आलेख
– प्रवीण नारायण चौधरी
बिहार बनल कारण आधुनिकताके वयार आ बुद्ध सऽ जुडल लोकप्रियता केर मोल संग अलग-अलग संस्कृतिकेँ एक संग जोडि रखबाक प्रेरणा तत्त्व हावी छल। लेकिन बड पैघ परिवार बनला सऽ विकास तऽ दूर लोक-संस्कृति केर संरक्षण तक नहि कैल जा सकल। अन्य राज्यक तुलना बिहार अति पिछड़ल राज्य बनल रहल।
बादमें उड़ीसा टूटल, फेर झारखंड टूटि गेल आ अपन मौलिकताक संरक्षण लेल पूरजोर प्रयासमें लागल अछि। अंग्रेजे द्वारा बनायल गेल मूल राज्य बंगाल सऽ निकलल बिहार, बिहार सऽ निकल उड़ीसा आ झारखंड; आ आब जे बिहार बचल अछि ताहिमें तीन अलग-अलग संस्कृति मिथिला, मगध आ भोजपुर संयुक्त रूपमें अछि। लेकिन तिनू के विकास गति बिहार-बिहारी के नाम तर धँसल अछि।
बुद्धक विहार क्षेत्र सऽ बनल बिहार जाहि परिकल्पना पर बनायल गेल आखिर एतेक पिछड़ल किऐक रहल, मंथन योग्य विषय बुझैछ। कहबी छैक जे ढेर जोगी मठ उजाड़! कहीं बिहारक हाल यैह कारण सऽ तऽ एहेन नहि बनि गेल? आइयो केन्द्रमें बिहारक मूर्ति द्वारा मुख्य कार्यक जिम्मेवारी वहन कैल जाइछ, लेकिन अग्र पंक्तिमें कियो बिना चमचागिरीके प्रवेश नहि पाबि सकैत अछि। कतबो शक्तिशाली नेता हो लेकिन राष्ट्रीय नेताक छवि पाबयवाला बिहारी नेता के?
किछु-किछु रहल ललित बाबुमें तऽ किछु-किछु देखाय पड़ल छल नितीश कुमारमें – लेकिन मूल संस्कार केर रक्षा करय लेल हिनकहु सभमें दमवाली बात देखय लेल नहि भेटैछ। इतिहास गवाह छैक जे यदि अपन मूल डीह आ मूल संस्कृतिके कोनो परिवार त्याग केलक तऽ संसारक भीडमें कतय हेरा गेल से कियो नहि बुझि सकल।
उदाहरण लऽ लियऽ! गामक फल्लाँ बाबु कलेक्टर बनलाह आ शहरे रहि गेला, एगो बेटा अहमदाबाद, दोसर जहानाबाद आ तेसर मुर्शिदाबाद! बेटी सेहो लखनउके नबाबे संग! तिनकर सभक संतान होशंगाबाद, जम्मू आ मथुरा-वृन्दावन! अपन सहोदरके कि हालत सेहो दोसर के पता नहि। बिखैर गेला पूरा परिवार! छैथ कतहु, हमरा कि पता!
बिहार बनि गेल बिखरल परिवार समान कारण ढकोसला विकास के नाम पर सेहो आब जखन एक प्रखर पुत्र नितीश अपन लगन सऽ किछु कार्य करबाक पैंतरा करैत छथि तखन, अवश्य बिहारी एक सम्मानजनक पहचान बनि गेल अछि से ढोल पीटल जा रहल अछि। लेकिन समेटल परिवार, विकासशील परिवार के ई लक्षण कदापि नहि जे फल्लाँ बाबु कलेक्टर साहेबक परिवारके कहलहुँ। भगवती घरमें बादूड़ घरवास करैत छन्हि एखन!
मिथिला राज्य यदि आजुक बिहारके अस्मिताक विरुद्ध अछि तऽ विकास लेल कि सोचलहुँ?
ओ जे पेपर मिल आ सुगल मिल सभ छल तेकरा पुनर्स्थापित करबाक लेल कि प्रगति अछि?
साक्षरताके दर बढाबय लेल आ शिक्षाक नीक प्रसार लेल अनिवार्य मातृभाषामें शिक्षा पद्धति अनुरूप मैथिली संग दुर्व्यवहार कहिया रूकत?
सामरिक रूपमें मिथिलाक अधिकांश भूमिके बाढमुक्त करबाक लेल नदीके जोड़बाक परियोजना, नहर निर्माण, झील संवरण, एहि सभपर कोनो योजना एखन धरि कार्यान्वयन किऐक नहि भेल?
मिथिलाक विशेष कृषि उत्पाद जेना पान, मखान, माछ – एकर व्यवसायीकरण-वैज्ञानिकीकरण कहिया होयत? कोनो अनुसंधानो भेल एहि सभ तरफ? सरकार या सरकारके नुमाईंदाकेर कोनो ध्यान अछि एहि तरफ? एतेक रास पोखैर छैक, एतेक रास भूमि छैक, एहेन मीठ मोडरेट क्लाइमेट छैक…. तऽ ध्यान केकर जेतैक एहि सभ के समुचित संवरण-संवर्धन दिस?
शिक्षाक केन्द्र रहल मिथिला, आइ मैथिलकेँ कोटा आ बेंगलुरु के संग पुद्दुचेरी जाय के बाध्यता किऐक?
सरकारी रोजगार नहि उपलब्ध रहलाके कारण, सभ रोजगारोन्मुख बनैत उच्च स्तरीय पढाइ सऽ विमूख अपन भूमिके बंजर छोडि पलायन करय लेल बाध्य, समाधान लेल सोच कि? उलटे यशगान जे अच्छा है, चाँदपर भी बिहारी जाकर रोजगार कर सकता है कहि फूला देनाय आ एम्हर कंबल ओढि घी पिबय लेल बस मंत्री, ठीकेदार, दलाल, आदि बेहाल? एहेन भरुवागिरी सोच बिहारमें किया?
आ तखन यदि मिथिला राज्य लेल माँग अलग होयत तऽ अपने में चैत-चैत खेलाइत जाँघपर थाप मारयके प्रवृत्ति कियैक?