विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः प्रीति प्रिया झा – मैथिली कवियित्री
संकलनः शिव कुमार झा टिल्लू, जमशेदपुर सँ
लेखनी सँ व्यक्तित्वक पहिचान कैल जाएछ। स्रष्टा प्रीति प्रियाक लेखनी मे प्रस्तुत अछि बेटा, बेटी एवं छठि परमेश्वरी पर तीन कविता। अन्त मे कवियित्रीक परिचय तथा संकलनकर्ता स्रष्टा शिव कुमार झा टिल्लू भाइ द्वारा संस्मरणक किछु शब्द। मैथिली जिन्दाबाद पर शीघ्रे प्रकाशित होयत प्रीति प्रिया केर विस्तृत साक्षात्कार। आइ हुनक लेखनी व जीवनी सँ परिचित होइ हम सब।
१. कऽ देलखिन उपकार महाशय (कविता)
कऽ देलखिन उपकार महाशय
बेटा बनि जनम की लेलखिन
लगैछ जेना अश्वमेध यज्ञक
विश्वविजेता- श्रीराम वा पुष्यमित्र
पाग-मौर मुरेठा ओ पगरी
पहिरबाक उमेर भेलनि नै की
महाराजक भाव राजकुमारक ताउ
बिकबाक लेल तैयार
सत्य हरिश्चन्द्र वचन खातिर
सेहो बिकल छलाह
मुदा! तैयो माथ निचाँ छलनि
एहेन वरदक कोन इज्जति
कोन मान….?
बचबू भगवान
एहेन दैत्यसँ
आर्यावर्त्तक नारीकेँ
चाम मोट, बोल चाखगर
तराजू कमजोर पासंग भरिगर
लाखक लाख टकाक संगे-संग
सोनाक गरदाम चारि चक्का चाही
किछु दिन पछाति एरोप्लेन मांगतथि
कनियाँ चाहियनि विश्वसुन्दरी
डूमि रहल समाज काटरक लीलामे
दुर्भाग्य जे नारीक शत्रु नारी
बापसँ बेसी माय पसारथि गोरथारी
जखन बेटीक माय
तखन कनैत अछि
जखन बेटाक माय
तँ मंगरैल बेटाकेँ
“वासमती” सन कनियाँ चाहियनि
एक्केटा कन्यामे
सोल्होकला छत्तीसो गुण
समाजक अद्योगति उग्र भऽ गेल…।
२. बेटी (कविता)
जन्मए काल, आमक मज्जर
खुशीक पेटार
घरक लक्ष्मी बेटी
मुदा मंचेटापर
सभ कहै छइ बेटी-बेटा एक समान
तँ किअए दुख मनबैत छी
कन्याक जन्मपर
किअए नै जन्माएल जाइ छइ बेटी
एकटा पुत्रक आशामे
सात-सात बेटी
ककरो तनपर साफ वस्त्र नै
मुदा एकटा बेटा-
वएह- बौआ, बाबू, सुग्गा-नूनू
दोष ककरा देल जाए?
सबहक मतिमे पुत्रमोह, तिलकक लोभ
ककरो मति तँ बदलल नै जा सकैछ
बाप बेपारी आ बेटा वस्तु बनि
बजारमे पसरल अछि
बिकबाक लेल तैयार
चाम-मोट मुदा दाम चमनगर
जखन बेटीक बाप – तखन कनैत छी
मुदा! जखन बालकक पिता
तँ भगवानक समान आदर चाही
बेटी सभ मारल जाइ छै
नीके हएत, बेटी खतम भऽ जाएत
रहि जेता सभटा बालक कुमारे
प्रकृतिकेँ चुनौती दिअ?
वाह आर्यवर्त्तक पूत!!
३. छठि गीत
(धुन : लगनी)
भोग दान साध्य देलहुँ
पाबि क’ प्रसन्न भेलहुँ
हो दीनानाथ
एहिना कृपा के अर्चिस सभदिन रहय
अन्न धन सोन देलहुँ
संतति मे रमि गेलहुँ
हो दीनानाथ
सभ घ’र एहने सुरभित वात बहय !!
कातर अवल दीन
दुखित साधन बिन
हो दीनानाथ
छठि के अछैत ओ कोना दुःख सहय
ओकरो करम दियौ
रीति संग धरम दियौ
हो दीनानाथ
भक्तिक सगुन सभ हँसैत गुणय
पुण्य नेह रीतिक दुनिया
नीतिके धुनय धुनिया
हो दीनानाथ
महमह केसर आर्यक भाव महय
अहीं सन दया के दृष्टि
तें ने वसंत वृष्टि
हो दीनानाथ
सभ जन संतोखक गाथा कहय
रचनाकार – प्रीति प्रिया झा,
पिताक नाओं- श्री विजय चन्द्र झा,
माताक नाओं- श्रीमती सीमू झा,
जन्म तिथि- 01/ 03/ 1994
सम्प्रति- स्नातक प्रतिष्ठा ( राजनीति शास्त्र उत्तीर्ण )
आवासीय पता- गोलपहाड़ी मेन रोड, गायत्री मंदिरक निकट, जमशेदपुर।
पैतृक गाम- प्रसाद , मधेपुर, मधुबनी।
मातृक- घोघरडीहा, मधुबनी।
कवियित्री प्रीति प्रिया केर विषय मे विशेष संस्मरण – मैथिली कविता, गीत ओ कथाक सिद्धहस्त युवा हस्ताक्षर शिव कुमार झा टिल्लूक अपनहि शब्द मेः
“मैथिलीक चर्चित गीतकार शिव कुमार झा टिल्लूक धर्मबहिन प्रीति प्रिया जमशेदपुर मे अधिवासी मैथिल समहूक मध्य प्रेेरणास्रोत बनलि ललना छथि . कुशाग्र बुद्धिक विलक्षण बालिका प्रीति केंद्रीय विद्यालयक टॉपर रहलीहें . हिनक जेठ बहिन मैथिली प्रतिष्ठा मे कोल्हान विश्वविद्यालयक टॉपर रहलीहें . ई मैथिली गीत, कविता आदि जेहने लिखैत छथि ओहने ओकर सुमधुर गायन/ वाचन सेहो करैत छथि . अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषदक महाधिवेशन मे हिनक कविता पाठ बहुत प्रशंसनीय रहल . डॉ अशोक अविचल आ डॉ रवीन्द्र कुमार चौधरी जीक सानिध्य मे रहलि प्रीति मैथिलीक नवल पिरहीक मध्य अपन विशिष्ट स्थान रखतीह . विदेह पद्य खंड ( २०१४ ) मे हिनक कविता शामिल अछि.