दिल्ली मे हरकम्पः मिथिलाक प्रसिद्ध उचक्का टोली फेर सक्रिय
किछुए दिन पूर्व मुम्बई सँ दहेज मुक्त मिथिलाक राष्ट्रीय अध्यक्ष एकटा महत्वपूर्ण विचारक संग समाचार पठौने छलाह मुम्बई सँ – ओतय समाजक सब वर्ग आ समूहक आपसी समन्वय सँ कैल जायत महत्वपूर्ण कार्य आर सब कियो एक-दोसर केर कार्य-योजना मे अपन भरपूर सहयोग देता से संकल्प लेलनि अछि।
विगत किछु दिन सँ दिल्लीक मैथिली-मिथिला अभियानी लोकनि मे सेहो हरकम्प मचल अछि – कारण पैछला वर्ष सँ शुरु कैल गेल ‘मैथिली साहित्य महासभा’ केर एक वर्ष पूरा होयबाक दिन २१ फरबरी – २०१६ नजदीक आबि रहल अछि, आर एहि दिन ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ पर मैसाम-दिल्ली पुनः वार्षिकोत्सव मनायत से पूर्वहि सँ नियारल अछि।
तखन हरकम्प एहि लेल मचल अछि जे दिल्ली देशक राजधानी थिकैक आर सौंसे देशक शरीर केँ जेना हृदय (दिल) सँ रक्त-संचार होएत छैक, किछु तहिना मिथिलाक सर्वाधिक प्रवासी मैथिल समाजक किछु अगुआ लोकनि दिल्लीरूपी दिल सँ मिथिला-मैथिलीरूपी शरीर मे रक्त-संचार करबाक सपना देखैत छथि, मुदा ओ सपना सपनहि रहिकय अकाल मृत्युक वरण करैत अछि ई सुस्पष्ट अछि। आउ, फरिछाबैत छी जे आखिर ई कोन दिल, कोन दिल्ली, कोन सपना, केना अकालमृत्यु, कियैक हरकम्प आदि सच मे कि थीक।
दिल्ली हो, मुम्बई हो, चेन्नई हो, कोलकाता हो – कोनो स्थान कियैक नहि हो, मैथिल समाज आइ सर्वत्र उपलब्ध छथि। कारण सब केओ जनैत अछि जे अपन मूल स्थल पर न कृषि सँ, न उद्योग-व्यवसाय सँ आ नहिये कोनो तरहक रोजगारक अवसर सँ आत्मनिर्भरताक स्वाद मैथिल केँ भेटैत अछि, ताहि सँ हुनकर बाध्यता छन्हि जे ओ सब जतय रोजी-रोटीक संग रहबाक आ धिया-पुता केँ शिक्षा दियेबाक मौका देखैत छथि, सब मोह-माया त्यागिकय आइ ओहि नव स्थान पर रहब शुरु कय दैत छथि। मिथिलाक माटि-पानि-संस्कृति सँ सुसंस्कृत हर मैथिल चाहे ओ कोनो जाति वा समुदाय वा धर्मक होएथ, हुनका देशक सब भाग मे सम्मानसहित स्थान भेटैत छन्हि।
आब विरले अपाटक-चरित्रहीन-अपराधी-गुन्डा-आवारा तत्त्व सेहो एतुका होएत छथि जे दर-दर भटकैत रहैत छथि, ताहू बात सँ नकारल नहि जा सकैत अछि। लेकिन अधिकांश लोक गारियो-मारियो सहिकय केवल अपन जीवनक आधार आर आगूक पीढी केँ शिक्षित बनेबाक जोगार मे सतैत लागल रहैत देखाएत छथि। गोटेक लोक अति विपन्नताक दुसह दुःख सेहो झेलैत अपन जीवनयापन कोनाहू चलबैत रहैत छथि, जखन कि बहुतेक लोक आइ सम्पन्न जीवन सँ अपना लेल समाजो लेल सतैत सार्थक कार्य करबाक लेल उद्यत् रहैत छथि। यैह किछु सम्पन्न समाजिक व्यक्तित्व लोकनि समाज केर हित लेल किछु न किछु डेग उठेबाक संकल्प लैत छथि, समूह व संगठन बनबैत छथि आर फेर उपलब्धिमूलक कार्य होयब आरम्भ करैत छथि। मुदा वर्गीय विभेदक आपसी टकराहट मे मैथिल समाजक संघ वा संगठन बहुत दूर धरि यात्रा नहि कय पबैत अछि आर फेर लोक समाजिकता सँ दूर वैयक्तिक प्रयास सँ नीक-बेजा सोचय लगैत छथि। ई यथार्थ रूप थीक मैथिल समाज – ओ चाहे कतहु हो!
