आलेख
– प्रकाश कमती
बिहार सरकार होइ या केंद्र सरकार आय धैर ई दुनु के सौतेला व्यवहार आ राजनितिक षड्यंत्रक प्रभाव सँ मिथिला केर दयनीय स्थिति रहल अइछ।
(1.) अशोक पेपर मील दरभंगा –
अहि पेपर मील में 1200 सँ अधिक कर्मचारी आ मजदूरक गुजर बसर चलैत छल जेकरा साल 1982 में बंद कय देल गेल। अहि पेपर मील के पेपर के गुणवत्ताक लोहा पूरा देश मानैत छल। बहुत बेर किछु नेता सब अपन चुनावी भाषण में अहि सन्दर्भ के अपन एजेंडा बता चुनाव जितलक मुदा स्थिति जस के तस। एखन धैर अहि मील के 95 टका मशीनरी पार्ट पुर्जा सही आ कार्य योग्य अइछ लेकिन अहि पार्ट पुर्जा के बाहर खोलि खोलि क बेचक अलावा राजनेता सबहक किछु एजेंडा नै छैन्ह।
(2) लोहट चीनी मील-
सम्पूर्ण देश के 40 टका चीनी केर उत्पादन केवल मिथिला सँ होइत छल मुदा एखन पूरा बिहार सँ केवल 4 टका उत्पादन होइत अईछ, कारण समक्ष अइछ। लोहट चीनी मील, रैयाम चीनी मील आ सकरी चीनी मील सब के राजद सरकार के कार्यकाल में बंद कय देल गेल। लोहट चीनी मील में एखन धैर साढ़े 4 हजार बोरा चीनी के भंडारण सुरक्षित अईछ। ओहि ठामक सुरक्षाकर्मी यादव जी केर कहब छैन्ह जे आबै बला एकसाल बाद हम रिटायर भ जायब मुदा हमर वेतन 1992 के बाद एखन धैर नै भेटल। कर्मचारी लोकनिक 8 करोड़ सँ बेसी वेतन बकाया छैन्ह।
(3) जूट व धागा मील पंडौल – सब उपर्युक्त दयनीयता केर शिकार भेल बंद पड़ल अईछ।
एखन धैर जौं कोनो नव कारखाना या विकासक पहल बिहार में भेल त केवल मगध क्षेत्र में। चाहे NTPC के बिजली योजना होइ जे मोकामा में स्थापित कैल गेल या कोयला क्षेत्रक योजना जे गया में चलि गेल। चाहे कोनो शिक्षण संस्थान होई जेना नालंदा यूनिवर्सिटी या एम्स एहन नव युगक भड़ल पुरल अस्पताल सब केवल गंगा पार मगध के भेटल आ मिथिला अपेक्षित रहल। सब नेता केवल अपन घोषणा पात्र में अहि सब मुद्दा के समेटैत छैथ मुदा वचन के सत्यापित केनाय कर्तव्य नै बुझैत छैथ चाहे बीजेपी के नरेंद्र मोदी होईथ या जदयू के नितीश कुमार, लालू के त चर्चे नै करि। ताहि लेल आब मतदान करैत काल एकबेर आत्ममंथन जरूर करब, आत्मचिंतन जरूर करब। उपर्युक्त मुद्दा आ राजनितिक राक्षस केर कारण मिथिला सँ पलायन आ प्रवास करैक लेल हम सब मजबूर छी।