राज्यपक्ष केँ गंभीर होयब अत्यावश्यक!!
नेपाल सरकार आ राज्य संचालन केर जिम्मेवारी सहित केर राजनीतिक दल द्वारा जाहि तरहें मधेस केन्द्रित राजनीतिक दल केर माँग आ ताहि लेल कैल जा रहल एतेक लंबा अबधि केर आन्दोलन केँ कच्छप चालि सँ निदान तकबाक गैर-जिम्मेवारीपूर्ण कार्य कैल जा रहल अछि ताहि सँ जनाक्रोश दिन ब दिन बढैत जा रहल अछि।
समस्या तखन भयावह बुझाइत अछि जखन कोनो मधेसी समुदाय केर सामान्य जन कोनो पहाड़ी समुदाय केर व्यक्ति केँ देखिते घृणा सँ भरि जाइत अछि आ तहिना मधेस मे बसोवास कय रहल पहाड़ी समुदायक जनमानस मधेसी समुदायक जनमानस केँ देखिते एकटा अनिश्चित भय व आतंक मे फँसि जाएत अछि – एहेन जनभावना मे त्रास, आतंक, अनिश्चितताक माहौल सच मे अत्यन्त भयावह बनि गेल अछि।
आन्दोलनकर्ता एक तरफ वार्ता कय रहल अछि, लेकिन विगत केर धोखा आ देलो अधिकार केँ छीनबाक प्रवृत्ति केर प्रत्यक्ष भुक्तभोगी बनबाक बात कहि जन-जन मे सत्तापक्ष आ संविधानसभा लेल चुनल गेल ९०% सँ अधिक केर विजेता राजनीतिक दलीय पक्ष पर आरोप लगबैत स्थिति मे तनाव पैदा कय रहल अछि। सच मे मधेसक हाल एखन एहेन अछि जे राज्यद्रोह केर भावना सँ जनमानस उन्माद पर उतारू होयबा लेल तत्पर देखाय लागल अछि।
काल्हि सँ प्रमुख तीन दल केर नेतृत्ववर्गक वार्ता टोली आ मधेसवादी दल द्वारा निर्धारित वार्ता टोली बीच वार्ता औपचारिक रूप सँ शुरु भेल अछि। काल्हि दुनू पक्ष द्वारा विषय प्रवेशक संग संविधान संशोधनक सूची पर्यन्त राखल गेल। आइ फेर सँ दुनू वार्ता टोलीक बीच वार्ता भेल, परन्तु ओ निष्कर्षविहीन अवस्था मे एक-दोसरक अडान विन्दु पर समाप्त भऽ गेल। आब शुक्र दिन फेर वार्ता होएबाक निर्णय लेल गेल अछि।
एम्हर वार्ताक क्रम, ओम्हर आन्दोलन आ सत्तापक्ष द्वारा संपूर्ण ध्यान भारत सँ कोनाहू अपन जरुरतक अत्यावश्यक सामान केर आपूर्ति व्यवस्था सहज करैत बन्द मधेस सँ प्रहरीक सुरक्षा बीच ग्रहण करबाक आतुरता देखायल जा रहल अछि। बीच मे पिसा रहल अछि आम जनमानस – नेपाली जनता। राजनीतिक अधिकार केर वास्ते नेपाल मे दुइ धार – एकटा तथाकथित शासक वर्गक अग्रसरता मे रहल राजनीतिक दल आ दोसर तथाकथित हरुआ मधेसवादी दल।
शासक वर्गक गणित मे एहि बेर दुइ-तिहाइ बहुमत केर दंभ अछि, जखन कि संविधान सभा प्रथम मे विजेता दल एमाओवादी आ मधेसवादीक अग्रसरता रहल समय बहुमत रहितो ‘राष्ट्रीय सहमति’ केर एजेन्डा सबसँ ऊपर छल। एतबा नहि, पैछला संविधान सभा काल मे हारल लोक सब शासक वर्गक होएबाक कारणे आ अपन सत्ताभोगी राजनीतिक लक्ष्य सँ मधेसवादी-माओवादी पर हावी होइत देशक प्रधानमंत्री आ विदेशमंत्री सहित विभिन्न महत्वपूर्ण पद समेत पर आसीन भेल, परन्तु सत्तासुख केर अतिरिक्त संविधान बनेबाक कार्य पर बिना ‘राष्ट्रीय सहमति’ कियो टस सँ मस तक नहि भेल छल।
