पटना। फरबरी १५, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल – तीन दिवसीय साहित्य सम्मेलनक संग पुस्तक मेला, मिथिला खान-पान एवं चित्रकला प्रदर्शनीक अपूर्व आयोजन, साल २०१४ केर पहिल आर एहि बेरुक दोसर आयोजन दिसम्बर १२-१४, २०१५ केर तारीख परिवर्तन भेलाक बाद फरबरी १२-१४, २०१६ मे भव्यतापूर्वक संपन्न भेल अछि।
मैथिली लेखक संघ, पटना द्वारा आयोजित, कथाकार अशोक केर संयोजन, श्याम दरिहरे केर समय एवं कार्यक्रम समन्वय तथा महासचिव विनोद कुमार झा द्वारा अतिथि-स्वागत-सत्कार मे “मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल” मैथिली साहित्य जगत् केर एकटा महाकुंभ समान प्रखर स्वरूप मे देखायल।
कोलकाता, दिल्ली, जमशेदपुर, जनकपुर, काठमांडु, विराटनगर केर अतिरिक्त पटना, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, पुर्णियां, कटिहार, औरंगाबाद, राँची, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया आदि जिलाक विभिन्न ठाम सँ मैथिली साहित्यक एक सँ बढिकय एक पुरोधा, संगहि साहित्यक पौराणिक विधा खिस्सा, नाटक आ विदापत नाच केर स्रष्टा लोकनिक विशाल जमघट लागल।
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल मे विभा दास केर मिथिला चित्रकला सँ सजल परिधान व गृह-सज्जाक सामान केर प्रदर्शनीक संग-संग पेटल्स लिफ व अन्यान्य आर्टिस्ट एवं आर्ट डिजाइनर सबहक कलाकृतिक व्यवसायी उत्पादक प्रदर्शनी सेहो लागल छल। मैथिली साहित्य संस्थान, मैथिली अकादमी, मिथिला दर्शन, शिव पुस्तक भंडार द्वारा मैथिली भाषाक एक सँ बढिकय एक पोथी, शोधग्रंथ, जर्नल, पत्रिका, पुरान प्रकाशनक संकलन केर प्रदर्शनी लगाओल गेल छल। आर तऽ आर, मिथिलाक प्रसिद्ध खाद्य परिकार माछ-चुरा, आमक चटनी, अँचारक सचार संग अन्यान्य वस्तु जेना अदौरी, तिलौरी, तिसियौरी, दनौरी, मुरौरी, कुम्हरौरी, चरौरी आदिक प्रदर्शनी लगाओल गेल छल। पटना, मधुबनी एवं दरभंगा जिलाक विभिन्न ठाम सँ सहभागी कलाकार, गृह-उद्योगी आदि सुन्दर सहभागिता देने छलाह।
यूथ हॉस्टल, पटना केर प्रांगण मे लागल विशाल पण्डाल कोनो नव विवाहित दूलहिन समान सजाओल गेल छल। फ्रेजर रोड – पाँच सितारा मौर्या होटल केर ठीक बगल मे अवस्थित एहि कार्यक्रम स्थल पर अतिथि लोकनिक रहबाक – खेबाक इन्तजामक संग कार्यक्रम आयोजनक करबाक विशाल मंच ओ पण्डाल बनाओल गेल छल। सब किछु एकदम वैज्ञानिक तौर-तरीकाक संग! आगन्तुक अतिथि लोकनि दूर-दूर सँ अबैत छलाह, मैथिली साहित्य आ पत्रकारिताक संग प्रकाशन-संपादन सँ सतति सेवादान कएनिहार अजित आजाद हुनका लोकनिक स्वागत करैत विश्राम करबाक कोठरी धरि पहुँचाबैत छलाह। तहिना अमित आनन्द – दीप नारायण विद्यार्थी कार्यक्रम मे सहभागी अतिथि लोकनिकेँ मार्गदर्शन करैत देखाएत छलाह।