मैथिली भाषा केँ संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान भेटबाक चाही ताहि लेल एत्तहि प्रवास पर रहल मैथिलीभाषी केँ जोड़िकय प्रणेता लोकनि दिल्ली सरकार केँ मना लेला आ २००३ मे मैथिली आखिरकार संविधानक अनुसूची मे प्रतिष्ठित भऽ गेल। भारत पर अंग्रेजक बाद अंग्रेजहि समान डिवाइड आ रूल केर प्रवर्तक राजनीतिक विचारधाराक शासन लंबा अवधि धरि रहल, मैथिली केँ कहियो उच्चवर्गक भाषा बनाबैत भाषाभाषी केँ तोड़बाक काज भेल तऽ कहियो मात्र उच्चवर्गीय शिक्षित समाज टाक माँग मिथिला राज्य थीक से कहि राज्यक अधिकार सँ वंचित राखल गेल, तऽ कहियो अकादमीक लौलीपाप दैत मैथिल केँ झुनझुन्ना आ सत्तासुख लेल ऊर्दू केँ बिहारक दोसर राजभाषाक दर्जा देल गेल।
ओ सरकार मैथिली सँ जन्म लेल भाषा सब केँ मैथिली सँ पूर्वहि संविधान मे सम्मानित स्थान देलक, आर एम्हर खुद मैथिल केँ अपनहि भाषा सँ घृणा करबाक परिस्थिति बनबैत सब दिन मैथिल केँ झमाइरते रहल। मुदा संयोग कहू जे भारत मे राष्ट्रवादिताक स्थापना लेल अटल बिहारी वाजपेयी समान दिग्गज साहित्यक स्वाद सँ सुपरिचित नेतृत्व भेटिते भारत मे मैथिली केँ संविधान मे स्थान भेटल, मुदा ओत्तहु कम मसक्कत नहि छल। तथापि डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजु केर शब्द मे, जेकर चौका सँ विनिंग शौट लागल ओहि सचिन तेन्दुलकर केँ मैन अफ द मैच भेटल, तहिना मैथिली प्रति पूर्ण सहिष्णुता राखि एकरा आठम अनुसूची मे स्थान देलक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन आ भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व, आर ताहि मे दिल्ली प्रवासी मैथिल केर संघर्ष – मिथिला-मैथिलीक लेल समर्पित चेतना समिति सहित विभिन्न गंभीर कार्य करयवला संघ-संस्था आ एक सँ बढिकय एक दिग्गज महापुरुष अभियानी लोकनि एहि वास्ते लगातार संघर्ष करैत रहल छलाह से सफल भेल।
उपरोक्त सफलताक श्रेय दिल्ली मे आर के सब लेलक से हम ओतेक गहिंर मे नहि जनैत छी, मुदा हाल किछु वर्ष मे ओतुक्का समाज सँ परिचित भेलाक बाद ई जनैत छी जे बस किछेक लोक व पक्ष एखन धरि अपन खुट्टा ठामे पर गारने छथि आर ओ सब भाषाक बाद राज्य लेल संघर्ष कय रहला अछि। वास्तव मे राज्य पहिनहिये हेबाक चाही मिथिला केँ… भाषा सेहो बहुत पहिनहि स्थापित होयबाक चाहैत छल। मुदा ‘डिवाइड एण्ड रूल’ केर सब सँ पैघ टार्गेट कोनो समाज अछि तऽ ओ थीक मिथिलावासी मैथिल समाज।
