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मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल पटनाक दोसर दिन: परमानन्दक बरखा

पटना, फरबरी १६, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!

mlf d1मैथिली भाषा-साहित्यक संग संस्कृति केँ विश्व बाजार धरि पहुँचेबाक महत्वपूर्ण लक्ष्य संग आयोजित दोसर बेरुक मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल जहिना पहिल दिन अनेको विधा पर चर्चा केलक, तहिना दोसर दिनक शुरुआत पूर्व नियत समय यानि १० बजे भोरे सँ “धिया-पूता” सत्र केर आरम्भ करैत बाल साहित्यक वर्तमान तथा भविष्य पर चन्दन कुमार झा केर संचालन मे कार्यक्रम आरम्भ कय देलक।

mlf d3एहि सत्र मे विमर्शी डा. रविन्द्र कुमार चौधरी केर अतिरिक्त ऋषि वसिष्ठ एवं अमित कुमार मिश्र छलाह। विदित हो जे डा. रविन्द्र कुमार चौधरी मैथिली भाषाक वरिष्ठ साहित्यकार छलाह, तहिना ऋषि वसिष्ठ बाल साहित्य मे ढेर रास रचना प्रकाशित करौने छथि आर एहि विधाक विज्ञ मानल जाएत छथि। तेसर विमर्शी अमित कुमार मिश्र केर पहिल रचना ‘अंशु बनि पसरि जाएब’ विशुद्ध धिया-पुता वास्ते रचित पोथीक प्रकाशन २०१५ मे कैल जा चुकल अछि।

mlf d4विमर्शक केन्द्र मे चन्दन कुमार झा द्वारा राखल गेल जिज्ञासाक उत्तर डा. रविन्द्र कुमार चौधरी एवं अन्य विमर्शी द्वारा देल गेल छल। एहि क्रम मे ऋषि वसिष्ठ कहलैन जे साहित्य अकादमी द्वारा बाल साहित्य विधा लेल पुरस्कार देब शुरु कएलाक बाद लेखनी मे उत्तरोत्तर वृद्धि होमय लागल अछि। मुदा डा. चौधरी उदाहरण सहित प्रमाणित केलनि जे साहित्य अकादमीक पुरस्कार देबा सँ पहिनहु बहुत रास काज बाल साहित्य पर मैथिली मे कैल जा चुकल अछि। तहिना पोथीक बिक्री कम होयब आ बाजार संकुचित रहबाक विचार केँ खंडित करैत युवा लेखक अमित कुमार मिश्र सोदाहरण अपन पोथीक बिक्री आ वितरण केर उपमा दैत बिक्री आ बाजार कमजोर नहि रहबाक बात कहि एहि दिशा मे निरन्तर कार्य करबाक लेल निज प्रतिबद्धताक संग आम लेखन सँ जोरदार अपील केलनि। श्रोता-दर्शक केर बीच सँ बाल साहित्यक मादे ‘धिया’ पर लेखनीक अभाव रहबाक प्रश्न उठबैत मात्र ‘पूता’ पर सँ लेखकक ध्यान बँटेबाक प्रयास सेहो केलनि। एकटा अत्यन्त सफल सत्र सँ आरम्भ फेस्टिवल केर दोसर दिवस श्रोता सब द्वारा खूब सराहल गेल।

