युवा कवि – गीतकार रौशन मिश्राक दुइ लेटेस्ट रचना

raushan jhaविशिष्ट युवाः परिचय युवा कवि, गीतकार, लेखक तथा अभियानी रोशन मिश्रा, दहेज मुक्त मिथिला – महाराष्ट्र सचिव

– प्रकाश कमती, मुम्बई। जनबरी २४, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!

(१)

किछ नव त किछ पुराण होइ छै
किछ नीच त किछ महान होइ छै
सब किछ बुझितो में लोक आइ
एहन किया अज्ञान होइ छै

जिनगी के खेल आजुक
सत्ते अजीब छै
कबिलाहा सब घर बैसल
बुरबकहा सब केर गुणगान होइ छै
किछ नव त . . . . . . . . . .

ज़ किछ बाजू त
लोक कहत चुप्पे रह
तू बुरबक छैं???
‘अहिठाम’
सत्य बाजै वला के अपमान होई छैll
किछ नव त . . . . . . . . . .

मुदा एना कियैक यौ???
हम अहीं स पुछैत छी?
बुरबकहा सब आगु बढि रहल
कबिलाहा किया हरान होइ छै?
किछ नव त . . . . . . . . . . . . .

प्रश्न त बड्ड भारी अछि
भ्रष्टाचार अखनो जारी अछि
सत्यता केर बाँसुरी पर
झूठ्ठा सबहक तान होइ छै!!
किछ नव त . . . . . . . . . . . . . .

(२)

ई बुढ़ माय केँ कियो नय जग मे
सब अपना जोगार मे लागल छै
ज़ कनियो अप्पन मुँह खोलय त
सब कहैं जे पागल छै!

सबहक एकदिन यैह गति हेतै
अप्पन बेटा के ओ नहि भेतै!
कोना ख़तम हेतै ई मानसिकता
जे रिवाज़ सदियों स लागल छै!!
ज़ कनियो अप्पन मुँह . . . . . . .

एक कौर अन्न लेल तरसल बुढ़िया
आब अपने हाथ झरकाबै छै!
केकरा कहतै ओ अपन ई दुखरा
ओ त अपने पूत के मारल छै!!
ज़ कनियो अप्पन मुँह . . . . . . . .

हृदय फाटै या ई दशा देखि
ओ कपुत के मनोदशा देखि!
की हेतै ओ अबला माय के
जे अपन शरीर स हारल छै !!
ज़ कनियो अप्पन मुँह . . . . . . . . .

उपरोक्त दुनु गीति कविता “दहेज मुक्त मिथिला” महाराष्ट्र इकाई केर नवगठित कार्यसमितिक सचिव श्री रोशन मिश्रा छैथ। हिनक गाम जगवन, जे मधुबनी जिलाक बिस्फी में पड़ैत अछि ओहि ठाम छैन्ह। कविता लेखन में दिनों दिन ई एक सँ एक मार्मिक आ समाजिक बिंदु केँ समेटैत छैथ। हिनकर लिखल कविता पसंदीदा कम आ आलोचनात्मक विशेष रहैत छैन्ह, कारण हिनकर कविता में प्रहार रहैत छैक जे बहुतो पाठक केँ आत्ममंथन करैक लेल बाध्य कय दैत छैन्ह तखन ओ अंततोगत्वा आलोचक बनि अपन द्वेष भावना केँ प्रकट करैत छैथ।।

कविता लेखन केर अलावा मैथिली संगीत, मंच उद्घोषण केर दुनिया में सेहो अपन पैर ठार करैक लेल प्रयासरत छैथ संगहि मैथिली भजन, गीत-संगीत सेहो लिखैत छैथ।