ओकरा डिवाइड करय वास्ते बेसी किछु नहि करय पड़ैत छैक, एकटा जे कहाबत छैक ‘बुढियाक फूइस’, बस एतबे काफी छैक एकरा सबकेँ डिवाइड करय लेल। आर, ई डिवाइड मैथिल जनमानस केँ दिल्ली मे सब सँ बेसी कैल जाएछ। कारण, दिल्ली मे आइ मैथिलीभाषी करीब ३० लाख मतदाता छथि जे कतेको रास विधानसभा क्षेत्र आर संसदीय क्षेत्रक भाग्य-विधाता मानल जाएत छथि। आब बुझि जाउ, जत्तहि रहतैक सत्ता प्राप्तिक रसदार फूल ओत्तहि मधुमाछीक रानी यानि राजनीति अपन छत्ता लगौतैक, आर वैह फूलक नेक्टर चूसैत-चूसैत राजनीतिक कार्यकर्ता मधुमाछी सब मधु चूसतैक आ तखन मधु जमा करतैक जे मधुपान करतैक बड़का-बड़का बहेलिया सब – जे चारूकात अपन सम्राज्यरूपी जाल यैह छोटका-छोटका कार्यकर्ता सबहक मार्फत पसारने छैक। ओ चाहे भाजपा हो, चाहे काँग्रेस हो, आर आब एकटा नवका दल भेलैक अछि ‘आप’ जे निकैल गेलैक अछि सबहक ‘बाप’… ई सब अपन-अपन जाल सौंसे दिल्ली मे पसारि देने अछि। एहि मे मैथिल माछ सब सेहो फँसल अछि। आब छोटका माछ केँ बड़का माछ खाएत छैक, सब केँ बुझल अछि। तहिना एतय मैथिलो माछ मे बड़का-छोटका मे छत्तीसक आँकड़ा सदिखन देखल जाएत अछि।
पैछला वर्ष मैथिली भाषा ओ साहित्य प्रति सेवाक भाव सँ राष्ट्रवादी विचारधाराक प्रखर समर्थक संजीव सिन्हा द्वारा मैथिलीक दिग्गज पूर्वज स्रष्टा लोकनि – भोलालाल दास तथा डा. जयकान्त मिश्र केर स्मृति मे दुइ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्तरक पुरस्कार केर घोषणा व मैथिली भाषा-साहित्य प्रति दिल्लीक केन्द्र सँ सेवादानक परिकल्पना संग आरम्भ कैल गेल ‘मैथिली साहित्य महासभा – दिल्ली’। एहि विषय पर काफी तकनीकी विचार-विमर्श मे हम आ संजीव सिन्हा मिलिकय एकटा स्वरूप तैयार करबाक निर्णय केलहुँ।
कानपुर केर मैथिली महायात्रा यानि ४ जनबरी, २०१५ केँ संजीबजी, अमरनाथजी, हेमन्तजी व विमलजी मिश्र द्वारा मोटामोटी तारीख सेहो तय करैत हमरा तैयारी करबाक लेल कहि देल गेल। तदनुरूप हम सब वैचारिक प्रक्रिया उपरान्त आवश्यक प्रारूप पर निर्णय केँ अन्तिम मोहर लगा चुकल रही। आब २१ फरबरी यानि अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर भाइ संजीव सिन्हा व अमर नाथ झा समान दिग्गज एक्जीक्युटिव ब्रेन, संगहि दिल्ली मे उपस्थित लाइक-माइन्डेड एसोशियेट्स सबहक एक बैसार कय लगभग सब तरहक कार्यक्रम कोना-कोना करब ई तय कय लेल गेल।
निस्सन्देह, अमर नाथ झा संग जतेक सकारात्मक कार्यक्षमता छन्हि तेकर जबाब एखन वर्तमान टोली मे दिल्ली मे आर किनको नहि छन्हि आर जे ई बात बुझैत छथि से हुनकर भरपूर आदर करैत सदिखन नेतृत्वकारीक भूमिका मे हुनकहि आगू रखैत छथि। भगबतीक साक्षात् आशीर्वाद ईहो छैक जे अमर नाथ जी नहि केवल सरस्वतीक कृपापात्र छथि बल्कि लक्ष्मीक सेहो असीम कृपा सँ ओतप्रोत हुनकर आर्थिक योगदान एकमुष्ट कोनो