विराटनगर, नेपाल। जनबरी ३१, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली सेवा समिति – विराटनगर द्वारा काल्हि महेन्द्र मोरंग आदर्श बहुमुखी कैम्पस मे मैथिलीभाषाक संचारकर्मी केन्द्रित एकटा महत्वपूर्ण कार्यशालाक संचालन कैल गेल छल जाहि मे मैथिली मे कोना लिखब, कोना पढब आ कोना बाजब एहि विषय पर विज्ञ-विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षु संचारकर्मी सब केँ मूल्यवान् सुझाव आ तकनीकी सब बताओल गेल छल।
कार्यक्रमक संचालन करैत संस्थाक महासचिव प्रवीण नारायण चौधरी कहलैन जे वर्तमान पीढी केँ मैथिली भाषा मे शिक्षा नहि भेटबाक कारण समस्या चरम पर अछि। दोसर बात, मैथिली भाषाक बोली मे विशाल अन्तर कोसे-कोस पानि बदलबाक संग होयबाक कहाबत केँ स्मरण करैत भाषिक पहिचान तैयो कायम रखबाक वास्ते लेखन अनिवार्य विधा रहबाक बात पर जोर देलनि। ओ कहलनि जे जतेक बेसी पढब ततेक बेसी लिखब – पढबाक वास्ते सामग्रीक उपलब्धता लेल संस्थाक पास २०० सँ ऊपर पोथी उपलब्ध अछि आर सदस्य बनिकय कोनो एक पोथी एक सप्ताह लेल लैत ओकरा पढू आ ताहि अनुसारे लेखन मे निरंतर सुधार आनू। पढबाक सामग्रीक दोसर स्रोत ओ अपन व्यक्तिगत पुस्तकालय केर सन्दर्भ सेहो देलनि आर कहलनि जे जखन जाहि विषयक मैथिली पोथी वा पत्रिका वा ग्रंथ आदि लेल जिज्ञासा हो तऽ जरुर हमरा सँ सम्पर्क करू। पठन सामग्री लेल वर्तमान युग मे इन्टरनेट बहुत पैघ माध्यम अछि – बस मैथिलीक कोनो वस्तु तकबाक लेल गूगल वा अन्य सर्च इन्जिन पर ताकब तऽ हजारों-लाखों मे सामग्री उपलब्ध भेटत।
मैथिली भाषाक कवि ओ गीतकार तथा ‘मैथिली हँकार’ साप्ताहिक केर संपादक कर्ण संजय पठन सामग्रीक उपलब्धता सँ पूर्व मैथिली साहित्य पढबाक रुचि होयब आवश्यक रहबाक बात कहलनि। हुनका द्वारा मैथिली मे लेखन, पठन ओ वाचन लेल निरन्तर कार्य करबाक आवश्यकता पर सेहो जोर देल गेल। एहि वास्ते अध्ययन केन्द्रक स्थापना जरुरी अछि। ओ स्मृति मे अनलैन विराटनगर मे बद्री नारायण वर्मा, डा. गणेश लाल कर्ण, राम नारायण सुधाकर समान वरिष्ठ स्रष्टा सब केँ जे बेर-बेर एहि ठाम युवा पीढी केँ लेखन करबाक लेल प्रोत्साहित करैत छलाह। कर्ण संजय पठन संस्कृति मे आबि रहल ह्रास केँ रोकबाक लेल संचार क्षेत्र पर बेसी जिम्मेवारी रहबाक बात कहैत संचारकर्मी द्वारा अनिवार्य रूप सँ मैथिली लेखन केँ निरंतरता देबाक बात रखलनि।