यैह सब कारण सँ उपरोक्त वर्णित तथाकथित हरुआ दल आ हरुआ नेता मधेस केर अधिकारक नाम पर जे आन्दोलन शुरु केलक से आब दोसर महीना पूरा करय जा रहल अछि। संपूर्ण मधेस मे अशान्ति आ बन्दीक असैर ओहिना देखा रहल अछि। लेकिन काठमान्डु मे केन्द्रित राजनीति व सत्ता-शासन मधेस केर समस्या केँ पूर्णरूप सँ नकारैत रहल अछि। अन्त मे एकलौती ढंग सँ संविधान घोषणा करबाक जिद्दपूर्वक कार्य कएलक आ आन्दोलित मधेसक जनादेशक बिपरीत पूर्वक जीत केर दंभ सँ भरल नेता उनटे ‘दीपावली’ मनेबाक फतवा जारी करैत अपन बेईमान आ निर्दयी मानसिकता सेहो स्पष्ट कय देलक।
मधेसवादीक आन्दोलन पर नकारात्मक टीका-टिप्पणी आ गैर-जरुरी कहैत टाल-मटोल करैत आतंकी तथा हिंसक कहि राज्य सुरक्षा निकाय केँ मानव अधिकार विरुद्ध गोली सँ छाती आ मूरी छलनी करबाक इशारा पर्यन्त देल गेल जेना प्रतीत होइत रहल अछि। दर्जनों आन्दोलनी केँ बेतरतीब आ वीभत्स ढंग सँ सुरक्षाकर्मी द्वारा हत्या कैल गेल, दमन करबाक लेल सेना पर्यन्त उतारि देल गेल। लेकिन स्पष्ट रूप मे नेपाली सत्ता मधेस केर हित मे नहि रहबाक भावना सँ आक्रोशित मधेसी जनमानस ‘कर या मर’ केर संकल्प लैत एखन धरि सत्ता-शासन विरुद्ध आन्दोलन केँ निरंतरता दय रहल अछि। जनभावना दिन-ब-दिन राज्यसत्ताक विरुद्ध भेल जा रहल अछि आ चर्चा मे नेपाल सँ इतर मधेस स्वतंत्र राष्ट्र तथा राष्ट्रीयताक भावना पर्यन्त आक्रोशित जनमानस सँ भेटय लागल अछि।
भारत द्वारा सर्वपक्षीय संबोधन आ तराई-मधेस मे शान्ति बहाल करबाक बेर-बेर कूटनीतिक प्रयास केँ पर्यन्त नकारब नेपाली राज्यसत्ता केँ लेकिन महंग पड़ि गेल सेहो स्पष्ट भेल अछि। भारत केर कूटनीति मे मधेसकेन्द्रित दल प्रति खुलिकय कहियो समर्थन पूर्व मे नहि देखल गेल छल। लेकिन एहि बेर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीक विशेष दूत डा. एस. जयशंकर केर नेपाल मे संविधान जारी करबाक पूर्वसंध्या मे आकस्मिक यात्रा केँ सेहो दंभी नेपाली राजसत्ता अपन मदहोशी मे नकारि देलक जेकर परिणाम पुन: भारतीय परिवहन कंपनी, राज्यसत्ता, राजनीतिक दल, कूटनीतिक निकाय आ विद्वान-बुद्धिजीवी सब पक्ष द्वारा मधेस मे जारी आन्दोलन आ ताहि पर नेपाली सुरक्षाकर्मीक बर्बर अत्याचार आ दंभी नेपाली राजसत्ताक खिलाफत करैत भारत केर सहयोग केँ तुरन्त प्रभाव सँ वापस लेबाक दबाव बनेलक। शायद यैह कारण सँ भारतीय विदेश मंत्रालय नेपाल केर जारी नव संविधान केँ कोनो स्वागत केने बिना दिपावली मनेबाक कुत्सित उद्घोषणाक विरुद्ध पाठ सिखेबाक ध्येय सँ परिवहन कंपनी द्वारा अशान्त नेपाल मे नहि जेबाक आ मधेस आन्दोलन केँ संबोधन केने बिना आपूर्ति व्यवस्था सहज नहि होयबाक ज्ञापन जारी करैत भारतीय नाका सँ नेपाल तरफ आबयवला संपूर्ण आपूर्ति केँ ठप्प कय देल गेल।
जाहि नाका मे नेपाली प्रशासकीय निकाय द्वारा भारतीय परिवहन व्यवस्थाक सुरक्षाक गारंटी देल गेल ताहि बाट सँ थोड़-मोर आपूर्ति रखैतो तेल आ रसोई गैस केर आपूर्ति डिपो सँ सेहो शिथिल कय देल गेल। मानल जाइत छैक जे नेपाली राजसत्ता केँ कुंभकरणी नींद सँ जगेबाक लेल काठमान्डूक जनमानस केँ जगाबय पड़ैत छैक, यैह नीतिक संग काठमान्डूक आपूर्ति व्यवस्था भले मधेसक आन्दोलन जारी रहैत पूलिस द्वारा एस्कर्टिंग (सुरक्षा) दैत निरंतर राखल गेल छल पहिने, मुदा आब भारतीय पक्ष द्वारा अपन परिवहन व्यवस्था केँ निरुद्ध केलाक बाद सबटा ठप्प भऽ गेल।
