विचार
- प्रवीण नारायण चौधरी
मिथिलावाद आर वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
बहुत कम समय मे अत्यधिक धन आ प्रतिष्ठा कमेबाक होड़ लागल छैक वर्तमान मानवीय संसार मे – लेकिन कहबी छैक जे भाग्य सऽ अधिक आ सही समय सँ पहिनहि ओ अभीष्ट प्राप्त होयब संभव नहि छैक। कहबाक अछि मिथिला आन्दोलनक सन्दर्भ मे – बहुतो वर्ष सँ चलि रहल ई आन्दोलन शिथिल आ मन्द गति सँ चलिये रहल अछि। जानि आरो कतेको सैकड़ों वर्ष यैह गति सँ चलैत रहत, धरि गन्तव्य तक पहुँचनाय आसान नहि छैक।
मिथिला राज्य केर मांग संग संघर्षरत अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् तथा अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति लगायत विभिन्न समूह अपना-अपना तरहें एहि आन्दोलन केँ निरन्तरता दैत आयल अछि। एहि क्रम मे युवा पुस्ताक सहभागिता बढेबाक कार्य जेना २०१३ मे शुरु भेल आर किछुए समय मे आन्दोलन जनान्दोलनक रूप मे परिणति पाबय लागल ताहि पर पुनः अंकुश लागि गेल।
केकर नजरि लागि गेल?
युवा पुस्ता आ बुजुर्ग बीच समन्वयकर्ताक अभाव आ रणनीति केर कमीक कारण सँ तूफानी आन्दोलन क्रमशः शान्त भऽ गेल। अवस्था एहेन आबि गेल जे अनुशासनहीनता आ नीतिविहीनता सँ मिथिला आन्दोलन केर उपयोग बस निजी स्वार्थ केर पूर्ति करबाक लेल बदनाम भऽ गेल। जाहि तरफ बेसी सँ बेसी लोक केँ आकृष्ट करबाक छल ताहि मे नितान्त स्वार्थ केर पूरा करबाक लेल कनिके दिन मे धनिक आ प्रतिष्ठित बनबाक विभिन्न क्षुद्र खेल मे रत भऽ गेल कतेको मिथ्याचारी अभियानी। ईमानदार आ समर्पित अभियान संचालनकर्ता केँ किनार लगबैत अपना स्वार्थक अनुसारे आन्दोलनक फूक्का फूलेबाक आ नक्कल-देक्सी सँ मिथिला बनेबाक एकटा कोरा कल्पना लोकमानस मे बाँटल जाय लागल। तहिना, किछु बड़-बुजुर्ग अभियानी सेहो अपना केँ आहत मानि एहि सँ नहि मात्र हाथ हँटा लेला बल्कि अपना हिसाबे ओहो एकर विरुद्ध लागिकय अपन ईमान केँ बेचि लेला।
समाधान कि?
मिथिला आन्दोलन मे एखन एकमात्र लक्ष्य लोकजागरण छैक। सबहक ध्यान केवल ओहि दिशा मे हेबाक चाही। आन्दोलन लेल स्रोत-साधन जुटेबाक आर जनजागरण सँ लोक मे स्वराज्यक लाभ पर चर्चाक संग वर्तमान राज्य केर उपेक्षाक नीति आ स्थानीय नेताक नकरपंथीक विषय मे सबकेँ बतायब जरुरी छैक। जाहि कोनो कार्यक्रम व सभादि सँ लोकमानस मे अपन अधिकार प्रति जागरण हेतैक, ओ सब कार्य एकजुटता सँ करबाक चाही। एहि मे विभिन्न बैनर द्वारा अलग-अलग कार्यभारकेर जिम्मेवारी लैत यज्ञ समान अनुष्ठान करबाक धर्म निर्वाह करैत मिथिलाक पुनर्जीवित करब संभव होयत।
२०१५ केर चुनाव मे मिथिलावादीक स्थान या संभावना मे कि प्रगति भेल?
