वर्तमान समय मे नेपाल मे भारतीय हस्तक्षेप केर चर्चा बहुत बेसी कैल जा रहल अछि। नेपालक मीडिया मे भारतक असंतोष केँ मधेश-मधेशीक माँग संग जोड़िकय देखैत ओतबे नकारात्मकताक प्रसार कैल जा रहल अछि जेना मधेशवादी राजनीतिक दल द्वारा कैल जा रहल महीनों सँ बेसी अवधिक आन्दोलन प्रति नेपाल केर सत्ताधारी शासकवर्ग आ मीडियाक टिप्पणी होइत छल। घटनाक्रम पर गौर करैत देखल जाय तऽ पहिने भारत द्वारा नेपालक आन्तरिक प्रक्रिया मे भारत द्वारा सीधे कोनो प्रतिक्रिया देब अन्तर्राष्ट्रीय जगत् मे सराहना नहि कैल जायत, उनटे भारतक सम्राज्यवाद नीति केँ उजागर करत, किछु ताहि आशंका सँ चुप्पी राखल गेल। बीच-बीच मे प्रधानमंत्री मोदी तथा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज केर वक्तव्य नेपाल मे बनि रहल संविधान केर प्रक्रिया केँ स्वागत करैत सब पक्ष केँ समेटबाक बात बेर-बेर कहले गेल छल। मुदा नेपाल केर सत्ता-समीकरण अपन गणित जोड़ि दुइ-तिहाई बहुमत केर दंभ मे भारतक सुझाव व सल्लाह केँ हवा मे उड़बैत रहल आ तहिना मधेश मे व्याप्त असंतोष केँ बिना कोनो संबोधन केने आश्विन ३ गते अन्तत: संविधान घोषणा करबाक तारीख निर्धारित कय देलक, संविधान घोषणा कय देलक। मुदा अन्त समय मे संविधान घोषणा सँ मात्र ५० घंटा पहिने भारतीय कूटनैतिक पहल सँ नेपाल मे व्याप्त असंतोष केँ समाप्त करैत सबकेँ खुशहाल बनबैत संविधान जारी करबाक उच्चतर प्रयास भेलाक बावजूद नेपालक ओहि २/३ बहुमत केर धनी दंभी राजसत्ताक संचालकवर्ग द्वारा पुन: बिना कोनो सुनबाई केने अपन धुन मे पूर्व-नियोजित रूप सँ संविधान घोषणा करबाक काज केँ प्राथमिकता दैत भारतीय पहल केँ अपमानित कैल गेल। यैह मूल कारण सँ नेपाल मे संविधान घोषणा भेलाक बाद भारत द्वारा नहिये एकर स्वागत भेल, नहिये असंतुष्ट पक्ष केँ भविष्य मे संशोधनक भर पर निर्भर रहैत बाट जोहबाक लेल बुझारत करबाक कोनो प्रयास भारतीय कूटनैतिक पहल द्वारा कैल गेल। बल्कि भारत अपन पहल केर तिरस्कार सँ अत्यन्त रुष्ट नेपाल केँ एकटा पाठ सिखेबाक लेल भारत सँ जारी आपूर्ति व्यवस्था मे परिवहन कंपनी असहज अनुभूति करबाक बात कहि लगभग आर्थिक नाकाबंदीक सिग्नल पठबैत नेपाली राजनीति मे भूचाल आनि देलक।
संविधान जारी भेलाक बाद जतय एक तरफ लोक केँ दीपावली मनेबाक खुशियाली बाँटल जा रहल छल, ओतहि मधेश मे ब्लैक आउट आ विरोध दिवस मनेबाक तैयारी कैल जा रहल छल। देश भरि मे भेबो कैल किछु तहिना, एकटा वर्ग संविधान घोषणा सँ अपन जीत मानिकय दीपावली मनेबाक लेल जगह-जगह प्रदर्शनकारी भूमिका खेलाय लागल, दोसर दिशि दर्जनों लोकक रक्त बहेनिहार मधेश भूमि पर मधेशी वर्ग द्वारा संविधान प्रति घृणा आ विरोध केर लहैर एतेक खतरनाक ढंग सँ बहि रहल छल जाहि सँ नेपाल मे मधेशी आ पहाड़ी दुइ समुदाय बीच सदा-सदा वास्ते एकटा गंभीर मतभेदक लाइन खींचा गेल प्रतीत भेल। दीपावली मनेनिहार केँ नेपालक शासन व प्रशासनक संरक्षण भेटल, ओतहि विरोध दिवस मनेनिहार केँ सेहो भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा नेपाल प्रति जाहिर कैल गेल असंतोष आ अशान्ति केँ दूर करबाक राजनीतिक पहल केर अनुरोध पाबि एकटा बड पैघ सहारा भेटल। नेपाल केर आन्तरिक समस्या मे भारतक प्रतिक्रिया एकटा महत्वपूर्ण भूमिका खेलाय लागल। हाल धरि नेपाली राजसत्ता पर आसीन शासकवर्ग भारत द्वारा देल गेल सुझाव केँ अपन स्वाभिमान पर चोट मानिकय देशवासी केँ नहि झुकबाक, नहि टूटबाक प्रतिबद्धता व्यक्त करैत अछि, ओतहि विरोधी पक्ष अपना पर असमान संविधान लादबाक दोषी सबपर भारत केर प्रतिक्रिया सँ न्याय भेटबाक उम्मीद सँ बन्द-हड़तालक प्रकृतिकेँ आरो ‘नाकाबंदी’ मार्फत बदला लेबाक समान व्यवहार होमय लागल अछि।
एहि बीच दुइ देशक बीच सम्बन्ध केँ सामान्य करबाक लेल कूटनैतिक पहल तऽ जोर-शोर सँ होयब शुरु भेबे कैल अछि, मधेश केर आन्दोलन केँ संबोधन करबाक लेल सेहो समुचित पहल उच्च स्तर पर होयब शुरु भऽ चुकल अछि। नेपाल आ भारत केर सम्बन्ध अति प्राचीन समय सँ मित्रतापूर्ण रहल अछि जाहि मे सत्तासीन दम्भ सँ कतेको बेर समय-समय पर समस्या सेहो आयल अछि। वर्तमान समय देखल जा रहल समस्या सेहो क्षणिक मात्र केर थीक, लेकिन भारत अपन महत्वपूर्ण मित्रताक एहसास दम्भी आ एकाधिकारवादी नेतृत्व केँ बुझाबय मे लगा रहल अछि से स्पष्ट अछि। मधेश व मधेशीक समस्याक समाधान होइते स्थिति सामान्य भऽ जायत एकरा कियो नहि काटि सकैत अछि। लेकिन ताबत समय धरि तरह-तरहकेर बाजीगरी-बयानबाजी सब होयब सेहो तय अछि। एहि सब सँ नोकसानक परिमाण दुनू देशक सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्ध पर कतेक पड़त ताहि लेल अलग सँ चर्चा करब जायज होयत।