विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः गजेन्द्र गजुर, मैथिली कवि – गजलकार
नेपालदेश मे मैथिली दोसर सर्वाधिक बाजल जायवला भाषा थीक। एहि देश मे जनगणनाक तथ्यांक अनुरूप दोसर स्थान रहितो आइ धरि सरकार द्वारा कोनो विशेष संरक्षण नहि भेटल। हालहि गणतांत्रिक नेपाल केर पहिल जनता-चयनित सरकार माओवादी पार्टीक अगुवाई मे ‘विद्यापति’ समान महाकविक स्मृति मे एकटा संरक्षण कोष केर स्थापना केलक आर साल मे करीब ५ लाख टाका केर पुरस्कार स्रष्टा सब केँ देनाय शुरु कएलक अछि। लेकिन आश्चर्य लागत जे जनक-जानकीक क्षेत्र वर्तमान नेपाली मिथिला मे रहबाक सार्थकता एतुका जन-गण-मन मे मैथिली प्रति स्नेह सँ साबित होएत अछि। एतय हर जाति ओ वर्ग केर लोक अपन मातृभाषा प्रति नहि मात्र सिनेह रखैत अछि बल्कि सर्जनक्षेत्र मे सेहो बैढ-चैढकय भाग लैत अछि।
आउ, आइ भेंट करी एहने एकटा सेल्फ-मेड मैथिली स्रष्टा युवा गजेन्द्र गजुर संग – जिनकर गजल, कविता आदि रचना सब फेसबुक मार्फत सोझाँ अबैत रहैत अछि। आइ हिनकर परिचय पहिले हिनकहि रचित किछु रचना सँ आरम्भ करी।
मैथिली गजल/गीत
गजल-10
बेर बेर सवाल हमर याह रहैछै ।
सत्य बात किए लगैत बेजाह रहैछै॥
अपना टाङ्ग तर दाबल रहलो पर ।
कछेर प पुहुँचेने किए नाह रहैछै ॥
केतेको बेर डुबकि लगा चुकलि मुदा।
प्रेमक सागर किए गरथाह रहैछै ॥
नजर गुजैरि कऽ त बात नै पुछु मित ।
दिन देखारे प्रेमराह चोटाह रहैछै॥
अहाँ त दुर गगन मे परी बनल छी ।
अहींक चाह मे ‘गजुर’ बताह रहैछै ॥
वर्ण-15
गजेन्द्र गजुर, हाल: लहान मे रहि रहला अछि जखन कि मूल घर हनुमान नगर (सप्तरी) जिला मे छन्हि। सिरहा-सप्तरीक भूमि पर महाकवि विद्यापति सेहो गुप्तवास केने छलाह ई मान्यता अछि। वर्तमान सिरहाक विभिन्न गाम-ठाम मे गजेन्द्र गजुर व अनेकानेक युवा प्रतिभा मे विद्यापति समान सृजनशीलताक प्रखर प्रस्तुति भेटैत अछि। आउ, पढी हिनकर एकटा आरो रचना।
गीत
नन्किरबो मरए, बुढवो मरए ललि अधिकार
सहिद क आत्मा जरए, डगमगाई नै सरकार ।
धुधुवा क गोलीबारुद छाती मे मारे नित दिने
कतेक दिन ओगरबै नेपाल – आब लडबै भिने ।
के सुनतै हो माँए मधेश क पुकार !!
थालम थाल लहु छिरियाल मधेश क’ आँचर मे
टिस चिल्हारि लिखल जेत’ इतिहासक पाथर मे ।
जनि मिटतै माए मधेशक ललकार !!
चैन कोना आबि ता बना सुतै सहिदक तकिया
शासक जत’ विदेशी, स्वतन्त्रता हैत कहिया ।
मधेशी जनता चयन करते निबार !!