आयोजन समितिक तरफ सँ युवा साहित्यकार बाल मुकुन्द पाठक पर बड पैघ जिम्मेवारी देल गेल छलनि। ओ समस्त आगन्तुक अतिथि लोकनिक सिलसिलेवार पंजी तैयार कय रहल छलाह आ हुनका लोकनि केँ जलखय, कलौ एवं रात्रि भोजनक कूपन बाँटि रहल छलाह। एतबा नहि, आयोजन समितिक निर्णयानुसार कोनो प्रकारक सहयोग संकलन करबा लेल ओ रसीदक संग स्वीकृत ५०% रिबेट कूपन सेहो उपलब्ध करा रहल छलाह। ओहि रिबेट कूपन सँ अहाँ आयोजन स्थल पर प्रदर्शनी मे लागल कोनो सामान खरीद सकैत छलहुँ।
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर आयोजनक मूल उद्देश्य मैथिली केँ बाजार मे ब्रान्डिंग केर संग-संग मार्केटिंग करब छल। सहिये बात छैक जे कोनो भाषा जेकर बाजार मूल्य कमजोर पड़ैत छैक ओकर आयू शनैः-शनैः क्षीण होएत चलि जाएत छैक। मैथिली भाषा एवं साहित्य केर बाजार एतबा कमजोर पड़ि गेलैक अछि जे स्वयं मैथिलीभाषी अन्य-अन्य भाषाक नाम सँ अपना केँ चिन्हेबा मे आत्मगौरवक अनुभूति कतेको ठाम करय लागल अछि। एहि कमजोरी सँ निजात पेबाक लेल बिहार राज्य केर राजधानी पटना जतय मैथिली अपन उत्कर्ष लगभग हर क्षेत्र मे बनौलक, ताहिठाम एकर आयोजन रखला सँ देश-विदेश धरि मैथिलीक आवाज पहुँचबा मे सफल भऽ रहल अछि।
वर्तमान मिथिलाक भूगोल अनिश्चित होयबाक कारण मैथिली भाषा-साहित्य मे योगदान देनिहार स्रष्टा लोकनिक पहिचान कतहु अन्हरिया मे गूम नहि भऽ जाय, ताहि सँ सेहो प्रेरित उपरोक्त साहित्य उत्सव अपन नाम मे ‘अन्तर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी’क उपनाम जोड़ि कतेक दूर धरि संवाद संचरण करय चाहि रहल अछि, ई सहजहि बुझय योग्य विषय छैक।
युवा पीढी जाहि मे अंग्रेजी माध्यमक शिक्षा केर लोकप्रियता छैक, तिनका सहित संसारक हर कोण धरि मैथिली ब्रांड केँ पहुँचेबाक सारगर्वित संदेश एहि मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल सँ जाएत अछि। एकर प्रारूप पर मैथिल लेखक-स्रष्टा सब बहुत गंभीरतापूर्वक विचार करैत साहित्य ओ संस्कार केर हर विधा केँ अलग-अलग सत्र मे समेटने छथि, संगहि एकर सफलतापूर्वक संचालनक वास्ते अनुशासन सँ भरल कतेको रास कठोर नियम तक बनाओल गेल अछि। सब सँ पैघ बात, मैथिल केर आम आदतिक ठीक बिपरीत घड़ीक सुइया संग चलबाक एकटा अत्यन्त प्रेरणास्पद कार्य करब तथा पूर्व निर्णीत योजना मे कनिको टा संशोधन कार्यक्रम-काल मे सोचबो नहि करब एहि आयोजनक अपन खास विशेषता मे गानल जा सकैत अछि। भलेहि तत्काल उपस्थित परिस्थिति एहि वास्ते नीक कहय वा बेजाय, मुदा नियम केर पालन करब एहि आयोजनक मानू खास धर्म हो।
कार्यक्रम मे कि सब विषय पर चर्चा भेल
सबसँ पहिल दिन – शुरुआत बिना कोनो ताम-झाम आ गफ-गाफ – कार्यक्रम संयोजक कथाकार अशोक केर संचालन मे ‘मोन पड़ै छथि’ सँ शुरु भेल। एहि सत्र मे विमर्शी विचारक छलाह – डा. भीमनाथ झा, फूलचन्द्र मिश्र रमण, प्रेमलता झा, राम लोचन ठाकुर एवम् मनोज मनुज। हालहि दिवंगत मैथिली भाषा कथाकार लोकनि केँ श्रद्धांजलि देल गेल।
