. देवशंकर नविन मातृभाषा दिवस केर महत्व पर प्रकाश दैत कहलनि जे मातृभाषा सँ प्रेमक गाथा कतेक महान अछि तेकर प्रमाण थीक मातृभाषा दिवस मनेबाक उदाहरण – केहनो धर्मक नाम पर किम्वा राजनीतिक पैंतरा सँ मातृभाषा संग लोकमानसक प्रेम केँ नहि रोकल जा सकल। मात्र मातृभाषाक सम्मान लेल बांग्लादेश सनक देश बनि गेल। मैथिल युवा लेल एहि सँ पैघ आर दोसर प्रेरणाक स्रोत आन किछु नहि भऽ सकैत अछि। आर मैथिली साहित्य महासभाक स्थापना आ विभिन्न आयोजनादि एहि बातक प्रमाण दय रहल अछि जे मैथिलीक शक्ति सँ मैथिल युवा वंचित नहि अछि। डा. नवीन द्वारा मैथिली भाषा मे प्रामाणिक जानकारी बेसी सँ बेसी इन्टरनेट पर उपलब्ध करेबाक अपील करैत आगामी पीढी लेल उपयोगिता बढेबाक बात सेहो कहल गेल छल।
दरिभंगा सँ आयल डा. मंजर सुलेमान द्वारा मातृभाषा कोनो एक जाति वा कोनो विशेष धर्म लेल नहि भऽ अति प्राचीन संस्कृति मिथिला मे बसनिहार जन-जन केर समान रूप सँ रहबाक बात कहल गेल। मैथिली भाषा आ साहित्य सँ हासिल एकटा विशिष्ट व्यक्तित्व आ प्रतिष्ठाक जिबैत-जागैत उदाहरण केर रूप मे अपना केँ सोझाँ रखैत डा. सुलेमान नव प्रतिभा सब केँ एहि क्षेत्र मे बेसी सँ बेसी योग्यता हासिल करबाक आह्वान केलनि। मैथिली भाषा ओ साहित्य मे योगदानि देनिहारक तथ्यात्मक जानकारी विस्तृतरूपेण डा. सुलेमान प्रस्तुत केलनि।
नेपाल सँ पहुँचल डा. राम भरोस कापड़ि द्वारा मैथिली भाषाक गहिंराई मे नेपाली मिथिला क्षेत्रक योगदान पर विशेष प्रकाश देल गेल छल। वर्तमान समय मे एफएम, दूरदर्शन आ प्रिन्ट मिडिया मे एकर भविष्य दिन ब दिन बढि रहल अछि आर नेपाल मे मौजूद दर्जनों उपक्रम एहि भाषा मे निरंतर प्रसारण सँ व्यवसायिक विज्ञापन आदिक लाभार्जन सेहो कय रहलाक बात ओ सभामे उपस्थित सैकड़ों मैथिली भाषाभाषी केँ जानकारी करौलनि। संगहि पोथीक बिक्री-वितरण दुनू देशक मैथिल जनमानसक बीच संभव हो ताहि दिशा मे डेग उठेबाक आवश्यकता पर सेहो ओ जोर देने छलाह।
डा. गंगेश गुन्जन, निवेदिता मिश्रा झा, व अन्य विशिष्ट वक्ता लोकनि सेहो अपन-अपन विचार रखैत मातृभाषाक महत्व पर प्रकाश देलनि। संगहि एहि दिशा मे कैल जा रहल सब प्रयासक सराहना करैत मैथिली साहित्य महासभाक प्रयास प्रति सदिखन सकारात्मक रहि अपन-अपन योगदान देबाक लेल वचनबद्धता प्रकट केलनि। तहिना एहि आयोजन मे दिल्लीक विभिन्न क्षेत्र सँ मातृभाषा प्रेमी विद्वान् लोकनिक नीक जमघट देखल गेल। एहि क्रम मे डॉ अमरनाथ झा प्राचार्य, स्वामी श्रद्धानंद महाविद्यालय, डॉ पंकज मिश्र, सेंट स्टीफेंस महाविद्यालय, श्री राजेश झा, राजधानी कॉलेज़, श्री आर एन झा, समाजसेवी विजय चन्द्र झा आदिक उपस्थिति सँ सभाक गरिमा मे चारि चान लागि गेल छल।
सभा मे मैसाम उपाध्यक्ष हेमन्त झा द्वारा उपरोक्त सम्मान देबाक औपचारिक घोषणा कैल गेल। महासचिव संजीब सिन्हा द्वारा सभाक अन्त मे धन्यवाद ज्ञापन कैल गेल छल। मैसाम केर अन्य अधिकारी व सदस्य लोकनिक हाथ सँ अभ्यागत अतिथि सब केँ स्मृति चिह्न आर फूलक गुलदस्ता भेंट कैल गेल। स्मृति चिह्न मे बैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ (नागार्जुन) केर फोटो अतिथि लोकनि केँ देबाक संग हुनकर ‘भगवान् हमर ई मिथिला सुख-शान्ति केर घर हो’ अभियान गीत केर विशेष चर्चा भेल। एहि मे नागार्जुन समान महान् स्रष्टा केँ बामपंथी विचारधारा ओ भगवान् आदि मे विश्वास नहि करबाक मत केर खंडन करैत उपरोक्त अभियान गीत मे प्रयुक्त भगवान् शब्द आर मिथिला लेल समानताक परिकल्पना जे सम्मानक प्रतीक पाग सबहक माथ पर हो एकर विशेष चर्चा करैत हुनका श्रद्धाञ्जलि देल गेल छल। एवम् प्रकारेन भारतक राजधानी दिल्ली मे लाखों मैथिल केर प्रतिनिधित्व करैत मैसाम एकटा अत्यन्त सफल कार्यक्रमक आयोजन कएलक जेकर सुखद परिणाम सँ आम मैथिल जनमानस केँ निकट भविष्य मे अनेकानेक लाभ भेटत एकर अपेक्षा अछि।