कार्यक्रमक आयोजन पूर्वहि लगानी करबाक कूबत रखैत रहल अछि। बाद मे एक मुट्ठी चाउर भले भैर गामक लागत, मुदा पहिनहिये चेक पर साइनकय ओ भाइटल कार्य जेना दिल्ली मे कोनो सभागारक बूकिंग जाहि पर पचासो हजार केर खर्च अबैत छैक से, कार्यक्रमक संपूर्ण पूर्वाधार केर तैयारी, एतेक तक जे हींग सँ हरैद धरि ओ असगरे संयोजन कय लैत छथि। हुनकर सराहना एहि सब वास्ते जतेक कैल जाय से कम होयत। तऽ २१ फरबरीक आयोजन ओ अपना जिम्मा मे लऽ लेलनि आर सल्लाह-मशवरा लेल हरेक रवि दिन वा आनो दिन जेना – जाहि बातक आवश्यकता होएत छल तेना करैत ओ कार्यक्रम अत्यन्त भव्यतापूर्वक निष्पादन कैल गेल। सब जनैत अछि जे ओहि कार्यक्रम सँ अनेकानेक मैथिल दिग्गज पुरोधा लोकनि सेहो अपन मातृभूमिक कर्ज प्रति सशंक-सचेत भेलाह आर ओ सिलसिला आगुओ बढेबाक वचनक संग प्रतिबद्धता प्रकट केलनि।
बस, किछुए मासक बाद अप्रैल ११, २०१५ केँ विराटनगर मे अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन केर आयोजन हम केलहुँ, ताहू मे हिनका लोकनिक सदेह उपस्थिति तऽ रहबे कैल, अमर नाथ बाबु द्वारा समुचित प्रायोजन यथा स्मारिका छपाइ, प्रमाण पत्र छपाइ, विज्ञापन प्रबंध आर सब केँ समेटकय दिल्ली सँ विराटनगर धरि आयब…. अनेको तरहें अपन लगानी सँ मैथिली ओ मिथिलाक पृष्ठपोषण हेतु सदा पीठ पर तैयार रहब… आर कि चाही…. बाकी हमरा तऽ स्वयं त्रिभुवनपति दानी केर खजाना धरि मैथिलीक काज करबाक लेल सीधे पहुँच रहैत अछि… ई दावी आ अनुभवक संग कहैत आबि रहल छी, तही मे सँ एक स्वयं अमरनाथ ईहो थिकाह से जानू। विराटनगर केर कार्यक्रम सेहो नव उर्जा ग्रहण करबाक बड पैघ स्रोत व साधन प्रमाणित भेल। लगभग १५५ गोट स्रष्टा देश-विदेश सँ विराटनगर मे जुमलाह आर भव्यतापूर्वक कार्यक्रम संपन्न भेल। मैथिली साहित्य महासभा – दिल्लीक दोसर पड़ाव ई रहल से कहि सकैत छी। दिल्ली सँ अमरजीक संयोजन मे संजीव सिन्हाजी, सुनील पवनजी, विमलजी मिश्र भाइ, अखिलेशजी एलाह। मोटामोटी महासभाक उद्देश्यक दिशा मे ई डेग सेहो महत्त्वपूर्ण रहल।
मैथिलीक कीड़ा काटब एकटा नव कहावत रूप मे चलन-चलती मे आबि गेल अछि। संजीवजी होएथ वा अमरजी वा हम वा हेमन्त भाइ वा अन्य कतेको अभियानी लोकनि – साल भैर मे किछु न किछु कार्यक्रम सँ अपन मातृभाषा प्रति अनुराग सहित कार्यक्रमक आयोजन करैत रहैत छी, करैत रहब। हम दिल्ली गेल रही तऽ २४ मई केँ महात्मा गाँधी केर स्मारक पर हुनकहि समान सत्य संकल्पक संग मातृभाषा लेल कार्य करबाक वास्ते एकटा छोट मैथिली कवि गोष्ठीक कार्यक्रम विद्वान् स्रष्टा पंकज मिश्राक मुख्य उपस्थिति मे संपन्न भेल छल। झा महेश डखरामी केर मुख्य प्रस्तुतिक संग विमलजी मिश्र, कमलेश किशोर झा, अमिताभ रंजन, संजीत झा, सुशान्त झा, आदित्य भुषण मिश्र, कुमुदानंद झा, पंकज प्रसुन व अन्य स्रष्टा लोकनिक महत्वपूर्ण उपस्थिति मे ई कार्यक्रम सेहो अत्यन्त सारगर्वित रूप मे संपन्न भेल।
