एकटा एहनो व्यंग्य: वोटकटुआ आ कि सुच्चा मिथिलावादी

सितम्बर २९, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

सामाजिक संजाल वर्तमान युग मे क्रान्ति आनि रहल अछि, एहि मे कतहु दुइ मत नहि। एहि बेर बिहार केर विधानसभा चुनाव मे फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्विटर आदिक भरपूर प्रयोग-उपयोग कैल जा रहल अछि। बिहार मे एखन धरि ३ टा मुख्य गठबंधन या मोर्चा स्पष्ट रूप सँ रण मे देखाय लागल अछि, लेकिन एहि बीच मिथिलावाद केर लुक्खी प्रयास सेहो एहि बेर आम जनमानस मे गणनीय बनि रहल अछि। कारण एक वा अनेक भऽ सकैत छैक। टिकट केर बँटवारा मे कोन गठबंधन सँ के उम्मीदवारी लय सकल ई सबसँ पैघ आर पहिल उपलब्धि भेल। के रुष्ट भेल, के पाला बदललक, केकरा एहि बेरुक चुनाव मे लड़बाके छैक, केकर सपना नेतागिरी लाइन मे केहेन छैक…. बहुत रास फैक्टर्स सँ लोक अपन-अपन रणनीति तय कय रहल अछि। एहि मे पहिल, दोसर, तेसर आ चारिम के संग पाँचम स्वतंत्र यानि निर्दलीय चुनाव लड़बाक अप्सन खुजल छैक सब लेल।

सर्वेक्षण मुताबिक मतदाता एहि बेर बिहार मे परिवर्तन आनय जा रहल अछि। गाम-गाम आ ठाम-ठाम कनियो बुझनुक मतदाता सँ पूछला पर एक्कहि टा जबाब भेटैत छैक जे एहि बेर ‘नमो-नमो’ यानि राजग गठबंधन केँ चुनब। लेकिन एकटा बहुत पैघ वर्ग एहनो छैक जे नमो आ भाजपा केर मतदातावर्ग मे नहि पड़ैत छैक, ताहि हेतु ओकर कहब छैक जे महागठबंधन टा हमरा लोकनिक च्वाइश अछि। तेकर बाद छँटल-छूटल मतदाता मे विभिन्न मुद्दा केर आधार पर तेसर मोर्चा यानि पप्पू यादव केर खोलल पार्टी जाहि मे सब रूसल-फूलल केँ समेटल गेलैक अछि। चारिम मे मिथिलाक्षेत्रक ‘मिथिलावाद’ केर नारा बुलंद कएनिहार किछु दल छैक। अखिल भारतीय मिथिला पार्टी एहि बेर नीक मेहनत केलक अछि। ठाम-ठाम पर नीक उम्मीदवार सब ठाढ केलक अछि। उम्मीद सबकेँ छैक, उम्मीद सँ अभामिपा सेहो अछि। मतदाता मे ध्रुवीकरण जँ नहि हेतैक तऽ निश्चिते एहि बेर दुइ-चारि आ कि दस-बीस सीट पर मिथिलावादीक दावेदारी मजबूती सँ स्थापित हेतैक।

आइ फेसबुक पर देखायल एकटा व्यंग्य – एक झा रूपेश लिखने छथि हिन्दी मे, जेकरा मैथिली मे अनुवाद कय अहाँ पाठकवर्ग लेल एतय राखि रहल छी। हमरा मनन योग्य बुझायल, हलाँकि व्यंग्यशैली मे लिखल छैक, ताहि हेतु एकरा व्यंग्य केर अन्दाज मे लेल गेल अछि। आउ देखी:

झा रूपेश बनगाँव (सहरसा) सँ लिखैत छथि:

nirmal jha abmp bangao“विकल्प केर खोज मे भटैक रहल ब्राह्मण समाज केँ अखिल भारतीय मिथिला पार्टी केर तरफ सँ श्री निर्मल कुमार झा रूपी आब भेट गेला अछि अपन नव नेता।

नव कहबाक तात्पर्य ई बिल्कुल नहि जे नेताजी नव छथि। अपार अनुभव और वोटर केर ‘डॉक्टर’ नाम सँ प्रसिद्ध युवा एवं संघर्षशील निर्मल कुमार झा जटिल समस्या सबकेँ सटीक सुलझेबाक क्रम मे अपने फैँस जेबाक अपूर्व कला सँ संपन्न छथि। ४ बेर विधायक केर चुनाव लैड़ चुकला नेताजी। बनगाँव जेहेन विशाल गामक ४ बेर कृष्णाष्टमी मेला अध्यक्ष सेहो रहि चुकल छथि। हिनक कार्यकुशलता सँ ओतप्रोत ग्रामीण हिनका एहि बेर वोट देबाक वास्ते अंतिम फैसला नहि कय पाबि रहला अछि। ग्रामीण केर मानब छन्हि जे सहरसा विधानसभा क्षेत्र मे मुख्य मुकाबला नेताजी बनाम राजद केर अरुण यादव सँ होयत। जाहि मे वोट केर अधिकता केँ देखैते ग्रामीण वोट केर खास असैर नहि होयत। काल्हि जखन नेताजी सँ पूछल गेल तऽ ओ बतौलनि कि बनगाँव केर वोट हमर जीत मे चारि चाँद लगायत। फेर ओ आलोक रंजन केँ ४था नंबर पर रहबाक बात कहला।