तहिना मैथिली भाषाक कवि तथा अभियानी प्रेम नारायण झा द्वारा घरहि सँ मैथिली बाजबाक संस्कृति अनिवार्य करैत – लेखन मे रुचिक संग लेखनी करबाक अनुरोध केलनि। हुनकर कहब छलन्हि जे शुरुहे मे कियो पूर्णता नहि पबैत अछि। क्रमशः अशुद्धि दूर होएत चलि जाएछ आर लेखनी मे धार सेहो चमैक उठैत अछि। मैथिलीक बोली मे भिन्नताक बात केँ स्वीकार करैत ओहि दिशा मे सेहो पढैत-लिखैत मापदंड मे सुधार एबाक तकनीकी सुझाव प्रशिक्षु सब केँ देलनि। अपन भाषाक कोनो रूप केँ बाजय सँ नहि लजायब आर अनिवार्य रूप सँ लेखन करबाक सुझाव केँ सर्वोपरि रखलैन श्री झा।
आजुक कार्यशाला मे स्रोत वक्ता-प्रशिक्षकक तौर पर अनुभवी पत्रकार जितेन्द्र ठाकुर द्वारा यथार्थ समस्या पर प्रकाश देल गेल छल। नेपाली भाषा मे लेखनीक अभ्यास रहला सँ अपन मातृभाषा मे लेखनी नहि कय सकबाक मुख्य कमजोरी रहबाक बात श्री ठाकुर कहलैन। संगहि, मैथिली भाषा मे लेखन मे अशुद्धिक डर आ पूर्व मे प्रयास केलाक बाद समुचित लेखन नहि कए सकबाक कारणे अर्थक अनर्थ लगबाक दृष्टान्त रखैत ओ कहलैन जे एहि दिशा मे मैथिली भाषाक बेसी सँ बेसी टेलिविजन कार्यक्रम, पत्र-पत्रिकाक प्रकाशनक संग साहित्य अध्ययन केला सँ सुधार आबि सकैत अछि। एहि दिशा मे सेहो आयोजक संस्था तथा समस्त अभियानी लोकनि सँ ओ अपन आग्रह केँ दोहराबैत कहलनि।
दोसर स्रोत वक्ता-प्रशिक्षक बी एफएम रेडियो कार्यक्रम संचालिका तथा मैथिली भाषा व मिथिला संस्कृति प्रति विशेष स्नेह रखनिहाइर अभियानी राधा मंडल द्वारा अपन निजी अनुभव सँ मैथिली बाजय मे कोना उत्कृष्टता आनल जा सकैत अछि ताहि विधा पर प्रकाश देल गेल। ओ कहलैन जे शुरु-शुरु मे हुनका बहुते दिक्कतक सामना करय पड़ल। मुदा बाद मे ओ विज्ञजनक राय सँ बाजबा पूर्व ओहि बात केँ लिखिकय नोटबुक सोझाँ राखि रेडियो पर प्रस्तुत करबाक कला सँ आरम्भ केला पर बहुत फायदा होयबाक अनुभूति सुनौलनि। ओ कहली जे नीक बात सिखबाक समय लोक केँ ताउम्र रहैत छैक। संचारकर्म मे लागल कर्मीक वास्ते सेहो मैथिली शब्द नेपालक आवोहवा मे कम व्यवहार करबाक कारण कठिन त जरुर अछि मुदा असंभव एकदम नहि अछि ओ कहलखिन। मैथिली भाषा मे भऽ रहल एतेक रास कार्यक्रम सब मे सहभागी बनला सँ वाचनक प्रखरता स्वतः बनैत छैक आर कनेक ध्यान दैत रहला सँ भाषिक प्रस्तुति मे विलक्षणता अबैत छैक।