एहि क्रम मे महासभाक घोषणा अनुरूप संजीवजी व अमरजीक इच्छा भेलनि जे एकटा व्याख्यानमालाक आयोजन कैल जाय। ताहि बीच मे मैथिली-मिथिला सहित पुरातात्त्विक महत्व व शोधमूलक कार्य मे सदिखन लागल महाभियानी अमित आनन्द संग दिल्ली मे बैसार सँ महासभा स्रोत व्यक्ति तथा विषय केर चुनाव कए लेलक आर व्याख्यानमाला कार्यक्रमक घोषणा सेहो कय देल गेल। ‘मिथिलाक नारी नहि छथि बेचारी’ विषय पर पद्मश्री डा. उषाकिरण खान द्वारा व्याख्यानमाला राखल गेल जाहि मे अध्यक्षता केने छलीह गोआक राज्यपाल डा. मृदुला सिन्हा। आर एहेन गरिमामयी उपस्थिति सँ एहि कार्यक्रमक आयोजनक संपूर्ण श्रेय हम श्री अमर नाथ झा केँ देबनि। कार्यक्रम भव्यताक संग संपन्न भेल। करीब ३०० गोटक क्षमताक सभागार खचाखच भरि गेल छल आर लोक सब निचां फर्श पर बैसिकय सेहो ओहि कार्यक्रमक आनन्द मे डूबल देखायल छलाह। भरोसा बढैत गेल। निर्णय ओहि दिन लऽ लेल गेल जे १०० सँ ३०० भेल आर आब आगाँ ५०० गोटेक सहभागिता सँ आरो भव्यतापूर्वक २१ फरबरी २०१६ केँ मातृभाषा दिवस मनायब।
मुदा मिथिलाक यज्ञ आ बिना विघ्न पूरा होयत…. ई तऽ राजा निमि केर यज्ञ मे वसिष्ठ तथा गौतम ऋषिक बीच प्रतिस्पर्धा सँ आरम्भ पामर-पामर केर लड़ाई कहाँ रूकयवला अछि। ई तऽ आब बुझू जेना मैथिल केर लेल कोनो क्रीड़ा समान भऽ गेल अछि। व्याख्यानमालाक कार्यक्रम सँ पूर्व नस्तरबाज – धूर्त – ठग – गुन्डा तत्त्व पुनः मैथिली साहित्य महासभा मे सींघ काटय लागल, सींघ शब्द जँ बिसैर गेल होइ तऽ सेंधमारी हिन्दीक शब्द सँ प्रतिस्थापित करैत ओहि घटिया चोर सबहक कुत्सित मानसिकता बुझब। सेंधमारी एहेन भेल जे संजय झा नागदह समान एक मैसाम सदस्य नहि तऽ कोनो मिटींग मे भाग लेलनि आ नहिये हुनका आयोजनपक्ष द्वारा कोनो तरहक भूमिका देल गेलनि।
मुदा एत्तहि सँ बनय लागल हिनकर नाक मे खैंठी आर भैरसक ओहि समय सँ संजय नागदह जी ऐगला कार्यक्रम मे अपन डिजाइन सँ करबाक मानू शप्पथ लऽ लेलनि… एम्हर वगैर कोनो समुचित सुझाव-सल्लाह वा विमर्श केने ओ अपन पूर्वाग्रह सँ ग्रसित भावनानुरूप ‘संस्थापक सदस्य’ रूप मे एकटा अलगे मिटींग करैत कार्यक्रमक रूप-रेखा आदि तय कय लेलनि। एहि दिशा मे हुनका सँ पूछला पर ज्ञात भेल जे डा. भुवनेश्वर गुरमैता, भास्कारानंद आदिक मुख्य वक्ताक रूप मे मैथिली साहित्य लोकक मन मे कोना प्रवेश पाओत विषय पर चर्चा करैत ऐगला मातृभाषा दिवस मनाओल जायत।