श्रद्धांजलि मुख्य रूप सँ केन्द्रित रहल भाइसाहेब अर्थात् राज मोहन झा पर, मुदा एहि क्रम मे मोन पाड़ल गेलाह सत्यानंद पाठक, डा यंत्रनाथ मिश्र व किछु अन्य स्रष्टा लोकनि। भाइसाहेब पैछला वर्ष मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल व्हील चेयर पर बैसिकय निरंतर तिनू दिन देखलैन, ई कहैत कथाकार अशोक भाव-विह्वल भऽ श्रद्धा स्वरूप अपन आँखिक नोर केँ बहरेबा सँ रोकि नहि सकलाह। डा. भीमनाथ झा द्वारा भाइसाहेब केर जीवन पर प्रकाश दैत श्रद्धांजलि सुमन अर्पित कैल गेल छल।
तहिना साहित्यकार फूलचंद्र मिश्र रमण द्वारा मैथिली साहित्यकार रमाकांत मिश्र अर्थात् रामू केँ मोन पाड़ल गेल छल। साहित्यकार राम लोचन ठाकुर द्वारा मैथिली नाटककार गुणनाथ झा केँ मोन पाड़ैत हुनकर जीवन पर प्रकाश देल गेल छल। मैथिली लेखिका प्रेमलता झा द्वारा सकुन्तला चौधरीक जीवन पर प्रकाश दैत हुनका मोन पाड़ैत श्रद्धा-सुमन अर्पित कैल गेल छल। मंचासीन मनोज मनुज द्वारा मैथिली साहित्यकार एवं नाटककार कुमार शैलेन्द्र केँ मोन पाड़ल गेल छल।
तदोपरान्त दोसर सत्र मे मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर दीप्ति प्रज्वलनक संग उद्घाटन कैल गेल छल। एहि सत्र मे वरिष्ठ साहित्यकार कीर्ति नारायण मिश्र, मैथिली लेखक संघ केर अध्यक्ष नरेन्द्र झा, पद्मश्री डा. उषा किरण खान, मैथिली साहित्यकार सुभाष चन्द्र यादव तथा नेपाल सँ मैथिली साहित्यकार डा. राम भरोस कापड़ि सहभागी भेल छलाह। एहि सत्रक संचालन मैथिलीक सुप्रसिद्ध रेडियो प्रस्तोता छात्रानंद सिंह झा उर्फ बटुक भाइ कएलनि।
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर परिकल्पना आ एकर क्रियान्वयन पर प्रकाश देबाक संग-संग एकर उपलब्धि मैथिली केँ संसार मे समृद्ध भाषाक रूप मे स्थापित करबाक बात वक्ता लोकनि अपन विचार मे रखने छलाह। उद्घाटनकर्ता कीर्ति नारायण मिश्र एहि तरहक आयोजन मे युवा पीढीक सहभागिता बढेबाक विचार देलनि, तहिना डा. उषा किरण खान पटना मे एहि तरहक आयोजन करबाक लेल अपन जगह (चेतना समिति द्वारा निर्मित विद्यापति भवन) उपलब्ध रहितो आन-आन ठाम होयबा पर चिन्ता व्यक्त करैत एकर ऐगला आयोजन ओहि ठाम करबाक भावना व्यक्त केलनि। ओ किछु आक्रोशित होएत कहली जे बहुत संघर्ष सँ मैथिलीक सेवा लेल उपलब्धि हासिल कैल गेल छल जे आइ अपन बाट सँ भटैक गेल अछि, एकरा फेर सँ बाट पर अनबाक लेल जँ संघर्ष करय पड़त तऽ ओहो आगु रहती। डा. खान द्वारा युवाक सहभागिता जरुरी होयबाक बात कहल गेल, संगहि ओ पदलोलुपताक कमजोरी वर्तमान पीढीक कमजोरी थीक ताहि पर सवाल उठेलनि। ओ कहलनि जे एकटा मेगा इवेन्ट सँ लक्ष्य केर प्राप्ति नहि भऽ सकैत अछि, एहि लेल बीच-बीच मे एहेन कार्यक्रम सबहक आयोजन करब जरुरी अछि जाहि सँ युवा सहभागिता मे उल्लेखनीय वृद्धि संभव होयत।
