विन्देश्वर ठाकुर, दोहा (कतार)। सितम्बर २७, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
२६ सेप्टेम्बर, २०१५ शनि दिन “मातृभाषाक जगेर्णा हमरा सबहक प्रेरणा” मूल नाराक संग कतारमे रहनिहार मैथिल सर्जक लोकनि द्वारा दोहाक मुन्ताजा पार्कमे खुल्ला मैथिली साहित्यिक कार्यक्रम – “साँझक चौपारि- पर” केर दोसर मासक बैसार सम्पन्न कएल गेल ।
ज्ञातव्य अछि जे अगस्त महिनामे अहिठाँ पहिल मासक बैसार भेल छल । अहि बेरक बैसारकेर समय २५ सेप्टेम्बर रहितो बकरीद एवं ईद धमाका ल’ एक दिन आगु कएल गेल छल । मैथिली साहित्य केर विकास लेल कतारमे भ’ रहल प्रयास सराहनीय अछि । कार्यक्रम कतारक समय ५ बजे सँ शुरु भ’ ७ बजेधरि चलल ।
एहि बेरक कार्यक्रम केर संयोजन कवि अब्दुल रजाक जी केने छलाह । बैसारमे मनिष राय, विश्वबन्धु यादव, बेचन महतो, असरफ राइन, विन्देश्वर ठाकुर, रवीन्द्र उदासी, राम उदय ठाकुर, राजेश मण्डल, अबधेश साह, अजय जी, सोनेलाल पंडित लगायत केर आओर-आओर मैथिल साहित्य प्रेमीसब सहभागी भेलाह ।
पहिल चरणमे एक-दोसरसँ परिचय-पात भ’ कार्यक्रम शुरु कएल गेल । तकरा उपरान्त एखनुक मधेशकेर वीर शहीद सबहक प्रति 10 सेकेन्ड मौन धारण करैत हार्दिक सम्वेदना प्रकट कएल गेल । तत्पश्चात: तेसर चरणमे उपस्थित कवि-स्रष्टा द्वारा अपन-अपन रचना सुनाएल गेल छल ।
मैथिल जगतकेर कतार सँ एक प्रबुद्ध एवं कुशल स्रष्टा श्री प्रणव कान्त झा जी केर रचना संग शुरु भेल एहि कार्यक्रममे गीतकार श्री रवीन्द्र उदासी द्वारा मधेश प्रति दर्द सँ भरल गीत प्रस्तुत कएल गेल छल। तहिना बेचन महतो जी देशसँ बाहर रहि प्रवासमे रहल पीडा केँ समेटि डायस्पोरिक कविता सुनौलनि ।
कवि अब्दुल रजाक जी द्वारा एखनुक समयमे मधेश आन्दोलनमे सहादत प्राप्त केनिहार वीर शहीद सबप्रति श्रद्धाञ्जली स्वरुप कारुणिक कविता प्रस्तुत कएल गेल । तहिना युवा गजलकार मो. असरफ राइन जी समसमायिक गजल कहलनि । बैसारमे विन्देश्वर ठाकुर द्वारा – “सहिदक पुकार” शीर्षक सँ कविता गायन कैल गेल जे सबकेँ भावुक बनौलक ।
कार्यक्रमक बीच-बीचमे कतारसँ बाहर रहल सर्जक लोकनिक रचनासब सेहो वाचन कएल गेल । एहि क्रममे प्रयास प्रेमी मिथिल जी (मलेशिया), एस.के. मैथिल(मुम्बई), अमीत मंडल(मलेशिया), प्रेमी रवीन्द्र(मलेशिया), सुरज भारती(दरभंगा), नारायण मधुशाला(लहान/नेपाल), दिनेश रसिया(सिरहा), दिनेश यादव(कतार), अशोक सहनी(कतार), आदि सर्जक लोकनि द्वारा लिखल रचनासब सेहो प्रस्तुत कएल गेल ।
समग्रमे जँ कहल जाए तऽ पहिल मासक बैसारक तुलनामे एहि बेरक बैसार बहुत उपलब्धीमूलक तथा संतोषजनक रहल । कार्यक्रमक समापन समय आयोजक लोकनि द्वारा सद्भावना प्रकट करैत कहल गेल जे, “आब तऽ बस इएह आशा करी जे प्रवासमे रहियोक अपन भाषा-साहित्य आ संस्कार-संस्कृति लेल अहिना दिन दुन्नी, राति चौगुन्नी होइत रहए – एहि अवधारणा व संकल्पक संग मैथिलजन सबहक आगमनमे वृद्धि होइत रहय । मैथिली जिन्दाबाद !!”