mlf d5हरेक सत्र केर समाप्तिक बाद १० मिनट केर ब्रेक देल जाएत छल। समय समन्वय – मंच समन्वय लेल स्वयं कैप्टेन श्याम दरिहरे घड़ीक सुइया संग चलि रहल छलाह। संचालक केँ समय अनुरूप सब बात केँ समेटबाक अनुरोधक संग विषय सँ विषयान्तर होयबाक वा कोनो महत्वपूर्ण भाग छोड़ि देबाक अवस्था मे एक प्रश्नकर्ताक रूप मे ठाढ भऽ प्रश्न उठायब श्रोता-दर्शक केँ भरपूर आत्मसंतोष दैत छल। तहिना दर्शक दीर्घा मे कार्यक्रमक एक परिकल्पक आर मैथिली साहित्यक पुरोधा डा. रामानन्द झा रमण, मैथिली लेखक संघ केर अध्यक्ष नरेन्द्र झा आर कार्यक्रम संयोजक कथाकार अशोक केर दृष्टि सदिखन आयोजनक सफलतापूर्वक निष्पादन पर देखल जाएत रहल। एहि ब्रेक केर समय दर्शक व सहभागी गणमान्य साहित्यकार-अभियानी अतिथिगण लेल चाह सँ भरल जार केर टोटी खूलल रहैत छल। तहिना विभिन्न तरहक स्टाल सब पर भीड़ लागि जाएत छल। सेल्फीक जमाना मे दूर-दूर सँ एकत्रित भेल पुरोधा लोकनि संग नवतुरिया लोकनि फोटो सेशन आदि मे व्यस्त भऽ जाएत छलाह। तहिना आयोजनकर्ता स्रष्टा लोकनि आगाँक इन्तजाम मिलेबा मे लागि जाएत छलाह। एतेक उर्जा सँ भरल माहौल छल जेकर चर्चा कोन शब्द मे कैल जाय ताहि लेल शब्द कम पड़ि रहल अछि। सब युवा मुमुक्षु लेल ई क्षण पूर्ण परमानन्द देबा योग्य कहल जा सकैत अछि।

mlf d2दोसर दिनक ऐगला सत्र छल मैथिली सोशल मिडिया – मैथिलीक सोशल मिडियाक स्थिति आ सम्भावना पर विमर्श। एहि सत्रक संचालन मिथिमिडिया केर संपादक सह युवा साहित्यकार रूपेश त्योथ छलाह। तहिना विमर्शीक रूप मे आइआइएम कोलकाता केर प्राध्यापक सह मैथिली कवि-साहित्यकार विद्यानंद झा, मैथिली जिन्दाबाद न्युज पोर्टल केर संपादक सह मैथिली-मिथिला अभियानी प्रवीण नारायण चौधरी, मैथिल विचारक एवं फ्रीलान्सर पत्रकार अमित आनन्द तथा मैथिली युवा साहित्यकार – ब्लागर एवं अभियानी बाल मुकुन्द पाठक सहभागी छलाह।

mlf d6संचालक रूपेश त्योथ केर संतुलित-नियंत्रित जिज्ञासाक जबाब मे प्रो. विद्यानंद झा हिब्रूभाषी समान मैथिलीभाषी सेहो विश्वकेर विभिन्न भाग मे पसरल रहबाक अवस्था मे मैथिली सोशल मिडिया महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करबाक विचार रखलैन। तहिना प्रवीण नारायण चौधरी सोशल मिडियाक कारण आभासी दुनिया सँ यथार्थ धरातल पर सफल अवतरण भेल विभिन्न अभियानक चर्चा कएलनि। ओ दहेज मुक्त मिथिलाक लोकप्रियता आ जगह-जगह भेट रहल सफलताक उदाहरण रखैत वर्तमान युगक नव पीढी मे सोशल मिडियाक कारण मैथिली लेखनी-पठनी तथा राजनैतिक अधिकार प्रति सजगताक उदाहरण दैत भविष्य मे सेहो सोशल मिडिया सँ अनेको प्रकारक सफलता भेटबाक बात कहलैन।

