विशेष संपादकीय
नेपालक नवगठित सरकार केर उप-प्रधान तथा विदेश मंत्री अपन दोसर बेरुक यात्रा पर भारत भ्रमण पर छथि। एक बेर फेर भारतीय समकक्षी द्वारा देशक भीतर जे राजनीतिक समस्या अछि तेकरा शान्त करू, भारतक सहयोग पूर्ववत् बरकरार रहत, आपूर्ति व्यवस्था मे आयल व्यवधान स्वतः दूर होयत, यैह कहल गेल छैक। हलांकि जाहि तरहक स्थिति नेपाल मे पैछला किछु मास मे भारत प्रति बनल, ओ दीर्घकालीन नीति नवीनीकरणक मांग करैत छैक, मुदा भारतीय पक्ष केर ई आश्वासन आम जनमानस लेल राहत देबयवला अछि जे बस अपन आन्तरिक समस्याक निदान निकालू, भारतक सहयोग यथावत् भेटत। पूर्वक अनुभव व भारतीय विदेश नीति अनुरूप ई कहबा मे दिक्कत नहि जे नेपाल-भारत संबंध केँ नव सिरा सँ व्याख्या करबाक जिद्द आ परिणाम शीघ्रे सोझाँ देखय लेल भेटत, मुदा हाल लेल सहयोगक आश्वासन यथावत् राखब आम जनमानस लेल राहतक बात थीक।
नव संविधान केर घोषणा हेबा सँ पहिनहि सँ आ घोषणाक बादो धरि आइ करीब चारि मास सँ नेपालक मधेस मे असन्तुष्ट नेता ओ जनता द्वारा पूर्ण बन्द-हड़ताल सहित सीमा-नाका व राजमार्ग पर धरना-अनशनक विभिन्न आन्दोलन कैल जा रहल अछि। संपूर्ण मधेस मे अशान्ति व्याप्त अछि तैयो नेपाल मे सत्ता एक पक्ष सँ दोसर पक्ष केँ हस्तान्तरण करबाक कार्य सेहो संपन्न कय लेल गेल अछि। नव मंत्रीमंडलक गठन सेहो कय लेल गेल अछि। विगत चारि मास सँ आन्दोलनकारी संग वार्ताक उपक्रम सेहो निरंतरता मे राखल गेल अछि।
मुदा एहि बीच एकटा नव बात आरो ई भेल जे भारतक सुझाव केँ नेपालक सत्ता-संचालक व प्रमुख राजनीतिक दल दरकिनार करैत अपन सार्वभौमसंपन्न राष्ट्रक स्वतंत्र अधिकार केर नाम पर आन्तरिक मामिला मे हस्तक्षेप नहि करबाक चेतावनी तक जारी कय देलक। स्थिति बिगड़ैत देखि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देरिये सँ सही मुदा अपन विशेष दूत केँ एतय पठबैत एकटा कड़गर संदेश देबाक चेष्टा सेहो केलैन। मुदा ताहि समय मे सत्ता-संचालक प्रमुख तीन दल सहित नेपालक आरो विभिन्न दल जे संविधान सभा मे सहभागी छल ओ ९०% सँ अधिक बहुमत सँ संविधान घोषणा करबाक दंभ देखबैत ओहि विशेष दूत केँ बुझू जे पूर्ण रूप मे अपमानित करैत खाली हाथ लौटा देलक।
