जनकपुरधाम, सितम्बर २९, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
हालहि एमाओवादी पार्टीक प्राथमिक सदस्यता, व्यवस्थापित संसद केर सदस्यता तथा संपूर्ण राजनैतिक दायित्व सँ त्यागपत्र देनिहार नेपालक एकटा उच्चस्तरीय प्रमुख नेता आ पूर्व प्रधानमंत्री डा. बाबुराम भट्टराई आइ सँ अपन नव अभियान पर निकैल पड़ला छथि। आइ मिथिलाक राजधानी जनकपुरधाम मे माओवादीक मधेश-समर्थक असन्तुष्ट नेता लोकनिक एकटा आयोजन मे सहभागिता लेल डा. भट्टराई जनकपुर आयल छलाह। एयरपोर्ट पर हुनका सँ संचारकर्मी लोकनि मधेश आन्दोलन प्रति समर्थन करबाक विषय मे जिज्ञासा रखलकैन तेकर जबाब मे ओ कहला जे, “हम आन्दोलनकारी नहि, सहजकर्ता छी। मधेश आ पहाड़ केर नेपाली समुदाय बीच जाहि तरहें वर्तमान समय मे दूरी बनि गेल अछि, तेकरा पाटब जरुरी अछि। एहि अभियान पर काज करबाक लेल हम मधेश आयल छी।”
आइ नेपाली मिडिया मे एकटा हल्ला चलायल गेल छलैक जे डा. बाबुराम भट्टराई सेहो जनकपुर आबि अपन पार्टीक मधेशवादी नेता जिनका बारे पार्टी नीति सँ असन्तुष्ट रहबाक चर्चा जोर पर अछि तिनका सब संग संविधान केर प्रति मधेश मे जरायल जायत, लेकिन डा. भट्टराई केर स्वकीय सचिव एहि बातक खण्डन करैत एकरा कुत्सित मानसिकता द्वारा प्रसारित अफवाह करार देलनि। डा. भट्टराई द्वारा मधेशी-थारू व अन्य असन्तुष्ट पक्ष केर आन्दोलन प्रति ऐक्यबद्धता जनायल गेल अछि, ताहि लेल वार्ताक प्रक्रिया सँ आपसी मतभिन्नता आ दूरी केँ हँटेबाक अभियान चलेबाक बात हुनकर जनकपुर यात्रा सँ प्रारंभ कैल जेबाक उद्देश्य ओ स्पष्ट केलनि।
डा. भट्टराई कार्यकर्ता व नेताक बैसार मे सारगर्वित संबोधन करैत स्पष्ट कहलनि जे ओ तीनू दलक मुख्य नेतृत्वकर्ता केँ मधेश सहित अन्य असन्तुष्ट पक्षक आन्दोलन प्रति लचीलापन राखि समाधान करबाक बाट संविधान घोषणा सँ पहिनहि निकालबाक लेल आग्रह केने छलाह, लेकिन हुनकर बात केँ नजरंदाज करैत अन्ततोगत्वा संविधान घोषणा करबाक काज प्रथमत: कैल गेल। ताहि हेतु अपन जिम्मेवारी सँ बान्हल डा. भट्टराई ओहि कार्य मे सांकेतिक संङोर रखैत आब सब सँ पैघ जरुरत केर कार्य करबाक लेल निकैल पड़ला अछि। असन्तुष्ट पक्ष आ सत्तासीन नेतृत्व बीच एकटा सेतुक कार्य ओ कय सकैत छथि, यैह भूमिका वास्ते ओ अपन यात्रा जनकपुर सँ शुरु करबाक बात कहलनि।
मधेशी उत्पीडित जनमानस मे पहाड़ी शासक प्रति अविश्वासक माहौल व्याप्त रहल कारण पूर्व मे कइएको बेर हिनका सब संग धोखा भेल अछि। एहि बात केँ आत्मसात करैत डा. भट्टराई अपन जातीय पहिचान सेहो पहाड़ी होएबाक कारणे अविश्वासक माहौल हुनको प्रति रहत ताहि सत्य केँ जनैते ओ सब पद व जिम्मेवारी सँ मुक्त भेलाक बाद अपन नव अभियान व भूमिका केर शुरुआत करबाक भावना रखलनि। डा. भट्टराई अपन भाषण केर अन्त मे ‘जय नेपाल’ तथा ‘जय मधेश’ केर नारा लगबैत स्वयं केँ सबहक संग होयबाक प्रतिबद्धता सेहो दोहरेलनि। कहल जाइत अछि जे सब असन्तुष्ट पक्ष केँ समेटि डा. भट्टराई नव राजनीतिक समीकरण केर स्थापना करता जे मधेश, पहाड़ आ सब समुदाय केँ आपस मे जोड़ि राष्ट्रीयता केँ नव ढंग सँ सशक्त करबाक महत्वपूर्ण कार्य करत।