पहिने सँ ई स्पष्ट छल जे बिहार विधानसभा चुनाव मे टक्कर केवल दुइ मुख्य गठबंधन केर बीच मे रहत। मिथिलावादी दल केँ सेहो एहि तरफ इशारा कैल गेल छल जे कोनो एक गठबंधन संग सहकार्य करैत यदि संभावना बनैत हो तऽ किछु सीट पर चुनाव लड़बाक प्रयत्न हो। लेकिन जेना कि सब दिन सँ एक्के टा मुख्य समस्या अछि जे वगैर कोनो नीति, नियम, समीक्षा व थिंक टैंक केँ बढि रहल मिथिला आन्दोलन मे मनमर्जी बेसी अछि, बस तही हिसाबे दुइ दल मिथिलाक नाम संग चुनाव मे उम्मीदवार अपनहि बौद्धिक व आर्थिक सामर्थ्य अनुसार राखलक। परिणाम पूर्व-अपेक्षित रहल। भले वर्तमान समय चुनाव लड़बाक लेल पैसाक बदौलत बेसी लोक तैयार बनि जाय, मुदा गहिंर रणनीति व जमीनी उपस्थितिक सफलता नगण्य रहि जाएछ। आर अधिकांश उम्मीदवार अपन जमानत पर्यन्त नहि बचा पबैत अछि।
अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् केर संस्थापक डा. धनाकर ठाकुर द्वारा स्थापित एक नव दल आदर्श मिथिला पार्टी सेहो एहि बेर अपन उम्मीदवार उतारलक, जखन कि डा. ठाकुर सहित अन्यान्य नेतृत्वकर्ता व मिथिला विचारक लोकनि द्वारा स्थापित अखिल भारतीय पार्टी एहि चुनाव सहित तीन बेर चुनावी दौरा मे अपन उपस्थिति देखा चुकल अछि। वोट प्रतिशत बिहारक हिसाबे खसल मतदानक संख्याक १% नहि रहल, तहिना मिथिलाक गंगा एहि पार २४ जिल्ला या १८ जिल्लाक सीमांकनक हिसाब सँ पर्यन्त वोट प्रतिशत मिथिलावाद प्रति १% केर आरंभिक आंकड़ा नहि छूबि सकल अछि। बरु पप्पू यादव केर पार्टी जे हाले गठित कैल गेल ओकर मत-प्रतिशत आर ओवैसी द्वारा लड़ल गेल किछु सीट मात्र केर मत प्रतिशत मिथिलावादीकेर मत प्रतिशत सँ बेसी बेहतर रहल। एहेन लज्जास्पद अवस्थाक जिम्मेवार खुद ई दल सब अछि, कारण एहि दल सबकेँ खाली चुनाव बेर मे उम्मीदवार टा ठाढ करबाक शख रहैत छैक नहि कि कहियो जमीनी राजनीति मे सेहो अपन उपस्थिति रखैत संगठनात्मक संरचना सहित मिथिला क्षेत्र मे कार्य करबाक कोनो इच्छा वा तत्परता रखैत अछि।
राजनीतिक सफलता लेल भविष्य मे यदि मिथिलावादी दल द्वारा थिंक टैंक आर रणनीतिकार केर एकटा समूह बनबैत व्यवस्थित ढंग सँ संगठन विस्तार लेल कार्य करत तऽ सफलता २०१९ मे भेटबे टा करत। संगहि हरमूठा भाषा सँ कदापि आलोचना केँ केओ नहि नकारय आर जनभावना केँ बुझबाक प्रयास करब जरुरी अछि। मिथिला लेल एकटा सुनिश्चित आदर्श आचार संहिता तथा कार्यकर्ता प्रशिक्षण केर सेहो आवश्यकता अछि। एहि तरहें आब निरन्तर ५ वर्ष कार्य करैत गेला सँ राजनीतिक सफलताक सुनिश्चित कहल जा सकैत अछि। देखा चाही जे किछु नव शक्ति केर प्रवेश जेना निवर्तमान चुनाव सँ भेल अछि ओ सब एहि दिशा मे कार्य करैत मिथिलावाद केँ शक्तिमान बनेता आ कि परंपरावादी दलक पिछलग्गू बनि बस केवल धन व प्रतिष्ठा अर्जनक सौर्टकट तकैत रहता।