स्वाभाविक रूप सँ जाहि भारतक एतेक पैघ सहयोग आर सौहार्द्रक संग सुरक्षा सहित विभिन्न अन्य लगानीक समझौता एहि पड़ोसी राष्ट्र संग छैक ओकरा लेल नेपालक ई अप्रत्याशित अपमान अपच्य भऽ गेलैक। ओना ईहो सही छैक जे विशेष दूत करीब-करीब संविधान घोषणाक तारीख केर संध्या मे नेपाल आबि अपन अन्तिम सुझाव व प्रस्ताव सँ नेपाल मे सब पक्ष बीच शान्ति समझौता करबाक सुझाव दैत संविधान घोषणाक तारीख केँ किछु दिन लेल टारबाक आवश्यकता दिशि इशारा केने रहैक, मुदा अन्य कूटनीतिक तह केर माध्यम सँ भारतक सदिच्छा आ सद्भावना बेस बढियां जेकाँ स्पष्ट कैल जा चुकल छलैक जेकरा नेपाली राज्य सत्ता संचालक नेता व दल सब कपटपूर्वक नंघबाक कुचेष्टा केलकैक आर भारतीय सदिच्छा केँ सेहो दरकिनार करैत अपन सार्वभौमिकता सँ अपनहि असंतुष्ट जनता केँ भारतीय संतान वा भारतीय भगौड़ा नागरिक कहिकय अधिकार सँ वंचित रखैत अपना हिसाबे न्याय देबाक बात कहैत संविधान घोषणा कय देलकैक।
एतबा नहि, घोषणाक बाद असन्तुष्ट केँ घर मे दर्जनों शहीदक क्रिया-कर्म तक पूरा नहि भेलाक अवस्था मे एकटा विशेष वर्ग जेकरा शासक वर्ग कहल जाएत छैक ओ सब सौंसे देश मे विजय-उद्घोष करैत दिपावली मनेबाक आह्वान सेहो कय देलकैक। स्पष्टतः नेपालदेश मे जनता केँ दुइ भाग मे विभक्त राज्य द्वारा कैल जेबाक एहि सँ बेसी दुर्भाग्यपूर्ण अन्य किछु नहि भऽ सकैत छलैक। लेकिन नाशहि काल विनाशहि बुद्धिक तर्ज पर ओ दिपावली मनेबाक उद्घोषणा मधेस केर ब्लैक-आउट डे मे तेहेन नुकेलैक जे देश एखन धरि घोर अंधकार मे डूबल अछि। ऊपर सँ भारत द्वारा विगत केर बन्दीक समय मे पर्यन्त आपूर्ति व्यवस्था सहज रखबाक सहयोग निरंतर नहि रहि सकबाक समाचार तऽ एहि अन्हार नेपाल मे आँधी-तूफान आर ठनका-बज्जर सब खसेबाक काज कय देलकैक।
मानल बात छैक, जखन-जखन एहि देश मे पड़ोसी मित्रराष्ट्रक सौहार्द्रक अपमान भेलैक, एतय कोनो न कोनो रूप मे भारतीय कोप वा असहयोग केर सामना आम जनमानस केँ करय पड़लैक अछि। एहि बेर सेहो आपूर्ति व्यवस्था मे असहजताक बात भेलैक, जेकरा नेपाली राज्यसत्ता तथा मिडिया, बुद्धिजीवी तथा विश्लेषक मुदा मात्र शासकवर्ग यानि पहाड़े मूलक लोक सब ‘अघोषित नाकाबन्दी’क संज्ञा दैत भारतक कोप केँ शान्त करबाक ठाम पर उल्टे भारत विरोधी नारा व ताहि मे छुपल ‘छद्म राष्ट्रवादिता’ केर जोर-शोर सँ प्रचार करैत मधेसक असन्तुष्ट पक्ष केर आन्दोलन भारतीय विस्तारवादक आन्दोलन थीक – भारतक परोक्ष आन्दोलन थीक, आदि कहैत कलंकित करैत देश मे आयल संकट केँ दिन-ब-दिन बढबैत रहलैक।
