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नेपाल केँ गणतंत्र बनेबाक मांग पर शहीद दुर्गानन्द झाक तीन चिट्ठी

नेपाल मे गणतंत्र चाही – एहि मांग लेल शहदाति देनिहार ‘दुर्गानन्द झा’ पर युवा लेखक ‘निराजन झा’ केर संस्मरण आलेख
शहीदक लिखल ओ तीन टा चिट्ठी कतय गेल?
– निराजन झा, राजविराज, सप्तरी। 
shahid durganand jha1२०२० माघ १५ के राति जेलमे करीब १२ बजे दिस दु बेर गोली के आवाज सुनबामे आयल । जेलमे रहिरहल जेलिया सबके लागल आब दुर्गानन्द चलि गेल। किछुवेखन पहिने जेलमे किछकाल हमरा सुत दिय कहि दुर्गानन्द फोंफ काटि सुतल छलाह आ ततबेमे किछ बुटक आवाज सुनलापर अरबिन्द ठाकुर भुरकी दक दुर्गानन्दके उठौने छल । कहाँंदनि खादीक धोती कुर्ता, बण्डी पहिर माथमे त्रिपुण्ड चन्दन आ गरदनिमे रुद्राक्षक मालामे सजल दुर्गानन्द झटपट उठि ठार्ह एना भेल जेना वर वियाहक लेल तैयार रहय । अन्तिम इच्छा जेलर द्वारा पुछलापर ओ आन कोठरीमे रहल अपन जेलक संघतिया अरबिन्द ठाकुर आ दलसिंह थापा के बजाबय कहलक “हम दुर यात्रामे जा रहल छि, अहाँसब नहि घबरायब, गणतन्त्र अवश्य कायम होइत” कहैत ओ पठित गीता आ काशीदेबी केर लेल प्रेमक निसानी रुमाल जेलर केँ दैत ओतय सँ विदा भेलाह । जेलक कारखानामे दुर्गानन्द जि केँ आनि कमलक गाछमे दु बेर फांसी देलोपर नै मरल प्रथम गण्तान्त्रिक शहिद केँ दुइ गोली सँ मारल गेल । हुनका मृत्यु दैत देखनहार एकगोट कैदी हृदयघात स मरि गेल छल ।
१९९९ साल बैशाख शुक्ल एकादशी १४ गतेक दुर्गानन्द झाक जन्म धनुषा जिलाक जटही गाममे भेल छलनि । पिता देवनारायण झाक एकमात्र पुत्र दुर्गानन्द बाल्यकालसँ कुशाग्र बुद्धीक रहथि । २०१५ सालमे भेल नेपालक प्रथम आम निर्वाचनमे नेपाली कांग्रेसक लोकप्रिय नेता रामनारायण मिश्र आ महेन्द्र नारायण निधीक चुनाव प्रचार केनहार दुर्गानन्द २०१७ साल पुस १ मे राजा महेन्द्र द्वारा संसद आ संसदिय सरकार बिघटन कयल गेलापर गाम मे जत-तत अपन आक्रोश देखाबैत अपनामे असीम राजनीतिक चेतना भेलाक परिचय देने छलाह ।
२०१८ साल माघ ९ गते लोकतन्त्रक हत्यारा राजा महेन्द्र जनकपुर भ्रमणपर औता सुनिते नेपाली कांग्रेसक युवा नेता सरोजप्रसाद कोइरालाक संपर्कमे आबि ग्रेनेडक साथ ९ गते माँ मैथिलीके अङ्गना मे ठार्ह भ गेला । कठोर पञ्चायती शासन ब्यवस्थामे राजा ऊपर बम फेकनाइ सामान्य बात नहि छल । जानकी मन्दिरक आगुमे राजा सवार रहल लैन्ड रोभर गाड़ी रुकिते क्रान्तिकारी दुर्गानन्द बम प्रहार केने छलाह । बम गाड़ीपर लागि जानकी मन्दिरक देवालमे टकरा कय विस्फोट भेल छल । हजारौ सैनिकक घेराबन्दीक बादो दुर्गानन्द नहि पकड़ेला आर निडर भ ओही राति जनकपुरक एकटा कुटीमे अपन संगी हेमचन्द्र आ भोगेन्द्रक सँग रहल छल । आ परातभने भारत दिशि चलि गेल छलैथ ।
 
