खिरपुरिया पावनि चौरचन: शिक्षा ग्रहण प्रारंभ करबाक दिन

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विचार-अनुभूति

– प्रा. परमेश्वर कापड़ि

khirpuriyaप्रकृतिक लागि–भागिमे रहल, सब अर्थे सहज सात्विक गुजर–बसर करएबला अपन मिथिलाक कर्म–धर्म प्रधान समाजक मौलिक संस्कृतिमे आध्यात्मिक जीवनक जतेक महत्व अछि, ओतबे आस्था–विश्वास एहि लोकके दिन–बेरागन परक व्रत, पावनि–तिहारपर अछि । आम लोकक अगम अथाह आस्था–विश्वासक बीजमन्त्र समर्पित भावे एहिमे एहन क’ ने सन्हिआएल अछि जकरा भौतिकताक चकचोन्हि आधुनिकताक आन्हर बिहाड़ि कनिको लुकझुका नहि सकल अछि । होइत–हवाइत आइयो ई अपन जड़ि–जमीनस’, अपन परम्परागत जीवन पद्धति एवं मूल्य–मान्यतास’ टटकापन सहित जुड़ल, अड़ल समाजके अर्थवत्ता, समर्पित निष्ठा प्रदान करैछ ।

लोक पावनि चौरचनमे मनक देवता, आकाशक देवता, जीवन–रस प्रदाता भगवान चन्द्रमाके पुजल जाइछ । अइ दिनमे चन्द्रमाके पितृ भावस’ पुजने, लोकक मनक सकल मनोरथ, इच्छा–आकांक्षा पुरन होइछ । मनोवांच्छित इच्छापूर्ति आ चित्वृतिक शुद्धिस’ लोकके जीवनमे, घर–परिवार आ समाजमे सुख–समृद्धि अबैछ, सौभाग्य आरोग्य पबैछ ।

एहि लोकपावनिमे चानक सङे मरल पिता–पुरखाके देवतावत पुजल जाइछ । एहिमे धर्म–अध्यात्म, परम्परा आ लोकदर्शनक बीजमन्त्र विस्तृत आ व्यापक अर्थमे जीवनके अर्थवता सहित सार्थकता सेहो प्रदान करैछ । पवन पावन पावनि चौरचनमे धर्म, अध्यात्म, लोक जीवनदर्शन आ मूल्य-मान्यता लोकायित आ परम्परित रहने ई अन्धभक्ति आ छुच्छ परम्पराक निर्वाहटा नइ, मानस पूजाक भाव आ तप–तपस्याक गुण–गौरव अछि ।

अइ दिन बेरागनमे, सावकमे, विद्या बुद्घि निधानताके लेल चटसारी गुरुजी चटिया सबके एहि दिनमे भट्ठा धरबैत छलथिन्ह, परात भेने चटियाके आँखि बान्हि चौठचन्नी मङैत छलाह । आइ विद्या कला अध्ययन पद्धति आ परम्परा बदलने, एकर उठानि भ’ गेल अछि सेहे नइ, खाँति, गरहन–विटगरहा, रुआ–कनमा, हुट्ठा–पौना सेहो अलोपित भ’ गेल, ततबे नइ एकरा सङे एकर लेखन सेहो गाइभ अछि । आबक एहि अध्ययन अनुसन्धानक जुग–जमानामे एक खोजीनीति सहित एकर दस्तावेजीकरणक कर्तव्यता अछि ।