mlf d7अमित आनन्द सोशल मिडियाक विभिन्न सकारात्मक उपयोगिताक प्रशंसा करैत असल धरातल पर सेहो कार्य करब जरुरी रहबाक बात कहलैन। मिडियाक दुरुपयोग होयब आ मात्र हावाबाजी मे व्यस्त रहबाक उदाहरण सँ परहेज जरुरी हेबाक बात पर सेहो ओ जोर देलनि। तहिना बाल मुकुन्द पाठक सोशल मिडिया सँ क्रान्ति कोना संभव भऽ रहल अछि तेकर विभिन्न उदाहरण सोझाँ मे रखलैन। ओ लघु प्रेम कथा केर मैथिली मे लेखनक उदाहरण दैत कहलैन जे मात्र किछेक युवाक ई नियार आ बस किछुए समयान्तराल मे मैथिली साहित्य केँ एकटा नव विधा केर अवदान भेटब सोशल मिडियाक चमत्कार मानल जा सकैत अछि। एहि सत्र मे सोशल मिडियाक ढेर रास स्वरूप पर चर्चा होएत वक्ता लोकनिक विषयेतर चर्चा उठेला सँ कनेक विवादित बनल परन्तु साकांछ दर्शक केर टोकला पर पुनः सारगर्वित चर्चाक दिशा मे बहस केन्द्रित रहल जेकर प्रशंसा मुक्तकंठ सँ उपस्थित दिग्गज स्रष्टा लोकनि करैत देखेला।

mlf d8फेर ब्रेक उपरान्त शुरु भेल ‘कवि आ कविता’। एहि सत्रक संचालन मैथिलीक सुप्रसिद्ध आ वरिष्ठ साहित्यकार – लेखक – स्तम्भकार सुकान्त द्वारा कैल गेल तथा कविक रूप मे मैथिलीक प्रसिद्ध आ वरिष्ठ कवि उदयचन्द्र झा विनोद भाग लेने छलाह। साहित्य अकादमी सँ पुरस्कृत स्रष्टा उदयचन्द्र झा विनोद आर सुकान्त सोम बीच विनोदपूर्ण वार्ता सँ आरम्भ ई सत्र श्रोता सब केँ भाव-विभोर बना देने छल। ७३ वर्ष केर उम्र मे जाहि उर्जाक दर्शन कवि विनोद द्वारा दर्शक दीर्घा केँ कराओल गेल ओकर गहिंराइ केँ नापब एतय असंभव बुझा रहल अछि। किछु यैह भावना सँ ओत-प्रोत कैप्टेन श्याम दरिहरे एहि सेशन केँ पूरा होयबा मे घड़ीक सुइया संग चलब छोड़ि बस दिग्गज कविक कविता वाचन मे डूबल देखेला। हँसी, ठहाका आ तालीक गरगराहट सभाक अलौकिकता स्वयं बयान कय रहल छल।

mlf d9कवि उदयचन्द्र झा विनोद द्वारा हालहि दिवंगत अपन धर्मपत्नी केँ स्मृति मे आनि हुनकहि समर्पित एकटा रचना सुनौलनि – मार बाड़हैन, एहेन कोन कविता… कविते संग रातियो सुतैत छथि… कविता हमर सौतिन… आर एहने-एहने जोरदार चुटुक्का छंद सँ भरपूर हुनक ई रचनाक एक-एक शब्द तऽ जे भारी-भरकम आ माइन्ड ओपनिंग छल से एक तरफ, श्री विनोद केर प्रस्तुति शैली सेहो लाजबाब छल जे दर्शक केँ अपना संग बान्हिकय रखने रहल। अथ उत्तरकथा, बाजए बद्री, जनपद आदि अनेकों रचनाक प्रस्तुति कएलाक बाद सुकान्त सोम द्वारा भाइ अजित आजाद सँ कवि केँ जल उपलब्ध करेबाक विनोदपूर्ण टोक देला पर मात्र विश्राम लेलनि कवि। सभा मे उपस्थित एक-एक श्रोता एहि क्षण केँ अपन हाथ सँ छोड़बाक इच्छा मे एकदम नहि देखाएत छलाह। लगभग बरोबरि उमेर केर संचालक आ कवि केर बीच भऽ रहल तुक्का रूपी वार्ता एहि सभा मे आरो मसल्ला मिला रहल छल। शायद मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर ई सत्र मूल प्राण छल, मुदा आनो-आन सत्र कोनो दृष्टि सँ कम नहि छल। यैह सँ एकर शीर्षक मे एक्कहि टा बात औचित्यपूर्ण लागल – अलौकिक आ अविस्मरणीय।

