नव पल्लव नव मज्जर आयलः बसंती ऋतु केर स्वागत

प्रकृति
– प्रवीण नारायण चौधरी
 
basant nature 1नव पल्लव नव मज्जर आयल
हरियर पत्ता सब तैर छायल
फरतय फेरो फर नव नव
बसन्त ई नवका सनेश लायल।
 
basant nature 2जहिना घड़ीक सुइया घुमय
गोल गोल ओ चक्कर काटय
जन्म मृत्यु केर बीच सदा ई
जीवन सदिखन दिवस बिताबय।
 
basant nature 3दृष्टि अनेक आ सोच अनेक
कते बदनियत नेत ई नेक
नहि भरोस निस्तुकी केकरो
चाइल प्रकृति नीति कनेक।
 
basant nature 4गोल गोल सब गोल गोल
ई लोक गोल ओ लोक गोल
झँझटि फसाद मतभेद गोल
मूल्य समर्थन सब संग गोल।
 
basant nature 6एहि चक्र मे घुमु घुमिते रहु
फर आ आँठी चुसिते रहु
जतेक फुराए फुरिते रहु
प्रकृति प्रेम मे उड़िते रहु।
 
basant nature 7बस नेह एक परमेश्वर सँ
ओहि लोक सँ ओहि वेद सँ
प्रवीण कर्म निरपेक्ष सँ
मैथिली आ मिथिला प्रत्येक सँ।
 
हरिः हरः!!