सुभाष चन्द्र यादव मैथिली साहित्य केर सेवा केँ बाजार संग जोड़बाक प्रयासक रूप मे मैथिली लिटरेचर फेस्टिवलक खूब प्रशंसा करैत एकर सफलता लेल शुभकामना देलनि। तहिना डा. राम भरोस कापड़ि द्वारा भारतीय मिथिलाक्षेत्र मे नेपाली मिथिलाक्षेत्रक मैथिली गतिविधि व खास कयकेँ पोथीक प्रकाशन आदि पर गंभीरता सँ समाचार संप्रेषण नहि भऽ पेबाक कारण कम जानकारी रहबाक बात कहलनि। संगहि, भारतीय मिथिलाक बाजार क्षेत्र मे नेपाली मिथिलाक प्रकाशित पोथी सबहक बिक्री-वितरण आ प्रचार-प्रसार मे सहयोगक अपेक्षा सेहो रखलैन। नव नेपाल केर संघीयता मे मधेस तथा ओहि ठामक मुख्य भाषा मैथिली भेला सँ एहि भाषाक भविष्य आरो नीक होयबाक आश्वासन सेहो डा. कापड़ि द्वारा देल गेल छल। आगामी कार्यक्रम सँ नेपाल मे प्रकाशित मैथिली पोथी लेल एकटा अलगे स्टाल उपलब्ध करेबाक माँग ओ आयोजनकर्ता सँ केलनि।
चर्चाक क्रम मे मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल पटना सँ इतर अन्य छोट-छोट शहर सब मे आर मिथिलाक मूल भूमि पर सेहो आयोजित कैल जेबाक चाही ई विचार आयल। साहित्य एवं संस्कृति केँ समर्पित ई आयोजन हाल समूचा देश केर रोल मॉडल थीक। नव लोक केँ प्लेटफार्म देबाक गरज सँ एहि सँ बेसी नीक आयोजन आर दोसर कोनो लिटरेचर फेस्टिवल नहि अछि, ई विचार वरिष्ठ साहित्यकार कीर्तिनारायण मिश्र द्वारा व्यक्त कैल गेल छल। हिनका द्वारा वर्तमान युवा पीढीक सजगता अपन भाषा ओ संस्कृति प्रति बढबाक बात कहल गेल – ओ कहलैन जे युवा सब भाग लैथ, हम सब हुनका प्रोत्साहित करी। लेट देम पार्टिसिपेट, लेट अस एप्रीसियेट। मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर दोसर आयोजनक रूप केँ ग्रान्ड कहैत ओ भरपूर प्रशंसा सेहो केलनि। ओ नव पीढी द्वारा अपन भाषा-साहित्य प्रति समीक्षा लिखबाक कला केर चर्चा करैत यैह सजगता मैथिली भाषाक अमरतत्त्व होयबाक बात कहलैन।
एहि सत्र मे मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर दोसर आयोजनक स्मारिकाक विमोचन कैल गेल। एकर संपादिका प्रो. पन्ना झा सहित मंचासीन वरिष्ठ साहित्यकार लोकनि द्वारा सामूहिक रूप सँ स्मारिकाक विमोचन कैल गेल छल।
आयोजक मैथिली लेखक संघ केर अध्यक्ष नरेन्द्र झा नेपालक त्रिभुवन विश्वविद्यालय मे मैथिलीक समृद्ध पुस्तकालयक प्रशंसा करैत मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर कुल १५ सत्र अत्यन्त महत्वपूर्ण रहबाक बात कहैत एकरा सफल बनेबाक आह्वान कएलनि।
उद्घाटन सत्रक तुरन्त बाद तेसर सत्र ‘हम पोथी पढब’ अजित आजाद केर संचालन मे साहित्य अकादमी सँ सम्मानित उपन्यास ‘उचाट’ पर गंभीर परिचर्चा भेल छल। एहि सत्रक विमर्शी-वक्ता कमलानन्द झा, डॉ पन्ना झा एवं डॉ फूलो पासवान छलाह। उचार उपन्यासक भाषा-शैली, कथ्य एवं विभिन्न तकनीकी पक्ष पर अजित आजादक प्रखर प्रश्नक सामना करैत वक्ता लोकनि अपन विचार रखलैन। संगहि सत्रक अन्त मे उपस्थित दर्शक लोकनि सेहो उचाट तथा उपन्यास लेखन सम्बन्धी अपन जिज्ञासा रखलैन जेकर जबाब वक्ता द्वारा देल गेल छल।एहि सत्र मे डा. तारानंद वियोगी केर आलोचना पुस्तक बहुवचन केर लोकार्पण डॉ नारायणजी द्वारा कैल गेल जखन कि सुभाषचन्द्र यादव केर उपन्यास गुलो केर लोकार्पण डॉ भीमनाथ झा द्वारा कैल गेल छल।