mlf d10कवि उदयचन्द्र झा विनोद एकटा खूलल किताब समान अपन हृदयक बात सब रखैत रहलाह। कविताक भाव मे अपन माटि-पानिक चिन्ता छल, अपन लोक केर चिन्ता छल, भाषा-संस्कृति आ देशक चिन्ता छल। बाद मे दर्शक दीर्घा सँ भेटल प्रश्नक जबाब मे सेहो ओ ओतबे निर्भीक स्वर मे जबाब देलनि। एकटा प्रश्न जे भाषा-शैली मे अपन खास मौलिकताक प्रयोग करैत छी किम्बा ई कोनो आरक अनुकरण छी, ताहि पर ओ खुलिकय बजला जे हमरा बुझने मौलिकता कोनो वस्तु होइते नहि छैक, हमहुँ यात्री आ राजकमल केर कविता शैली सँ प्रभावित हुनकहि सब केँ नकल केने छी, ओ पुनः विनोदपूर्ण शैली मे कहला ‘हमहुँ नकलची छी’। हुनक एहि सपाट – सटीक स्वीकारोक्ति दर्शक दीर्घाक हृदय पर मानू राज कय रहल छल।

mlf d11तदोपरान्त ‘कलौ’ अर्थात् भोजन व विश्राम केर वास्ते पूर्व निर्धारित समयानुसार ब्रेक लेल गेल। आर भोजनोपरान्त पुनः ३ बजे सँ आरम्भ भेल महेन्द्र मलंगिया केर नाटक ‘छुतहा घैल’ पर चर्चा। एहि सत्रक नाम छल ‘हम नाटक देखब’ जेकर संचालन केने छलाह कमल मोहन चुन्नू तथा विमर्शीक रूप मे सहभागी छलाह वन्दना किशोर, डा. अशोक अविचल तथा कुमार गगन। एहि नाटकक शैली आ लेखकक विशेषता पर सब विज्ञ विमर्शी लोकनि अपन-अपन मत रखने छलाह। मैथिली भाषाक नाटक शैली मे महेन्द्र मलंगिया केर अपन विशिष्ट स्थान रहितो किछु बातक आलोचना सेहो कैल गेल छल।

mlf d12दोसर दिनक पाँचम सत्र मे औराही हिंगना सँ प्रसिद्ध साहित्यकार फणिश्वरनाथ रेणुक स्थापित संस्कृति मंच केर संयोजन मे आयल विदापत नाच केर टोली द्वारा विलोपोन्मुख लोकनृत्य केर भव्य प्रस्तुति कैल गेल। जखन कि निहित १ घंटाक समय मे एकर अन्तिम दृश्य पूरा नहि देखाओल जा सकल, परन्तु विदापत नाच केर विधा कि थीक ताहिपर सुलझल कलाकार द्वारा रंगकर्मक प्रखर प्रस्तुतिक संग प्रदर्शन दर्शक सबकेँ भाव-विभोर कय देने छल। एतय सत्र समन्वयकर्ता श्याम दरिहरे द्वारा बजाओल गेल व्हिसिल मानू दर्शक केँ एकदम पसिन नहि पड़लनि, मुदा समयक नियम मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर पहिल अनुशासन होयबाक कारणे कोनो लचक बिना आगू बढैत रहल। विदापत नाच खासकय विद्यापतिक पदावली केँ आम जनवर्गीय मानस मे कोना नाचि-गाबिकय बुझाओल जेबाक एकटा परंपरा मिथिला मे चलल तेकर विलक्षण प्रस्तुति बुझायल। ओ चाहे महेशवाणी हो वा राधा-विरह या फेर नख-शिख वर्णक केर श्रृंगार रस सँ रचल विद्यापतिक पदावली, एकर कीर्तन रूप मे नाच करैत कथा कहि-कहि लोक केँ बुझायब खासियत छल।