काठमान्डू केर नींद तऽ टूटलैक मुदा तन्द्रा यथावते रहि गेलैक। तन्द्रावस्था मे बरबरैनी लागि गेलैक सत्ताभोगी दंभी राजनीतिकर्मी केँ आ बरबराइतो ओ अपन राजनीतिक लक्ष्य मे छद्म राष्ट्रवादिताक प्रदर्शन करैत भारत पर आरोप लगबैत ‘अघोषित नाकाबन्दी’ केर हल्ला मचबय लागल। स्पष्टत: गोटेक सम्भ्रान्त दल व राजनीतिकर्मी छोड़ि बाकी सर्वत्र भारतक आलोचना आ उलाहनाक संग भारतीय प्रधानमंत्री मोदीक पुतला फूकय सँ लैत दूतावास केर सोझाँ विरोध प्रदर्शन, सामाजिक संजाल मे ‘बैक अफ इंडिया’ मुहिम, आदि ढेर रास नकारात्मक कार्य कैल जाय लागल, तैँ आन्दोलनकारी मधेस केन्द्रित दल केर नेता सब सँ ससमय वार्ता करबाक कोनो प्रयास उपयुक्त ढंग सँ नहि कैल गेल।
कछुआ चालि सँ ई वार्ता आब सुचारू रूप मे दुइ दिन सँ जारी अछि। आइ उम्मीद छल जे जिम्मेवारीपूर्वक दुनू पक्ष आपस मे सब समाधान निकालैत कोनो न कोनो सहमति बनबैत आम नेपाली जनमानस केँ विपत्ति सँ ऊबारत, लेकिन अफसोस जे एहेन किछु नहि भऽ सकल। आइ फेर समाचार भेटल अछि जे वार्ता मे सीमांकन केर मुद्दा पर सरकारी पक्ष कोनो स्पष्ट नीति आगाँ नहि राखि सकल। जाहि कारण सँ वार्ता निष्कर्षविहीन अवस्था मे पुन: दुइ दिन आगाँ लेल बढा देल गेल। नहि जानि ई वार्ता कतेक समय धरि संपन्न होयत। मधेस केर जनता त्राहि-त्राहि कय रहल अछि। जेको पेट्रोल-डीजल-गैस कने-मने भारतक नाका सँ अबैत अछि ओ सीधे काठमांडू पठा देल जाइत अछि। काठमांडूक बाहर कोनो भाग सच मे नेपालहि केर थीक ई भावना पर्यन्त नेपाली राजसत्तापक्ष सँ नहि स्पष्ट भऽ रहल अछि।
किछु तथाकथित परिपक्व राजनीतिक दल आ राजनीतिकर्मी कहैत छथि जे मधेसक आन्दोलन सबटा पहिने सँ संबोधन संविधान द्वारा कय देल गेल अछि। तेकर अलावे यदि कोनो असन्तुष्टिक बात अछियो तऽ ओ बाद मे संशोधन करैत संबोधन कैल जायत। लेकिन यैह बात बुझेबाक लेल ओहि परिपक्व राजनीतिकर्मी केँ मधेस भूमि पर आबिकय कहबा मे दिक्कत छन्हि। जे अबैत छथि हुनका ऊपर आन्दोलित मधेसी जनता द्वारा हात-पात, आगजनी, कारी चून, कारी झंडा, जुत्ताक माला आदि पहिनहि सँ तैयार रहैत छन्हि। एहेन द्वंद्वक माहौल मे आखिर मधेस आ देश कोना शान्ति आ सौहार्द्र पबैत सामान्य बनत एहि बात पर बहुत पैघ प्रश्न ठाढ भेल अछि। मधेस केन्द्रित द्वारा राजनीतिक मोर्चा आ दल आदि द्वारा आन्दोलन आइ जाहि स्थिति मे पहुँचि गेल अछि, आखिर ओकरो रोकने नोक्सानीक भरपाई कोना हैत ईहो एकटा गूढ प्रश्न ठाढ भऽ गेल अछि। एहेन सन अवस्था मे मात्र राज्य पक्ष केँ गंभीर बनिकय समाधान निकालैत राजनीतिक द्वंद्व सँ आम नेपाली जनमानस केँ मुक्ति देब समुचित आ समिचीन होयत।
हरि: हर:!!