चारिम सत्र “आदान-प्रदान” अर्थात् मैथिली भाषा सँ दोसर भाषा मे अनुवाद आर दोसर भाषा सँ मैथिली भाषा मे अनुवाद पर विशेष चर्चा कैल गेल जाहि मे बैद्यनाथ झा, डॉ इंदिरा झा तथा डॉ नारायण झा सहभागी छलाह। एहि सत्रक संचालन प्रदीप बिहारी द्वारा कैल गेल छल। कोनो एक भाषाक जीवन्त बनेबा मे अन्य भाषा-भाषी बीच एकर कथ्य-शैली तथा कन्टेन्ट्स पहुँचेबाक जरुरत होएछ आर अनुवाद एहि लक्ष्य केँ पूरा करैत अछि। जाबत मैथिली भाषाक प्रचार अन्य भाषा-भाषी धरि नहि होयत, ताबत विश्वपटल पर एकर बाजार विस्तार संभव नहि भऽ सकैत अछि। एहि कार्य लेल द्विभाषी मैथिल आर खासकय जे प्रवासक्षेत्र मे रहैत अन्य भाषाक जानकार छथि तिनका पर भार बेसी रहबाक सभादेश भेल छल। अन्य भाषा सँ मैथिली मे अनुवाद सेहो ओतबे आवश्यक अछि जाहि सँ मैथिली भाषाक शैली मे उपयुक्त सुधार-परिवर्तन करैत एकर प्रखरता केँ कायम राखल जा सकैछ।
दर्शकवर्ग सँ प्रश्नकर्ताक रूप मे आइआइएम कोलकाता केर प्राध्यपाक विद्यानन्द झा केर सुझाव अत्यन्त महत्वपूर्ण छल। एहि सत्र मे संचालनकर्ता प्रदीप बिहारी नेपाली सँ मैथिली मे आ मैथिली सँ नेपाली मे अनुवाद करबाक कार्य कएने छथि, तहिना बैद्यनाथ झा पंजाबी सँ मैथिली व मैथिली सँ पंजाबी मे, इन्दिरा झा एवं डा. नारायण जी द्वारा सेहो भिन्न-भिन्न भाषा मे अनुवाद कैल गेल अछि। चर्चाक केन्द्र मे अनुवादक आधार भाषा हिन्दी हेबाक चाही वा नहि ईहो विषय मुख्य छल। सभादेशक मुताबिक मैथिली सँ हिन्दी मे अनुवाद भेलाक बाद पुनः ओ आन-आन भाषा मे अनुवाद स्वतः होमय लगैत अछि ई स्पष्ट भेल छल। अनुवादक केर नाम लेखकक नामक ठीक नीचां हो ई अपेक्षा राखल गेल छल।
पहिल दिनक पाँचम सत्र ‘खिस्सा कहय खिसनी’ मे सुपौल जिला सँ आयल बदरी मुखिया खिस्सक्कर सँ श्रुति-साहित्यक विशेष रूप पर संचालक मैथिली कवि ओ साहित्यकार रघुनाथ मुखिया चर्चा कएलनि। संगहि खिस्साक रूप मे लोरिक आ करिका केर खिस्सा सुनल गेल छल। कोना लोरिक द्वारा दुर्गा यानि देवीरूपी ईश्वर केँ अपनहि शक्ति सँ कार्य करबाक बात कहला पर ओकर परीक्षा लेल गेल, फेर लोरिक केर सती नारी (पत्नी) द्वारा कोन तरहें दुर्गा संग संघर्ष कय इन्द्रपुरी धरि जाएत दुर्गा सँ पतिक वापसी लेल वर माँगि पुनः दुर्गा अपन शक्ति सँ लोरिक केँ करिकाक कारागार सँ मुक्ति दैत स्वतंत्र केलाक बाद, ओकरा पुनर्जीवन देलाक बाद फेर प्रश्न पूछला पर जे कह तोरा के बचेलकौक, तेकर जबाब मे फेर लोरिक अपनहि बल सँ – अपनहि भागे – अपनहि कर्मे जीवन पेबाक बात कहैत देवी दुर्गा केँ पर्यन्त कहबौलक जे “जो रे लोरिक, तूँ जितलें, हमहीं हारलौं”, ई