नैतिक कथा
– अमर नाथ झा
भारतक एकटा छोट सन गाम मे एगो छोट टा’क लोमड़ी अपन पिता लोमड़ सँ मनुक्खक माँस खेबाक इच्छा प्रकट केलक। बेटाक माँग भले कोन बाप केँ पूरा करबाक इच्छा नहि हेतैक। मुदा लोमड़ मनहि मन सोचलक जे मनुक्खक माँस सहज रूप सँ नहि भेटत, किछु आर सँ बेटा केँ रिझा लेब।
ऐगला दिन पिता लोमड़ कतहु सँ थोड़ेक रास सुग्गरक माँस केर जोगाड़ केलक आर अपन पुत्र लोमड़ी केँ खाय लेल देलक। मुदा ओ छोट लोमड़ तऽ सुग्गर केर माँस खाय सँ मना कय देलक, नहिये टा खेलक। फेर ओकर बाप अपन बेटाक वास्ते कनेक गाय केर माँसक व्यवस्था केलक मुदा ओकर बेटा गाय केर माँस केँ तऽ छुबो नहि केलक।
छोटका लोमड़पुत्र अपन ज़िद्द पर अड़ल रहल जे ओकरा मनुक्खेक माँस टा चाही। बदला मे ओकरा दोसर किछो स्वीकार नहि अछि।
तखन बड़ीकाल धरि सोचलाक बाद आ वर्तमान समयक जन-आस्था आदि सँ मनुष्य सब कोना उन्माद मे एक-दोसर केँ खून करैत अछि, से विचारैत ओ लोमड़ पिता ओही राति सुग्गर केर माँस एकटा मस्ज़िदक सोझाँ मे आर गायक माँस एकटा मन्दिरक आगाँ मे राखि आयल। ऐगला दिन भोरे-भोर जखन हिन्दू आ मुसलमान अपन-अपन धार्मिक स्थलक सोझाँ मे एहि तरहक कूकृत्य देखलक, बस एक-दोसर पर अपन धार्मिक भावना आ आस्था पर चोट करबाक बात बुझिकय आक्रमण शुरु केलक आ तेकर ऐगले दिन समूचा गाम मृत मानव शरीर सँ पाटि गेल छल।
ओ छोटका – लोमड़ीक बच्चा छाक भैर मनुक्खक माँस खेलक और ऐगला किछु हफ़्ता धरि खाइत रहल। ओ बहुत खुश भेल जे ओकर पिता द्वारा अन्ततोगत्वा मनुक्खक माँस केर भरपूर इंतज़ाम कय देल गेल।
घटना काल्पनिक भले लागय मुदा ओ लोमड़ी असली मे अछि! सामाजिक सौहार्द्र केँ विभिन्न भावनाक उन्माद सँ छहोंछित कएनिहार अपन राजनीतिक सिद्धि आ वोटबैंक आदि लेल कोनो हद्द तक निचाँ जा सकैत अछि। सावधानी गामक लोक मे होयब जरुरी छैक जे सौहार्द्र कोना बनल रहत, लोमड़ीक पहिचान होयब आवश्यक छैक।