– विमल जी मिश्र
झुन झुना रे झुन झुना,
झुन झुना रे झुन झुना!
आठ नबम्बर बाद मे देखब,
कतेक गेलै जहल थाना!
झुन झुना रे झुन झुना……
कतेक कटोरा लऽ कें बैसत,
कतेक बेचत राम दाना,
झुन झुना रे झुन झुना….
कतेक बेचलक खेत पथारी,
कतेक बेचलक गहना,
कतेक कर्जा बर्जा लऽ कें,
कतेक लेलक लहना!!
कतेक नाँक रगैड़ कें आयल,
कतेक जहिना तहिना,
झुन झुना रे झुन झुना……
कतेक बैस कें झाइल बजेता,
कतेक घंटी टन टना !
झुन झुना रे झुन झुना…
कतेक मोंछ पिजा कें एतै,
कतेक बेलगोबना,
किनको छाती बज्जर खसत,
किनको टुटत सपना!
कतेक पार वैतरणी हेतै,
कतेक बनतै भिखमंगना
झुन झुना रे झुन झुना,
झुन झुना रे झुन झुना………