आपूर्ति मे असहजता स्वाभाविके छैक। जखन कोनो देशक सरकार आन देश प्रति असंतोष प्रकट करतैक तऽ मामूली ट्रक ड्राइवर या ट्रान्सपोर्ट मालिक या कोनो भी सरोकारवाला पक्ष केँ कोना हिम्मत हेतैक जे ओ नेपाल मे आपूर्ति व्यवस्था सहज राखि सकौक। तहिया सँ आइ धरि कूटनीतिक वार्ता – राजनयिक स्तरक प्रयास – मंत्रीक यात्रा – नेताक बीच-बचाव – आन्दोलनी संग वार्ता आर कतेको कार्य निरंतरता मे छैक। मुदा भारतीय विदेश नीति एक बेर कोनो निर्णय कय लेलक तऽ यथास्थिति मे ओकरा पुनः आपस लेत ई शायद संभव नहि छैक। तहिना नेपालक राज्यसत्ता मधेसक आन्दोलन प्रति घोर नकारात्मक रुइख रखैत आन्दोलनी संग कोनो समझौता कय लेत ओहो शीघ्र संभव नहि देखा रहलैक अछि। तखन एहि दुइपक्षीय जिद्द मे एहि ठामक आम जनमानस पर मानवीय संकट समान ‘अघोषित नाकाबंदी सँ अभावक सृजना’क अति-प्रचार नेपाल मे स्पष्ट रूप सँ जनमानस केँ प्रभावित कय रहलैक अछि।
नेपालक मिडिया मे समाचार अबैत छैक जे रोटी-बेटीक संबंध रहितो भारत द्वारा नेपाल पर नाकाबंदीक माइर देब उचित नहि छैक। भारत पर सब तरहें दोष मढल जाएत छैक। एहि ठाम भारत विरोध केँ राष्ट्रवादक पोषक मानल जाएत छैक। समन्वयवादक अकाल छैक। उल्टे चीन तरफ तऽ बंग्लादेश तरफ असंभव संभावनाक हावाबाजी करैत जनताक भावना मे सरकार प्रति विरोध नहि आबौक तेहेन प्रयास कैल जाएत छैक। मुदा हावाबाजी कतिकाल? उद्योग, शिक्षा, संचार, कृषि, स्वास्थ्य – हर क्षेत्र मे आन्दोलन व सृजित अभाव केर खराब असैर सँ आम जनजीवन त्रस्त छैक। समाधान राजनीतिक रूप मे निकालबाक बदले सब सँ पैघ मित्रराष्ट्र भारत संग कुश्ती केला सँ संबंध नवीनीकरणक स्तर धरि खराब कय लेल गेल छैक। एक तरफ अपने नागरिक केँ ओहि मित्रराष्ट्रक अबैध संतान कहिकय पूलिसिया अत्याचारक शिकार बनेबाक काज राज्य द्वारा होएत छैक, तऽ दोसर दिशि फेर सँ ओहि राष्ट्रक सोझाँ उच्च कूटनीतिज्ञ स्तरक समाधान लेल वार्ता करबाक ढोंग कैल जाइत अछि। एहि सब बातक समीक्षा भविष्य मे आरो स्पष्टताक संग होयत, लेकिन वर्तमान द्वैतभाव सँ नेपाल अपन पैर पर अपनहि कुरहैर मारि रहल अछि, ई कहबा मे कोनो अतिश्योक्ति नहि छैक।
समाधान घरे मे, मुदा ताकि रहल छी दिल्ली मे। सीमांकन मे मधेसक भूमि केँ स्वायत्त प्रदेश बनेबाक मात्र छैक। मधेस सँ पहाड़े मूलक लोक केँ भगेबाक वा कि केन्द्र सँ सदा-सदा लेल भाग-बाँट करबाक कतहु कोनो आवाज तक नहि छैक। मुदा ई सरकार स्वयं ओहि आन्दोलन केँ दोष दैत अपन सन्देह भरल दृष्टि सँ देखि देश केँ समस्याक अन्हरिया मे ठेल रहल छैक जे उचित नहि। समाधान शीघ्र वार्ता सँ दुनू पक्षक लचक व ईमानदारिता सँ हेतैक, से जल्दिये हौउक, बेसी समय लागब देशकेँ विखंडनक दिशा मे लऽ जा रहल छैक कहब गलती नहि होयत।