बिन्देश्वर ठाकुर, दोहा। दिसम्बर ४, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
दोहा-कतारमे साँझक चौपारि पर केर पाँचम बैसार सम्पन्न भेल अछि।
“मातृभाषाक जगेर्णा हमरा सबहक प्रेरणा” मूल नाराक संग बिगत ५ मास सँ निरन्तर रुपमे आयोजना होइत आबि रहल मैथिली काव्य-सन्ध्या अन्तर्गतक कार्यक्रम साँझक चौपारि पर केर पाँचम मासक बैसार १ जनवरी २०१६ बितल शुक्र दिन दोहाक मुन्ताजा पार्कमे सम्पन्न भेल ।
कार्यक्रममे निरन्तर रुपमे उपस्थित होबए बला सर्जक सबहक सेहो कमी रहल । युवा गजलकार मो. असरफ राइन जी छुट्टी मे नेपाल गेलाक कारणे उपस्थित नै रहलाह । अग्रज प्रणवकान्त झा जी कार्य व्यस्तता तथा किछु स्वास्थक गडबडी सँ अनुपस्थित रहलाह । तहिना राजेश साह, अमीत मंडल, शत्रुधन मुखिया, मनिष राय लगायत केर सर्जक व मैथिली प्रेमीसब सेहो अपना-अपना हिसाबे व्यस्त रहलाक कारणे नहि अएलाह । बाँकी जे जेना मुदा समग्रमे चौपारि नीके रहल ।
खासकऽ विद्यापति स्मृति समारोह-२०१५ मे भेटल सर्जक सोगारथ यादव केर कविता, गजल सब मोन केँ मोहि लेलक । बेचन महतोक कविता सेहो एक पर एक प्रस्तुति सुनिकय मोन हर्षित भेल । तहिना अग्रज कवि अब्दूर रजाक केर देश आ मधेश प्रति समसमायिक कविता सबहक प्रस्तुति सेहो अत्यन्त उत्कृष्ट रहल । सब सँ पैघ उपलब्धी ई जे बिगत कतेको मास सँ कतार मे रहि रहल तथा समय अभावक कारण सँ नहि पहुँचि पाबि रहल अति सक्रिय मैथिल स्रष्टा अशोक सहनीक आगमनसँ ई कार्यक्रम धन्य भेल । हुनक एकसँ बढिक’ एक गीति रचना, कविता आ गजलसब सुनिकय सब गोटे प्रशंसा केलनि । अशोकजी सेहो एहि कार्यक्रम मे आबि बहुते प्रसन्न होयबाक बात बतौलनि । तहिना कवि विन्देश्वर ठाकुर द्वारा नेपाल, मधेश व समुच्चा देश प्रति समसमायिक चरिपतिया, कता तथा लप्रेक सब सुनाएल गेल । अन्तमे धीरेन्द्र प्रेमर्षि जीक सल्लाह (हरेक मास मे एकगोटे केँ समीक्षाक जिम्मा दियौ) अनुसार अशोक कुमार सहनी जीक समीक्षासंग कार्यक्रम केर समापन कएल गेल ।
आब एकटा अपन गप्प कहय चाहब जे बिल्कुल यथार्थ छै । साच कहूं त कोनो काज व प्रण शुरु करब सहज छै । ओहिके तोडि देब ओहुसँ बेसी सरल छै अपितु दुस्कर छै ओहिके निभाएब । ओहिके निरन्तरता देब । से प्रत्यक्ष रुपे महशुस कऽ रहल छी । आ हम ई दाबाके साथ कहि सकैत छी जे मैथिल/मधेशी सबके एखनो धरि जतेक बेसी अपना भाषा-साहित्य वा संस्कार-संस्कृतिप्रति जागरुक होएबाक चाही ओतेक नै छै । से अपने सब देखिए रहल हेबै जे ५ गोटे मिलिक’ कोन तरहे अपन बचन पूरा करैत छी । हौ बाउ ! जे सब अएबा से सबगोटे आब’ भितर हृदयसँ स्वागत ह । जँ नहि त हमर एकटा आओर सिद्धान्त अछि जे “जान जाए पर वचन न जाए ।” तें हमसब प्रण लेने छी तखन जाधरि कतारमे रहब आ साँसमे साँस रहत ताधरि अपन अनूकुल ई साँझक चौपारि चलिते रहतै आ मैथिली जिन्दाबाद होइते रहतै । एहिमे कोनो दू मत नै ।
“स्रष्टाके मान बचाबय’ लेल लिखैछी
अपन स्वभिमान बचाबय लेल लिखैछी
ई नै समझू जे लिखब शौख मात्र अछि हमर
देशकेर शान बचाबय लेल लिखैछी.