विगत किछु समय सँ बिहारक चुनाव समूचा देश आ विदेश मे चर्चाक विषय बनले अछि, कारण अनेक छैक। जतय एक तरफ नरेन्द्र मोदीक लोकप्रियता सँ लोहा लेबाक लेल सोशियलिस्ट, कम्युनिस्ट आ काँग्रेस एक गठबंधन बना रहल अछि, ओतहि एक पक्ष दोसर पक्ष पर शब्दबाण चलेबा मे कोनो सीमा केँ नहि मानैत अछि। नरभक्षी, नरपिशाच, राक्षस, आतंकी – कतेको प्रकारक विशेषण सँ एक-दोसर केँ संबोधन करब वर्तमान राजनीति केर एकटा फैशन बनि गेल अछि। पदीय मर्यादा आ शिष्टाचार केँ ताख पर राखि अपन-अपन राजनीतिक स्वार्थ हेतु जनता केँ विभाजित करबाक आ मत पेबाक खेल मे सब कियो धरिया खोलिकय मैदान मे उतरल देखाएत अछि। मूल्य, मान्यता आ महत्वक स्थान राजनीति सँ पार भऽ गेल आ हर कीमत पर जनताक मत पेबाक खेल एकटा ब्यापार भऽ गेल।
एहि बीच एकटा अजीबोगरीब – अत्यन्त रहस्यमय बात सोझाँ आयल अछि। महागठबन्धन केर मुख्यमंत्री उम्मीदवार केर पाकिस्तान प्रेम पहिनहियो छलकैत रहल छल, लेकिन बिहार चुनाव हेत प्रचार पाकिस्तानी मिडिया मे देबाक बात कनेक रहस्य केँ गहिंर बना दैत अछि। आखिर ओहि ठामक पेपर ‘डान’ मे महागठबंधन केर प्रचार – ओकर अनलाइन संस्करण मे प्रचार दैत कोन आउडियन्स केँ टार्गेट कैल गेल अछि? ई प्रश्न अत्यन्त गंभीर अछि। देश भरि मे कोहराम मचेनिहार आतंकवादी आ तेकर पाकिस्तान कनेक्सन एक दिशि सोझरायल नहि, ओहि आतंकवादी कुनबा मे बिहार आ खास कय मिथिला क्षेत्रक मुसलमानक सहभागिता देश लेल चुनौती बनले अछि, तखन नीतीश कुमार व हुनक दल वा गठबंधन द्वारा पाकिस्तानक अखबार मे बिहार चुनाव केर विज्ञापन – महागठबंधन लेल वोट माँगबाक विज्ञापन देनाय स्पष्टत: ओहि भीड़ केँ अपना तरफ आकर्षित करबाक अछि जे देश आ राष्ट्रवादी सरकार – भाजपा सरकार केर विरुद्ध पाकिस्तानी जिहादक अंग बनैत अछि। देशक खूफिया तंत्र केँ सतर्कता अपनेबाक चाही आ ई ध्यान मे रखबाक चाही जे पाकिस्तानी मिडियाक उपयोग बिहार मे एहि राजनेताक संग आरो के सब कय रहल अछि। आतंकवादी घटनाकेँ अंजाम देनिहार कतेको मोड्युल आखिर बिहार मे केकर सह पर पनैप रहल अछि। एहेन लोक केँ देशद्रोह केर मोकदमा सँ न्याय देब आवश्यक अछि।
भाजपा केर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ओहिना नहि कहलनि जे यदि भाजपा गठबंधन केर हारि कोनो कारणवश भऽ जाएत अछि तऽ पाकिस्तान मे पटाखा फूटत – बिहार केर राजनीति आ प्रचार पाकिस्तान मे, ई सोचय पर मजबूर करैत अछि।
बिहार मे परिवर्तनक हवा बैह चुकल अछि। वोटक ध्रुवीकरण बस दुइ बात पर होएत देखि रहल छी। एकटा एहि छद्म समाजवादक चोला पहिरि जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया आ कर्पुरी ठाकुरक नाम बेचनिहार केँ सत्ता पर कब्जा करितो पूर्ण बेकार साबित हेबाक सजा दैत सत्ता सँ बाहर कैल जेबाक जनमत अछि तऽ दोसर अनपढ-गँवार आ अशिक्षित वर्ग मे एखनहु बिहारक विकास मुद्दा नहि अपितु महागठबंधन द्वारा मोदी-विरोधी बेकार बात सब काजक बात बनल अछि। यानि कि विकासवाद बनाम् जातिवाद केर स्पष्ट लड़ाई एहि चुनाव मे देखल जा रहल अछि। हाल धरि संपन्न विभिन चरण केर मतदान आ ताहि सँ जुड़ल सीट पेबाक आशा मे सेहो परिवर्तन हेबाक बात सुनिश्चित कहल जा सकैत अछि। आब मिथिलाक्षेत्र मे ५ नवम्बर केँ अन्तिम चरणक मतदान होयत। एतय आइयो शिक्षित आ अशिक्षितक अनुपात लगभग समान अछि। एहि ठाम महागठबंधन केँ सेहो फायदा होयत, लेकिन ई तय अछि जे जीत राष्ट्रवादी गठबंधन यानि भाजपा नेतृत्वक एतहु होयत। निर्दलीय, तेसर मोर्चा, अन्य केँ वोट मे कोनो स्थान नहि भेटत सिवाये गोटेक विशिष्ट उम्मीदवार केँ। बागी उम्मीदवार सँ नोकसान होयत, वोट विभाजित भेला सँ हार-जीतक अन्तर न्युन मत केर हेबाक आशंका छैक।