वर्तमान युग आर मैथिल महिला समाजः लेखिका रितू झाक विचार

मिथिलाक बेटीक जीवन स्तर मे सुधार लेल लेखिका रितु झा केर सराहनीय विचार मैथिली जिन्दाबाद पर

“आइ आ मैथिल महिला समाज”

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रितू झा, लेखिका/आकाशवाणी उद्घोषिका विशेष परिचयः राष्ट्रपति सँ पावेल सम्मान प्राप्त कएनिहार रैफ अधिकारी ‘अश्विनी झा’ केर अर्धांगिनी

– विचार आलेख

नारी सृष्टि निर्माताक अद्वितीय कृति थिकी। कोमलता, मधुरता, पवित्रता, दिव्य गुणक प्रतीक नारी बहिन, विधा, श्रद्धा, शक्ति, अन्नपूर्णा थिकी। नारी मे पृथ्वी जेहेन क्षमता, सूर्य जेहेन तेज, समुद्र जेहेन गंभीरता, पुष्प समान मोहक सौन्दर्य, कोमलता, चन्द्रमा समान शीतलता – नारी सृष्टिक उत्सर्ग, मानवक जननी, बालकक प्रथम गुरु आर पुरुषक प्रेरणा होएत छथि नारी। ओ एकटा एहेन छायादार वृक्ष थिकी जिनकर छायाक तर पुरुष समाज अपन समस्त व्यथा केँ बिसैर जाएत छथि। हर रूप मे नारी पूजनीय आर आदरणीय छथि।

सत् युग हो या कलि युग, नारी काल्हियो श्रेष्ठ छलीह आर आइयो संस्कारक खान थिकी। आजुक वर्तमान युग मे जतय हरेक वर्ग – हरेक जाति मे महिला समाजक उत्थान आर शिक्षाक प्रसार भऽ रहल अछि, एहेन समय भले हमर मिथिलांचलक महिला कोना पाछू पड़ि सकैत छथि। दोहरायल दायित्व सँ बान्हल मिथिलाक महिला लोकनि अपन दोब्बर शक्तिक प्रदर्शन करैत सिद्ध कय देलनि अछि जे समाजक उन्नति मात्र पुरुषहि टा’क कान्ह पर नहि, अपितु हुनका लोकनिक हाथक सहारा लेलाक बादे ऊँचाई केर दिशा मे अग्रसरता भेटैत छैक।

वर्तमान मे मिथिलांचलक महिला लोकनि समाज-सेवा, राष्ट्र-निर्माण आर राष्ट्र-उत्थानक अनेको कार्य मे लागल छथि। आब ओ सब लेखिका, पत्रकार, संपादिका, कवियित्री, साहित्यकार, वायूयान उड़ाबयवाली पायलट, राजनीतिज्ञ, उद्योगपति आदि बनैत सब क्षेत्र मे अपन कार्यक्षमताक उल्लेखनीय परिचय देश-विदेश मे ख्याति अर्जित केलनि अछि।

ओ स्वतन्त्र छथि अपन जीवन मे, शिक्षित छथि, समाज मे हुनकर अपन पहिचान छन्हि, अपन अस्तित्व छन्हि, आत्मनिर्भर छथि। अपन संस्कार केर संग ओ खुश छथि, आजाद छथि, मिथिलांचलक नाम रौशन कय रहली अछि।