mlf d13दोसर दिवसक अन्तिम सत्र अरिपन (पटनाक एक प्रसिद्ध रंगकर्मी समूह) द्वारा ज्योतिरिश्वर ठाकुर कृत् पौराणिक नाटक, जेकरा एसिया महादेश केर पहिल नाटक होयबाक सौभाग्य सेहो प्राप्त छैक, जेकर नाम थीक ‘धूर्त समागम’, एकर प्रस्तुति कैल गेल छल। मांजल कलाकार लोकनिक द्वारा मंचित एहि नाटक द्वारा धूर्तनगर मे कोना लोक एक दोसर संग धूर्तइ करैत अछि, आर फेर कोना लोक एक गणिका केर पाछाँ बेहाल होएत अछि तेकर प्रदर्शन कैल गेल छल। एहि मे संन्यासी सँ लैत नगरक न्यायकर्ता धरि केँ मायाक जाल मे बन्हल देखायल गेल। ज्योतिरिश्वर ठाकुर केर प्राकृत (संस्कृत एवं अवहट्ठ मिश्रित) भाषा मे लिखल नाटक धूर्त समागम केर अनुवाद सुप्रसिद्ध नाटककार अरविन्द अक्कू द्वारा कैल गेल छल। जखन कि एहि नाटक केर निर्देशन रविन्द्र राजू द्वारा कैल गेल। प्रदर्शन उपरान्त निर्देशक रविन्द्र राजू भंगिमा रंगसमूह केर अप्रत्यक्ष सहयोग प्रति सेहो आभार प्रकट केलनि आर पात्र सब सँ परिचय करेबाक कार्य अजित आजाद केने छलाह। नाटक मे सूत्रधारक भूमिका रत्नेश झा सपत्नीक केने छलाह। गणिकाक भूमिका केर सेहो भरपूर सराहना कैल गेल छल। किरणजी द्वारा धूर्त संन्यासीक भूमिका आर मिश्रजी नैयायिक केर भूमिका अदा कएनिहार कलाकार सहित लगभग सबहक प्रदर्शन अत्यन्त उत्कृष्ट रहल छल।

mlf d14एहि प्रकारेन् मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर दोसर दिनक समापन भेल। आजुक दिन सेहो विभिन्न कवि – लेखक लोकनिक रचना (कृति) सब कार्यक्रमक बीच-बीच मे विभिन्न स्रष्टा लोकनिक हाथ सँ विमोचन होएत रहल छल। संगहि विमोचित पोथी सहित अन्यान्य पोथी सबहक बिक्री सेहो बाहर लागल पुस्तक प्रदर्शनी मार्फत होएत रहल। बाहर प्रदर्शनी मैथिली साहित्य संस्थान केर तरफ सँ सेहो मिथिला भारतीक विभिन्न अंक, मिथिला दर्शन केर पुरान सँ नव धरि अनेक अंक आर विशेषांक सब खूब बिक्री होएत रहल छल। कार्यक्रमक समापन उपरान्त श्याम दरिहरे सब गोटा सँ भोजन केलाक बादे विश्राम हेतु प्रस्थान करबाक अनुरोध करब नहि बिसरैत छलाह। सब तरहें आयोजन अपन चरम् उत्कर्ष पर छल आर एना लागि रहल छल जेना मैथिली साहित्य जगत् केर संपूर्ण पुरोधाक संग-संग सब उमेर केर स्रष्टा एक संग एक परिवार मे एकत्रित होएत ई उत्सव मना रहल छलाह। आनन्द केर बरसात भऽ रहल छल। जगह-जगह मात्र दिन भरिक अलग-अलग सत्र केर होएत रहल छल। केकर प्रस्तुति केहेन भेल, आदि-इत्यादि सँ एकटा अलगे संस्कारक संसार पटनाक यूथ होस्टल मे मानू उतैर गेल छल।

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