आइ फेसबुक पर सुकान्त नागार्जुन समान वरिष्ठ पत्रकार – नवभारत टाइम्स एवं हिन्दुस्तान अखबार सँ पूर्व समय मे आबद्ध – बुद्धिजीवी सज्जनवृन्द द्वारा भारतीय जनता पार्टीक दृष्टि पत्र (विजन डक्युमेन्ट) मे भाषा, कला एवं संस्कृतिक शीर्षक मे उल्लेखित भाषा मध्य मैथिली केर चर्चो तक नहि करबाक विन्दु पर गंभीर प्रश्न उठबैत कहलनि, “भाजपा आ समग्र रूप सँ एनडीए मैथिली पर जबर्दस्त प्रहार कएलक अछि। एकर घोषणा पत्र मे- जकरा दृष्टि पत्र कहल गेलइए – मे बिहारक सभ भाषाक संरक्षण ओ संवर्द्धनक आश्वासन देल गेल ए। मुदा एहि सूची मे मैथिलीक चर्चो नहि अछि। ऐना किए आ कोना भेलइ, से भाजपा ओ एनडीएक प्रत्याशी सभ सँ हमरा लोकनि पूछबैक?”
एहि समादक देखिते मैथिली भाषा-साहित्य एवं मिथिला संस्कृति, कला, फिल्म क्षेत्र सँ जुड़ल अभियानी – सुप्रसिद्ध मिथिला उद्घोषक तथा मैथिली जिन्दाबाद केर समाचार संपादक किसलय कृष्ण एहि गंभीर प्रश्न पर विभिन्न अभियानी व मैथिली हितचिन्तक लोकनिक ध्यानाकर्षण करैत बिहार मे परिवर्तन केर लहैर तथा भाजपा नेतृत्वक राजग गठबंधनक संभावित जीत केर चर्चा ऊपर मिथिलाक भूमिका हेतु अनुरोध केलनि अछि।
जाहि भाजपा केर नेतृत्व मे मैथिली केर संविधान अष्टम् अनुसूची मे नाम दर्ज कराओल गेल, ताहि भाजपा केर वर्तमान दृष्टि पत्र मे मैथिली प्रति कोनो चिन्ता प्रकट नहि करब कि इशारा करैत अछि, ई अपने-आप मे सोचय योग्य प्रश्न अछि। एतबा नहि, मैथिली जिन्दाबाद जखन दृष्टिपत्र केर एहि भाग पर स्वयं नजैर दौड़ेलक तऽ आरो कतेक रास आपत्तिजनक आ मैथिली-मिथिला विरोधी बात सब देखायल। संलग्न फोटो मे इन्टरनेट पर प्रचलित मिथिला पेन्टिंग केर फोटो धरि लगायल गेल अछि, मुदा मैथिली भाषा केर शिक्षक केर लंबित नियुक्ति केँ पूरा करबाक कोनो प्रतिबद्धता प्रकट नहि कैल गेल अछि। बंग्ला भाषा केर शिक्षक केर नियुक्ति शायद बंग्लाभाषी वोट बैंक बनेबाक वैह पुरने नीति जाहि पर नीतीश कुमार केर नेतृत्व मे सरकार बनैत रहल आर ऊर्दू एवं बंग्ला भाषा केर शिक्षक केर नियुक्ति देबाक नीति पर कार्य कैल जाएत रहल, ओतबे बात भाजपा केर दृष्टि पत्र मे सेहो उल्लेख कैल गेल अछि।
सुकान्त नागार्जुन द्वारा देल गेल प्रश्न सच मे गंभीर अछि। एक तरफ बिहार केर वर्तमान सरकार केर परिवर्तन बात सँ सब भाषा-भाषी एवं बिहारकेर जनता केँ भाजपा सँ उम्मीद अछि तऽ दोसर तरफ आधार विन्दु घोषणा पत्रहि मे एतेक भारी चूक केर कल्पनो मैथिलीभाषी नहि कय सकैत छल। बेर-बेर प्राथमिक शिक्षा मे मैथिली मातृभाषा केर माध्यम सँ पढाई करेबाक माँग रहितो, पटना उच्च न्यायालय तथा दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार केँ एहि दिशा मे मार्गदर्शन करेलाक बादो, भाजपा समान परिपक्व राजनीतिक दल एहि तरहें मैथिली तथा मिथिलाक नामहु तक नहि उल्लेख करैत वैह बिहारी राज्य-संचालन नीति केँ दोहरेलक जाहि पर बिहार सरकार सँ जुड़ल कोनो वेबसाइट आदि पर मिथिलाक चर्चा तक वर्ज्य मानल समान व्यवहृत अछि।