तेसर स्रोत वक्ता-प्रशिक्षक केर रूप मे चीर-परिचित भाषा-अभियानी व संचारकर्मी मकालू टेलिविजनक समाचार संपादक नवीन कर्ण विस्तार सँ लेखन शैली मे सुधार अनबाक विज्ञ राय दैत प्रयास बस शुरु कय देबाक बात कहलैन। पठन सामग्री केर उपलब्धता अनिवार्य अछि आर एहि लेल मैथिली सेवा समितिक प्रयासक सेहो सराहना करैत ओ कहला जे प्रिन्ट मिडियाक महत्व आइयो ओतबे जरुरी अछि आर एहि लेल ओ स्वयं हर तरहें ‘मैथिली हँकार’ साप्ताहिक, ताहू सँ पूर्व ‘सौभाग्य मिथिला’ आदि डेग उठा चुकल छथि। परन्तु लेखन सामग्री उपलब्ध करेनिहार संचारकर्मीक कमीक चलते ओ सब डेग थोड़ेक दूर गेलाक बाद रुकि जाएत अछि ताहि प्रति अफसोस प्रकट केलनि। ओ आह्वान केलनि जे अहाँ जहिना लिखि सकी, लिखू! सुधार करबाक लेल कर्ण संजय समान संपादक उपलब्ध छथि। अहाँ सब सामग्री उपलब्ध करायब शुरु करू, काल्हिये सऽ मैथिली हँकार नामक साप्ताहिक छपायब शुरु करैत छी। एहि घोषणाक भरपूर स्वागत करैत संचारकर्मी लोकनि वचन देलनि जे आब जेना होयत तेना, लेकिन लेखनी करबाक वचन हमहुँ सब दैत छी।
चारिम स्रोत वक्ता – प्रशिक्षक केर रूप मे युवा कवि-गीतकार विद्यानन्द बेदर्दी छलाह जे अपन विद्यालयकाल सँ मैथिली भाषा मे कोनो पाठ्य-सामग्री नहियो रहलाक बावजूद बस सुनैत-पढैत-बजैत-लिखैत आइ बहुत छोटे उम्र मे ‘मिथिला एक्सप्रेस’ समान गीति एल्बमक प्रकाशन आ आगामी समय मे सेहो विभिन्न रचनादिक प्रकाशनक नियार तथा निरंतर लेखनीक उर्जा अपना मे भरल रहबाक बात प्रशिक्षु संचारकर्मी सब सँ शेयर केलनि। अपन यात्रा छिन्नमस्ता एफ एम सँ शुरु करैत आब विराटनगर मे सेहो एफ एम द्वारा अपन मैथिली वाचनक अभ्यास केँ निरंतरता देबाक प्रतिबद्धता प्रकट केलनि। ओ आग्रह केलनि जे पठन, लेखन व वाचन मे कोनो भीड़ नहि छैक जँ प्रयास टा आरम्भ कैल जाय।
कार्यक्रमक अन्त मे बैद्यनाथ ठाकुर व पिंकी मेहताक हास्य-प्रहसन केर प्रस्तुति संग आजुक प्रशिक्षण कार्यशाला सँ प्राप्त लाभ केर उपयोग करैत मैथिली लेखन मे सेहो अपन योगदान देबाक प्रतिबद्धता प्रकट कैल गेल।
तहिना संयोगवश एहि कार्यक्रम मे कुमार पृथु व हुनक श्रीमती, विद्यार्थी फोरम लोकतांत्रिक केर अध्यक्ष धीरज बर्मा सहित विभिन्न संचार क्षेत्रक स्रष्टा लोकनिक गरिमामयी उपस्थिति मे ई कार्यक्रम संपन्न भेल। संचालक तथा आयोजक प्रतिनिधि प्रवीण नारायण चौधरी एहि कार्यशाला केँ निरंतरता देबाक घोषणा कएलनि। ओ कहलनि जे एकटा अध्ययन केन्द्र केर स्थापना विराटनगर मे कैल जायत। जाहि ठाम प्रत्येक शनि दिन किछु काल वास्ते हम सब एकत्रित होयब आर लेखनीक संग पठन तथा वाचनक क्षेत्र मे निरंतर कार्य जारी राखल जायत। ऐगला शनि दिनक कार्यक्रमक घोषणा – स्थान तथा समय पर सब सहभागी प्रशिक्षु केँ जानकारी करेबाक आश्वासन संग आजुक कार्यक्रम केँ समापन कैल गेल।