अहाँ सहरसाक तमाम मतदाता सँ अपील करैत छी जे नेताजी पर वोट सँ हो या दीर्घायु होयबाक आशीर्वाद सँ, मुदा अपन दयादृष्टि बनेने रहबाक प्रयास जरुर करब। अरे! वोट कोन छाप पर देबैक से तऽ बतेवे नहि केलहुँ न!! वोट देबाक लेल अपना बूथ पर जाकय क्लियर जानकारी पीठासीन पदाधिकारी सँ पूछिकय ओहि छाप पर हुनका वोट देबनि। कियैक तँ एखनहि किछु दिन पहिने दुइ बेर छाप बदैल चूकल अछि। नारियल सँ आब पेन केर नींब बनि गेल अछि। परिवर्तन संसार केर नियम छैक, ताहि हेतु नेताजी केँ वोट देबा सँ पुर्व अधिकारी सँ छाप पूछि लेब, नेताजी केर स्वस्थ रहब मे ई सहायक होयत। १५ या २० केँ करीब २०० ई-रिक्शाक विशाल जनसमूह केर संग नोमिनेशन होयत। अहाँ अपना गाडी और पैसाक संग सादर आमंत्रित छी। सिंघाड़ा चटनी केर व्य्यवस्था छैक, से शायद आगाँ कहता। “सबहक नारा – नेताजी हमारा”!”

ई तऽ छल झा रूपेश द्वारा देल गेल एकटा अपनहि ग्रामीण उम्मीदवार आ हुनक पार्टी अखिल भारतीय मिथिला पार्टी प्रति व्यंग्य, मुदा निस्तुकी बात यैह छैक जे किछु अही तरहक भावना करीब-करीब सब क्षेत्र मे बनि रहलैक अछि। मिथिलाक्षेत्रक मतदाता मे मिथिलावाद एकटा मजाक छैक, अपन मत केर मूल्य आ तेकरा ओही दलक उम्मीदवार केँ देब मूल्यवान् छैक जे मिथिलाक्षेत्र केँ नाक काटिकय संपूर्ण जनमानस केँ जाति-पाति मे बाँटि युवा सहित संपूर्ण जनशक्ति केँ प्रवास पर जाय रोजी-रोटी कमेबाक लेल बाध्य कय चुकलैक अछि। मैथिली भाषा, साहित्य आ संस्कार केर निलामी कय देल गेलैक। सौंसे क्षेत्रक पर्यटकीय महत्व केँ अपमानित कय मट्टीपलीद कय देल गेलैक। तथापि जनमानस मे अपनहि लोकक मजाक उड़ायब आ अपन स्वराज्य लेल नारा संग आयल दल केर मजाक उड़ायब, यैह तकदीर यथार्थक थिकैक एहि सनातन पौराणिक सभ्यता मिथिला केर। खासकय मैथिल ब्राह्मणजन अन्य ब्राह्मणजन केर कोना व्यंग्य उड़बैत छथि तेकर जियैत-जागैत प्रमाण थिकैक उपरोक्त बात व विचार। नेताजी केर उदाहरण तऽ एकटा अभरल ताहि हेतु एहि ठाम आनल, लेकिन वास्तविक संस्कार आ स्वीकार्यता मिथिलाक हरेक क्षेत्र मे बिल्कुल झा रूपेश व निर्मल नेताजी समान छैक, एहि मे कतहु दुइ मत नहि। एहि जनता केँ न विकास सँ मतलब छैक, न मुद्दा छैक आरो कोनो, बस मुद्दा एकटा जे पटना मे युद्ध छैक गद्दी केर आ ताहि लेल लड़ि रहल अछि दुइ बड़ दल आ गठबंधन जेकरा मे मिथिलाक स्वत्व प्रति संरक्षणक न कोनो सोच, न क्षेत्रीय विकास प्रति कोनो सोच, न कृषि, न सिंचाई, न उद्योग, न स्वास्थ्य न कोनो पूर्वाधारक विकास, न बिजली, न सड़क, न शिक्षा… किछुओ मुद्दा नहि छैक। बस ओ ओकर जाति, ओ ओकर धर्म आ ओ ओकर दल केर चर्चा करैत छैक आ वोट अपन निलाम कय दैत छैक। कोना बनतैक मिथिला?