विशेष संपादकीय
सन्दर्भ अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
काल्हि २१ फरबरी अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस थीक। एकटा एहेन दिन जहिया एकटा देश केर निर्माणक नींब पड़ि गेल आ सेहो मातृभाषा केँ स्थापित करबाक लेल। ओकर नाम थीक बांग्लादेश! धर्मक कट्टरता मातृभाषाक शक्ति केर बाधक नहि बनि सकल ई प्रमाणित करैत अछि ई उद्धरण। एहि मर्म केँ मानैत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा २१ फरबरी केँ मातृभाषा दिवस केर रूप मे मनेबाक एकटा प्रचलन चलि पड़ल।
पैछला वर्ष सँ भारतीय राजधानी दिल्ली मे युवा मैथिल अभियानी लोकनि द्वारा बिल्कुल ओही मर्म अनुरूप अपन मातृभाषा मैथिली लेल डेग बढाओल गेल अछि। एहि वर्ष ओ डेग बढल तऽ मुदा एकजुटता मे खंडित होएबाक प्रवृत्ति सँ दुइ अलग वैचारिक समूह मे विभक्त रूप मे पुनः आगामी समयक चिन्तन करबाक लेल बैसि रहल अछि। काल्हि दिल्ली मे दुइ ठाम मे कार्यक्रम आयोजित भऽ रहल अछि। ध्यानपूर्वक देखल जाए तऽ देशक राजधानी मे जेना राजनीतिक ध्रुवीकरण दुइ अलग-अलग विन्दु पर आ विचारधाराक संग बढैत रहल अछि, तहिना मिथिला लेल सेहो बनि रहल, बढि रहल हरेक डेग मे दुइ विचारधारा मुख्य रूप सँ रहिते टा अछि। भाजपा नेतृत्वक राजग गठबंधन आ काँग्रेस नेतृत्वक संप्रग गठबंधन – लक्ष्य एक्केटा जे देशक सत्ताक संचालन करब। तहिना मैथिल केर संस्था मे दुइ भाग होएतो लक्ष्य एक्केटा जे अपन मिथिलाक नाम केँ पुनर्स्थापित करब।
हलांकि आलोचनाक क्रम मे ई कहब गलत नहि होयत जे नियम, निष्ठा आ नीति बिना कोनो निराकरण उचित परिणाम धरि नहि पहुँचा सकैछ; बिल्कुल तहिना विभिन्न सामूहिक प्रयास मे जतय-जतय नियम-निष्ठा-नीति केर सम्मान नहि होयत, ताहि ठाम सफलता तऽ दूर – अभियानहु केँ कलंकित होइ सँ कियो नहि रोकि सकत। लेकिन ई कहबा समय हमहुँ पूर्वाग्रही भऽ सकैत छी। हमरो नेत मे कतहु न कतहु एक पक्षक तरफ विशेष झुकाव भऽ सकैत अछि, अछियो। ताहि हेतु केवल वैचारिक मत राखि निराकरण लेल समय पर छोड़ि आगू बढि जाएत छी। सब आयोजन केर मूल तत्त्व सुस्थापित हो, एहि शुभकामनाक संग अपन मातृभाषा मैथिलीकेर समस्त भाषाभाषी लेल हमर हार्दिक शुभकामना अछि।
जय मातृभूमि – जय मातृभाषा!
मैथिली जिन्दाबाद!!
हरिः हरः!!