लोकगाथा सुनायल गेल। मिथिला मे एहेन-एहेन लोकदेवता होयबाक एकटा प्राचीन खिस्सा सेहो श्रुति-साहित्यक एक विधा रहबाक कार्यक्रम एहि फेस्टिवल केर एक मुख्य आकर्षण समान प्रतीत भेल। दर्शक एकर भरपूर सराहना करैत देखेला। संगहो विलोपोन्मुख एहि परंपराकेँ बचेबाक एकटा विषय सबहक माथ मे प्रवेश पाबि सकल – ई विचार सभादेशक रूप मे सोझाँ आयल छल। डा. योगानन्द झा केर समीक्षा सेहो खिस्सा कहबाक परंपरा मिथिलाक लोकसाहित्यक हिस्सा रहबाक बात कहलैन। ओ कहलैन जे प्रगतिशील लोकपरंपराक परिचायक थीक ई खीस्सा-पिहानी, संगहि लोरिक केर खिस्सा सँ स्त्री-पुरुष केर आपसी सुमधुर संबंध सँ देवता पर सेहो विजयी प्राप्त करबाक एकटा अनुपम सीख भेटैत अछि – ओ स्पष्ट कएलनि।
फेस्टिवलक पहिल दिनक अन्तिम सत्र ‘गीत-नाद’, जाहि मे पहिल गीत विभिन्न मैथिली कवि लोकनि द्वारा सस्वर कविताक पाठ सँ भेल छल। दोसर ‘नाद’ मे शैली द्वारा मिथिलाक पारंपरिक गीत केर गायन सँ भेल छल। गीत मे सहभागी कवि डा. चन्द्रमणि, अशोक मेहता, फूलचन्द्र झा प्रवीण, सतीश साजन, रामेश्वर निशान्त, रामदेव प्रसाद मंडल झाड़ूदार, जगदीश ठाकुर अनिल, शशिबोध मिश्र तथा स्वयं संचालक कमल मोहन चुन्नू भाग लेलनि।
हिनका लोकनि द्वारा सस्वर कविता पाठ गीत रूप मे प्रस्तुति श्रोता लोकनि केँ परमानन्द मे जे जतेक डूबेलक मुदा मिथिलाक पारंपरिक गीत पर शोध कएनिहार गिरिजानंद सिंह केर प्रस्तुति मे दादी-बाबी द्वारा कोना गीत गायन होएत छल तेकर प्रस्तुति शैलीक सुमधुर आवाज मे श्रोता लोकनि केँ मंत्रमुग्ध कए देलक। एना लागल मानू हम सब सैकड़ों वर्ष पूर्व केर मिथिलाक ओ दृश्य देखि रहल छलहुँ जाहि मे हमरा लोकनिक पूर्वज पीढीक महिला लोकनि गीत गायनी कय रहल छलीह। परन्तु ओ गायन मे बनैली राज केर संगीत शैलीक मिश्रण आ स्वयं शैली सिंह द्वारा ओकर प्रस्तुति – एकटा विलक्षण समा बान्हि देने छल।
अन्त मे हुनकर समदाउनिक गायन जखन हुनकर स्वयं केर नोर नहि रोकि सकल तऽ सहजे अनुमान कैल जा सकैत अछि जे दर्शक-श्रोताक हालत केहेन होयत। एहि शोधकार्यक प्रस्तुति स्वयं शोधकर्ता गिरिजानंद सिंह तथा हुनक सहयोग मे जेठ बहिन श्रीमती भारती झा रहल छलीह। जखन कि मिथिलाक पारंपरिक गीत केर शैलीक गायन सँ बनल सीडीक विमोचन पद्मश्री गजेन्द्र नारायण सिंह द्वारा कैल गेल छल।
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर पहिल दिनक एक-एक पल महत्वपूर्ण छल आर एहि मे सहभागी दर्शक मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी कहैत छथि जे ई दिन जीवनक एकटा अविस्मरणीय दिन केर रूप मे तऽ याद रहबे करत, संगहि एहि सँ नव पीढीक कार्यकर्ता सबकेँ बहुत किछु सिखबाक अवसर भेटल। ओ आह्वान करैत कहलैन जे आगाँ साल सँ एहि मे युवाक सहभागिता बढेबाक दिशा मे ओ महत्वपूर्ण प्रचार-प्रसार करैत रहता। एहि तरहक आयोजन सँ नव पीढी केँ सटीक दिशा भेटत ई सुनिश्चित अछि।