गजेन्द्र गजुर केर जन्म २०५५ वि.सं. केर भादव मास ८ गते भेल छन्हि। लिठा प्राथमिक विद्यालय सँ शिक्षा पायब शुरु कएने छलाह। बाद मे महावीर उच्च माध्यमिक विद्यालय मे पढलाह। अपन विद्यालय मे मैट्रीक (एसएलसी) परीक्षा मे प्रथम स्थान (टपर) प्राप्त केलाह। मैथिली साहित्य मे लेखन करबाक प्रेरणा किनका सँ भेटल ताहि पर गजुर जी श्यामसुन्दर यादव, विद्यानन्द बेदर्दी व हेल्लो मिथिला (रेडियो कार्यक्रम) संचालक एवं प्रसिद्ध स्रष्टा धीरेन्द्र प्रेमर्षि केर नाम लैत कहैत छथि जे हिनका लोकनि केँ निरन्तर सुनैत हम अपन साहित्यिक यात्रा अपन मातृभाषा मे आरम्भ केलहुँ।
अपन पहिल साहित्यिक रचना २०७० साल मे सत्यापन साप्ताहिक मे प्रकाशित होयबाक बात मोन पारैत छथि। हाल गजेन्द्र गजुर मिथिला स्टुडेन्ट युनियन केर स्थापनाकाल सँ एहि मे सक्रिय रहैत विभिन्न तरहक अभियान संचालन करैत छथि। अपन जीवनक मुख्य उद्देश्य मातृभाषा मैथिली केर भरपूर प्रचार करबाक संग पेशाक रूप मे पत्रकारिता करबाक बात कहैत छथि। ई मैथिली संग नेपाली तथा हिन्दी मे सेहो कविता, गजल, गीत तथा नाटक आदि लिखैत छथि।
मैथिली जिन्दाबाद हिनका सँ अपन स्मृति मे रहल कोनो ऐतिहासिक-पौराणिक महत्व केर स्थानक संछिप्त चर्चा केँ लिखित समाद पठेबाक आग्रह पर हिनकर लिखल निम्न गद्य-रचना एतय प्रस्तुत अछि।
“इतिहास सप्तरी जिल्लाकऽ सब सँ बेसी पुराण सहर हनुमाननगर छी । एक्कर नामाकंन एहिठामकऽ हनुमान जि के मूर्ति रहलाहके कारणे हनुमाननगर भेल से सहजे अनुमान होइत अछि । ई सगरमाथा अञ्चलके सदरमुकाम आ सप्तरीके सदरमुकाम सेहो छल । भारत कऽ स्वतन्त्रता सेनानी के सेहो एहिठाम कैद केने छल । तकर उपरान्त एहिठाम क’ जनता कैद तोडा क’ भागै मे हिन्कर साथ देलक । हनुमाननगरके कछेरमे कोशी नदी बहैत अछि । तकर बाद कोशी नदी मे बाढिके प्रभाव अजगुते बढ लाग्ल । तत्कालीन शासक वर्गद्धारा सदरमुकाम घुसका’बैक निर्णय कैल गेल । फलस्वरुप सदरमुकाम राजविराज चलि गेल । अखन राजविराज से १२ कि मि पूर्व मे पडैत अछि । आ महेन्द्र राजमार्ग सँ ६ कि मि दक्षिण अछि । हनुमान जि के मूर्तिके कारणे इ गाम चर्चित अछि । अखन कतहु एहन मूर्ति बनय, ई पुर्णरुपेण संभव नहि बुझाएत अछि । विश्वक अति कमे ठाममे ई मूर्ति पाओल जाइत अछि । हालहि एकरा एक नगरपालिकाक रूप मे नेपाल सरकार द्वारा घोषणा केने अछि । जनसंख्या बि सँ २०६८ अनुसार एहि ठामकऽ कूल जनसंख्या ६,२७५ रहल अछि । जहिमें पुरुष ३,१८५ आर महिला ३,०९० अछि । मधेशी समुदाय बसोबास करैत अछि । हिन्दु , मुस्लीम, जैन धर्म केर अनुयायी एतय निवास करैत अछि ।”