ई सब किछु देखब, सुनब आर कहब मे कतेक नीक लगैत अछि जे हम मैथिल महिला आइ दोसर वर्ण ओ जातिक महिला सब जेकाँ उन्नत छी, लेकिन…….. अफसोस जे ई सब बात सिक्काक एक पटल मात्र छी। सिक्काक दोसर पटल एहेन कुरूप अछि जेकर चर्चा करैत आत्मा पर्यन्त लजा उठैत अछि। एहेन आजादी, शिक्षा पेबाक अधिकार, आर अपन भविष्य स्वयं चुनबाक सौभाग्य हमर मिथिलाक सब बेटीधन केँ आर महिला समाज केँ प्राप्त नहि छन्हि। आइ धरि बहुतो गाम केर विभिन्न समुदायक मैथिल परिवार मे बेटी सब केँ बस कनिके शिक्षा देल जाएत अछि, एना कहू जे बेटी सब केँ ओतबे पढायल जाएत अछि जे ओकर विवाह कोनाहू भऽ जाउक, ओकरा निरक्षर नहि कहल जाय। एना मात्र एहि लेल होइछ जे बेसी पढल-लिखल बेटीक लेल ओकरो सँ बेसी शिक्षित आ बेहतर नौकरी करयवला वर अभिभावक नहि कीन पेता। जी हाँ पाठक लोकनि! वर कीनब यानि ‘दहेज’ ओ नहि दय पेता। केवल यैह कारण सँ ओहि प्रतिभावान् बालिका केँ शिक्षा सँ वंचित रहय पड़ैत अछि।

ई ओकरा लोकनिक अपन चुनल गेल भविष्य नहि थीक, ई समाज मे पसरल दहेजक कूरीतिक प्रभाव थीक जे ओकरा सँ ओकर अधिकार छीन रहल अछि। मध्यमवर्गीय परिवार आइयो बेटीक जन्म पर प्रसन्नता नहि पबैत अछि। बल्कि ओकर जन्म होइते तिलक केर वास्ते पाइ जोड़ब शुरू कय दैत अछि। बिना तिलक गनने मिथिला मे कन्याक बियाह करीब-करीब असंभव अछि। शायद यैह कारण एतय लोक केवल बेटा होयबाक कामना करैत अछि।

किछु संवेदनशील लोक छथि जे एहि प्रथाक विरोध करैत छथि, लेकिन केवल एहि मुट्ठी भरि लोक सँ ओहि हजारों-लाखों महिला लोकनिक कल्याण नहि भऽ सकैत अछि जेकरा अपन बेटी होयबाक अफसोस अछि। लोक केँ अपन एहि संकीर्ण सोचकेँ बदलबाक आवश्यकता अछि, जरुरत अछि सही शिक्षा केर, सही विचारधारा केर… कियैक तँ जखन कोनो घरक एकटा बेटी शिक्षित होएत अछि तऽ ओकरा संग पूरा परिवार शिक्षित होएत अछि। परिवार सँ समाज आ समाज सँ पूरा देश शिक्षित होएत अछि।

हमरा लोकनिक मैथिल संस्कृति आर सभ्यता बहुत महान अछि। मैथिल महिला लोकनि चाहे ओ धनिक होइथ वा गरीब, शहरी होइथ वा ग्रामीण, अपन संस्कारक सुगंध सँ हमेशा समाजकेँ सुवासित करैत रहली अछि, आर करिते रहती।

मैथिली जिन्दाबाद – मैथिली वेब न्युजपोर्टलक पाठक लेल एकटा अपन हिन्दी रचना सेहो पठा रहल छी।

मैं मिथिला की बेटी

– रितू झा, लेखिका/आकाशवाणी उद्घोषिका, जमशेदपुर

मैं मिथिला की हूँ नारी
सीता मैया सी सुकुमारी
अपने संस्कृति की रक्षा करती
मर्यादा अपनी हूँ जानती
कर कमलों से अपने गीत
नया इतिहास हूँ रचती
मन में अपना राम बसाए
संस्कारों की ध्वजा उठाए
चलती रहती हूँ काँटों पर
लहू पैरों पर, मुख पर हँसी सजाए
मैं मिथिला की नारी
बस इतनी कामना हूँ करती
मिथिला की हर बेटी को
जनक पिता, और पति राम मिले
सबके चेहरे खिले रहे
किसी के घर की बेटी न जले
मैं मिथिला की बेटी
यही प्रार्थना हूँ करती
दे दो मुझे केवल एक अवसर
आसमा छू सकती हूँ
करो भरोसा मुझपर भी
मैं बेटों से बेहतर बन सकती हूँ…..