संस्थापन पक्षक अमरनाथजी संग पूछला पर ओ अनभिज्ञता प्रकट केलनि। तखन हम संजयजी केर प्रस्ताव केँ पूर्वक नियार व उद्देश्य अनुरूप बनेबाक हिसाबे प्रतिकार कएलहुँ। कहलहुँ जे पहिने ढंग सँ बैसार करय जाउ आ तेकर बाद निर्णय लेल जाउ। संजय जी फेर बात मानि गेल छलाह। लेकिन फोन पर हमरा अमरजी व संजीवजीक ढेर-ढाकी शिकायत करैत एतेक तक कहि देलाह जे आब ओहि दुनु गोटाक नेतृत्व केँ नहि मानल जाएत। हम कहलियैन जे जखन शिकायत होएत छैक तऽ लोक सोझांसोझी बात करैत अछि… आदि। खैर! दुइ दिनक समय मांगि हम बात केँ बुझारत करबाक लेल अधिकार सँ अमर जी केँ अनुरोध कैल जे एक बर हुनकर कन्फ्युजन केँ दूर कैल जाउ। ओ बेचारे हुनका फोन केला आ क्लियर सेहो केला।
मुदा…. अफसोस… ओ क्लियर कि भेल आ कतेक भेल.. से नहि जानि। दुइ दिनक बाद फेर आपस मे कोनो बात पर दुनू गोटे भीड़ गेला। ओतय हम अमरजी द्वारा संजयजी प्रति एक्के बातक रटान जे अहाँ सऽ सभागार तक बुकिंग नहि भऽ सकल… एहि पर बेर-बेर टोकबाक कोनो प्रयोजन नहि बुझैत कनेक असन्तुष्ट सेहो भेलहुँ… मुदा संजयजी अन्त-अन्त मे अपन मनक भीतर राखल पूर्वाग्रह सँ हुनका पर राजनीति करबाक आरोप लगा देलनि आर ओ चैट-ग्रुप छोड़िकय चलि गेलाह।
बाद मे फेर हमरा बारे मे अमरजी केँ कियो जनतब देलखिन जे प्रवीणजी संजयजी द्वारा माफी मांगि लेलाक बादो अमरजी केँ एना बैशिंग नहि करबाक चाही कहबाक सत्य बात हमरा सँ परोक्ष मे कहलखिन जाहि सँ अमरजी काफी दुःखी भेलाह, अचम्भित भेलाह आ हमरा सँ एहि लेल स्पष्टीकरण सेहो लेलाह। संजय जी आब न्युसेन्स भऽ चुकल छलाह आर मैसाम केँ फोड़बाक कूचक्र हिनकर लगभग स्पष्ट भऽ गेल छल। अमरजी हमरा सँ पूछबो केला तऽ हम कहलियैन जे बस एक सदस्यक रूप मे संजयजी केर सङ्गोर लैत आगू बढला सँ होएत छैक… कारण हुनका मे बहुत रोष भरल छन्हि आर एहि लेल समझौतावादी अमरजी नहि बनि सकैत छथि ताहि सँ हुनका इतर कार्यक्रम केला सँ बेसी नीक होयत। हम जे बीच-बचाव कएल से ब्यर्थ गेल… बेकार बीच मे पड़लहुँ एना लागल, सेहो कहलहुँ अमरजी केँ। संजयजी संग सामूहिक वार्ताक थ्रेड मे दिल्लीक वर्तमान अवस्था पर चिन्ता व्यक्त करैत एहि सँ दूर रहबाक निर्णय सुनेलहुँ।
फेर कतय कि-कि भेल, कोना समिति बनल, कोना सभागार तय भेल – ई सब हम नहि बुझि पेलहुँ। संजय जी जे बेर-बेर फोन करैत रहलाह कि हम कि करू, हम साइड भऽ जाउ… आदि ताहि पर हम कोनो समुचित जबाब देबाक अवस्था मे आब नहि रहि गेल छलहुँ। कारण अमरजी केँ हमर ओ बात बेजा लागल छलन्हि जाहिमे हम कहने रही जे संजयजी जखन माफी मांगि लेलनि जे सभागार बुक नहि करा सकलहुँ, तखनहु हुरपेट मारबाक दरकार कि.. मुदा बाद मे संजयजी अपन योजनानुसार दोसरे ठाम सभागार बुकिंग करेबाक समाचार देलनि आर विभाजन सुस्पष्ट देखाय लागल।
