पटनाक अकास तर बैसकी – ‘साहित्यिक चौपाड़ि’ पर ‘नवलश्री’ केर संस्मरण-रिपोर्ट

!!!बुद्धक प्रतिमा बनल गवाह “साहित्यिक चौपाड़ि”क तेसर बैसारक!!!

– पंकज चौधरी, पटना

akash tar basakee patna1काल्हि (रवि दिन, तिथि ११-१०-२०१५) पटना टीशनसं सटल बुद्धा स्मृति पार्कमे “साहित्यिक चौपाड़ि”क तेसर बैसार सफलतापूर्वक संपन्न भेल (विदित हो कि ई बैसार अगस्त २०१५ सं मासे-मास कएल जा रहल अछि). पछिला दुनु बैसार जतय गांधीजीक प्रतिमा लग कएल गेल छल ओतहि एहि बेरक बैसारक प्रत्यक्ष गवाह भगवान बुद्ध बनलनि.

बाल मुकुंद पाठक, गुन्जनश्री आ नवलश्री “पंकज”क नियमित उपस्थिति जतय बैसारक नियमितता प्रति हुनका लोकनिक प्रतिबद्धता देखाबैछ ओतहि कथाकार श्री अशोक झा आ श्री श्याम दरिहरे सन स्थापित साहित्यकारक उपस्थिति साहित्य प्रति हुनका लोकनिक निष्ठा आ समर्पणक परिचायक अछि. रघुनाथ मुखिया आ नीतेश मिश्राक उपस्थिति बहुत सुखद रहल. एतबहि नहि दिल्लीसं कोनो व्यक्तिगत काजे पटना आयल संजय झा सेहो एहि बैसारमे उपस्थित भ’ साहित्य प्रति अपन प्रेम देखौलनि.

बैसारक आरम्भ नवलश्री “पंकज” अपन गजलसं केलनि. तदुपरांत गुन्जनश्री अपन किछु टटका कहमुकरी सुनौलनि जे सभके प्रभावित केलक. हुनका बाद रघुनाथ मुखिया अपन कविता “मसोमात गाम”क पाठ कएलनि जाहिपर कथाकार अशोक आ श्याम दरिहरे जीक विश्लेषण बैसारक उद्देश्यकें आर बेसी सार्थक आ रुचिगर बना देलक. एकरा बाद बाल मुकुंद पाठक अपन एकटा टटका ल.प्रे.क. सुनौलनि. कथा अन्तर्जातीय प्रेममे ओझरायल एकटा पंडितक कथा-व्यथाक संग-संग धर्मस्थल सभपर बढ़ैत रासलीलापर बिम्बित छल.

आब पार छल श्याम दरिहरे जीक. मिथिलामे अविकसित युवा प्रेम संस्कृति आ प्रेम संबोधन लेल उपयुक्त शब्द सभक कमी चर्चाक विषय छल. प्रसंगवश श्री दरिहरे द्वारा सुनाओल गेल हुनक कथा “प्रेमक रेखागणित” बेस रुचिगर लागल. प्रेम आ गणित कोनो नव विषय नहि मुदा हुनक एहि कथामे प्रेम आ गणितक जे केमिस्ट्री बनल अछि से खूब रुचल. केंद्र, परिधि, त्रिज्या आ व्याससं कएल गेल प्रेमक विन्यास आ जोड़-घटावक प्रेमीकरण अद्भुत लागल.

तदुपरांत कथाकार श्री अशोक झा अपन एकटा पुरान कथा “लाथ” सुनौलनि. प्रौढ़ मनमे उमकैत युवावस्थाक ललककें बेहतरीन ढंगसं चित्रित “लाथ” काल्हुक अमावसक पूर्व संध्याकें सेहो पूनमक रातिमे बदलि गेल. कथा कहबाक हुनक शैली श्रोताकें आरम्भसं-अंत धरि कथा आ कथाकारसं बन्हने रहल. कम शब्द आ बहुत रास गप्प हुनक कथाक विशेषता अछि. पार्कमे भ्रमणक उद्देश्यसं आयल किछु बटोही सेहो किछु छन ठमकि दुनू कथाक आनंद लेलनि.

बैसारक समापन “sappymart”क चर्चाक संग भेल. Sappymart पर पोथीक उपलब्धता मादे बहुत रास गपशप भेल. सभकियो sappymartक सराहना केलनि आ अपन-अपन शुभकामना सेहो प्रेषित केलनि.

बुद्धा स्मृति पार्कक शांत आ सौम्य वातावरणमे चौपाड़िक तेसर बैसार खूब रमनगर आ सकारात्मक रहल आ छोड़ि गेल अपना पाछा – एकटा सन्देश ओहि युवा वर्ग लेल जे पहुँचमे (विशेषक क’ पटनामे) रहितो एहन साहित्यिक गतिविधि सभमे सहभागितासं बचैत छथि आ दोसर सन्देश ओहि स्थापित साहित्यकार सभ लेल जे अपने त’ स्थापित छथि मुदा नवतुरियाकें बाट देखेबासं पअथ करैत छथि. कारण चाहे जे हो – मुदा एहि उदासीनताक परिणाम यएह जे नव आ स्थापित दुनु वर्गक साहित्यकार आत्मविश्लेषणसं वंचित रहि जेताह. समुचित मार्गदर्शनक अभावमे नवतुरिया त’ पथभ्रमित हेबे करताह संगहि स्थापित साहित्यकार सभ सेहो नवतुरिया सभसँ संवादरहित भ’ बदलैत परिवेश आ संस्कृतिकें मिजाजसं अनवगत रहि जेताह. व्यक्तिगत वा स्थापत्य आधारित एहि परोक्ष युद्धमे जीत चाहे जिनकर होन्हि हारि त’ मात्र मैथिलीएक हएत.