shahid durganand jha2२०१७ साल मार्ग शुक्ल पंचमीक दिन दश्मा मे अध्यनरत दुर्गानन्द जि केर बियाह काशीदेवी झा सँग भेल छल । एक बरखक दाम्पत्य जीवनमे एकटा पुत्र जन्म होएतो बच्चाक प्रसव बेदनामे मरले जन्म भेल छल । क्रूर पञ्चायती व्यवस्था, अनुसन्धानक नामपर बेकसुर सबकेँ देल जा रहल यातना आ कारागार मे राखलगेल अरबिन्द ठाकुर लगायतक संगे कैल जा रहल अमानवीय व्यवहार सँ मर्माहत भेल दुर्गानन्दजी नेपाल आबि अपन गिरफ्तारी स्वयम् देने छलैथ । जलेश्वर जेल मे ओही राति राखि परातभने हेलिकप्टर द्वारा हनुमान ढोकाक डिएसपी कार्यलयमे आनि दुर्गानन्द जि केँ राखल गेल । अपन सहकर्मी सब सँग रहि रहल दुर्गानन्द जी लगायतकेँ भोर आ साँझ दु मुट्ठी चुरा खुवाक राखल जाएत छल । एहेन कष्टकर जीवन व्यतित क रहल दुर्गानन्द जी जेल सँ भागय के सुरसार सेहो केलक मुदा असफल भेलापर एक्केटा सिक्रिमे अलग अलग हथकरी लगा आरो बेसी यातना देल जाय लागल छल ।
नेपाल सरकार द्वारा बिशेष अदालत गठन कय बिना उपस्थित करौने २०१९ भादव १९ गते दुर्गानन्द, अरबिन्द आ दलसिंह केँ मृत्‍युदण्डक सजाय सुनायल गेल आ दुखा सहनी केँ आजीवन कारावास सुनायल गेल । तकरबाद चारुगोटे केँ त्रिपुरेश्वोर स्थित केन्द्रिय कारागारक गोलघरमे राखल गेल । गोलघरक यातना अत्यन्त पीड़ादायक भेलापर दुर्गानन्द जी केर नेतृत्वमे सब गोटे अनशन सेहो कयने छलाह ।
 
“दो हंसों का जोड़ा बिछर गयो रे गजब भयो रामा जुलुम भयो रे” गीत काशीदेवीक विरहमे दुर्गानन्द जी जेल मे गुनगुनाइत रहैत छलाह आ कखनो-कखनो “तेरी जुल्फों से जुदाई तो नहीं मांगी थी, कैद मांगी थी रिहाई तो नहीं मांगी थी” नेपाली कांग्रेस पर गबैत रहैत छलाह । जेलमे खाइलेल नै पेलापर दुर्गानन्द जि मुस आ बरखा मौसम मे डोका पकैड़कय खा लैत छलाह । नेपालक कानूनमे ब्राह्मण आर स्त्रीकेँ फाँसी नहि देबाक व्यवस्था केँ संशोधन कय केँ दुर्गानन्द जी केँ फाँसी आ बाँकी सहयात्री केँ आजीवन कारावास देबाक निर्णय बाद मे लेल गेल छल ।
अन्ततः २०२० माघ १५ केँ बेरियांखन ४ बजेक आसपास दुर्गानन्द सँ भेटबाक लेल हुनकर माँ आ धर्मपत्नी केँ आनल गेलनि। ओही सँ पुर्व दुर्गानन्द जी गीताक पाठ केने छलाह । दुर्गानन्द कतबो सम्झाबैत रहि गेला मुदा हुनकर माय आर धर्मपत्नी नोरेझोरे बेहाल भेल छलीह । “माँ अहाँक दूध देशकेँ गण्तन्त्र प्राप्ति लेल काज केलक। एक दिन अहाँ सबकेँ ताकि कय लोक सम्मान करत।” कहि दुर्गानन्द विदा भेलाह ।
साँझक करीब ५ बजे चौकीदार बद्रीराम भण्डारी केँ चुपेचाप दुर्गानन्द जी स भेंट करौलक। भेटमे दुर्गानन्द “आब अहि देशमे जल्दिये प्रजातन्त्र आयत। अहाँ सब निडर भ रहु।” कहि दुर्गानन्द जी तीनटा चिट्ठी चौकिदारक हाथमे देलाक बात भण्डारी केँ बतौलनि । एकटा चिट्ठी पार्टीक सभापति सुवर्ण शमशेर जी केँ, दोसर माँ के लेल आ तेसर चिट्ठी किनका लेल छल से स्पष्ट नहि भऽ सकल अछि। मुदा ओ चिट्ठी चौकिदार जेलर केँ देलक या अपने राखलक तेकरो भेद नहि खुजल । ओहि चिट्ठीक चर्चा त कतौ भेबे नै कैल ।
 
दुर्गानन्द मुल्क आ जनताक लेल फाँसीपर चढि गेला ५२ बरख भ गेल । मुदा जाही उदेश्यकलेल सब किछ त्यागि अपना केँ राजनीति मे सौंपि देलखिन ओ उद्देश्य आ हुनकर सपना पुरा भेल कि नै ? ई हिसाब करबाक समय आब आबि चुकल अछि।
nirajan jha——–
एहि आलेख केर लेखक निराजन झा – मिथिलाक अनुपम डेग नामक संस्थाक संस्थापक छथि। संगहि नेपाल मे मिथिला राज्य केर स्थापनाक समर्थक आर मैथिली भाषाक संग संस्कृतिक रक्षा लेल सदैव कोनो न कोनो नव डेग संग अभियान मे निरंतर सक्रिय रहैत छथि। उपरोक्त संस्मरण आलेख केर संपूर्ण स्रोत हुनकहि पास सुरक्षित अछि।
निराजन झा, राजविराज
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