हेमन्त भाइ सँ आग्रह कएलहुँ जे अहाँ आब प्रयास करू…. कोनाहू दुनु पक्ष केँ मिलाउ… मुदा ओ बिल्कुल सटीक उदाहरण आ परिस्थिति केँ स्मरण करबैत मिरानिसे केर विभाजन स्मृति करबैत एहि बेर सतर्क छी आ सब बात पता अछि से कहि हमर प्रस्ताव केँ स्वीकार नहि केलनि। तहिना कानपुर सँ अनिल भाइ सेहो मैसेज केला आ बीच-बचाव लेल आग्रह केला… मुदा हुनके पर ओ भार सौंपैत हम एहि मे आरो किछु बाजी से नहि निर्णय कय पेलहुँ।
अमित चौधरीजी सेहो बीच्चहि मे सहिये कहने छलाह जे फोन पर जखन चुगली-चापड़ी कय रहल छथि संजय जी तखन हुनका संग समझौताक कोनो औचित्य नहि बनैत छैक। ओ जे निर्णय करैथ, हम सब अपन बाट पर चलैत रहब। तैयो हम संजय जी केँ समेटैत कार्यक्रम करबाक लेल कहैत बस चुप भऽ गेल रही। मुदा संजयजी द्वारा एकटा गूट तैयार कैल गेल – जाहि मे ओ फोन द्वारा सब केँ अपन पक्ष कहैत अपना तरफ करबाक बात जगजाहिर भेल बुझैछ। अमर नाथ जी केर प्रतिभा केँ सम्मान करबाक बदला हुनका सँ बहुते लोक जरैत अछि ई कोनो नव बात नहि थीक।
हम तऽ ई परिस्थिति आइ कतेको वर्ष सँ झेलैत आबि रहल छी। मुदा आइ केयर डैम टू दोज बैक-बाइटर्स वला नीति पर हम अपन कार्य करैत रहबाक लेल प्रतिबद्ध छी। तहिना अमर नाथ जी सेहो करबाक लेल डेग बढा चुकला अछि जेना अनुभूति भेटल। मुदा संजय जी पर सेहो हमरा एहि बीच मे भरोसा बढि गेल छल। भले दोसर ठाम मुदा ओ सकारात्मक कार्य करेता से बुझय लागल रही। परञ्च काल्हि राति मे ओ किछु एहेन तत्त्व केँ जोड़लाह जे सियार-लोमड़ी समान सब दिन नोक्साने करैत रहल अछि। ताहि सँ हमर जे विश्वास छल ओ छलनी भेल आर गारंटी संग कहि सकैत छी जे ई करता कम आ बिगाड़ता बेसी। आर एहि लेल हिनका क्षमा तक नहि भेटतनि। प्रकृति ओ नियति केर न्याय मे अन्याय आ कूनीति केँ कहियो विजयी बनैत हम नहि देखलहुँ। ई हमर अपन भावना थीक, आर एहि सँ किनको प्रति कूवचन-कूबोल कहबाक कोनो मक्सद नहि, कोनो अभिप्राय नहि। बस!
विभाजनक पूर्व इतिहासः मिथिला राज्य निर्माण सेना
एहि विन्दु पर विस्तार सँ कोनो दोसर लेख मे चर्चा करब। एखन एतबे बुझल जाय जे बिल्कुल वैह टोली एखन मैथिली साहित्य महासभाक विभाजन लेल पूर्ण सक्रियता सँ कार्य कय रहल अछि। कनेकाल लेल हम एहि बात केँ नहि भाँपि सकल रही, लेकिन बाद मे स्पष्ट भऽ गेल जे एहि मे आर किछु नहि बस केवल बदनियत सँ कोनो नीक कार्य केँ खन्डित करबाक कुत्सित मानसिकता टा हावी अछि। आर किछु नहि!!
हरिः हरः!!