मैथिली जिन्दाबाद एहि गंभीर प्रश्नक दिशा मे कम सँ मैथिलीभाषी क्षेत्र गंगा उत्तर संपूर्ण सरोकारवालाक ध्यानाकर्षण करय चाहैत अछि जे बिहार केर दोसर राजभाषाक रूप मे मैथिली केर स्थापना करबाक संग-संग मैथिलीक विभिन्न भाषिका जेना बज्जिका, अंगिका, सूर्यापूरी, आदिक विकास केर शुद्धतापूर्ण चर्चा करैत ताहिठाम इतिहास व साहित्य संग एना तोड़-मरोड़ करैत कूराजनीति करबाक दोष भाजपा द्वारा सेहो भेल अछि जेकरा भाजपाक नीति-निर्माण प्रकोष्ठ द्वारा आत्मसात कैल जाय, एहि मे आवश्यक सुधार आनल जाय आर मिथिला समान पौराणिक पहिचान केर विशिष्टता केँ विनाशोन्मुख बनेबाक कूकृत्य कम सँ कम भारतक राष्ट्रवादी राजनीतिक दल द्वारा भविष्य मे कदापि नहि दोहराओल जाय, यैह आशा लगौने छी। ओना तऽ बिहार गीत जे २०१२ मे निर्गत कैल गेल ताहू मे मिथिलाक अस्तित्व केँ नकारल गेल, सीता व हुनक भूमि सीतामढी केर चर्चा केँ नकारि बाल्मीकि केर रामायण केर बात दलित राजनीति केर कारण संयोगवश राखल गेल। तहिना विद्यापति समान महान् कवि केर देसिय वयना सब जन मिट्ठाक गणना केँ नकारि विद्यापतिक बाट पर चलनिहार राष्ट्रकवि दिनकर केर नाम धरि राखिकय मिथिलावासी केँ सांत्वना देबाक प्रयास कैल गेल, मुदा ताहि केर अतिरिक्त मिथिला बिहार केर हिस्सा छीहे नहि तेना दुत्कारल गेल छल जाहि समय भाजपा व नीतीशकेर दल जदयू यानि राजग केर सरकार छल। जँ राजग केर नीति मे परिवर्तन नहि आनल जाएत अछि तऽ स्पष्ट अछि जे बिहार सँ मिथिलाक पृथक करब टा उपाय अछि, आन कोनो विकल्प नहि।
मिथिला राज्य केर औचित्य मे एहेन कतेको नीतिगत दुर्व्यवहार शामिल अछि। हालहि मिथिलाक हृदयस्थली मधुबनी मे मिथिलहि केर प्रसिद्ध लोकगीत गायिका शारदा सिन्हा केर पैघ-पैघ फोटो सहित भोजपुरी भाषा केर होर्डिंग बिहार राज्य चुनाव आयोग द्वारा लगायल गेल छल। पटना मे दशकों सँ कार्यरत चेतना समिति आ तेकर अध्यक्ष खुद बिहार सरकार केर संचालक राजनीतिक दल केर सदस्य – समीप दिग्गज पुरोधा यानि विजय मिश्र – जे विकासपुरुष ललित बाबु केर सुपुत्र सेहो छथि, जिनक पूरा परिवार राजनीति मे आइयो ओतबे सक्रिय छथिन, तिनकर निवेदन जे मैथिली भाषा मे सेहो सरकारी विज्ञापन – वाल पेन्टिंग, होर्डिंग, पोस्टर, पम्पलेट, मीडिया विज्ञापन आदि केँ सरकार प्रोत्साहित करैत भाषाक प्रभाव केँ जीबित राखय मे सहयोग करय, ताहि केँ बेर-बेर नकारल गेल अछि। नाममात्र मैथिली अकादमी सेहो राजनीति कारण सँ कोनो सृजनशील कार्य तक नहि कय सकबाक अक्षमता सँ रुग्ण अवस्था मे मैथिली भाषा लेल आखिर कि कय सकैत अछि। एहि सब दिशा मे हरेक मैथिलीभाषी जनमानस व खास रूप सँ नेतृत्वक पाँति रहल नेतागण सब केँ ध्यान देब बहुत जरुरी अछि। गंगाक उत्तर विकास तक हेरा गेल अछि, जेहो ब्रिटिश भारत मे मिल आदि छल, ओकर नामोनिशान खत्म भऽ गेल अछि। ई सब देखैत समग्र रूप सँ भारतीय गणराज्य मे १९४७ सँ लम्बित माँग ‘पृथक मिथिला राज्य’ केर निर्माणक दिशा मे गंभीर कार्य योजनाक आवश्यकता अनिवार्यता मे परिणति पाबि रहल अछि।