समर्थन कम घमर्थन बेसी: मैथिल जनताक स्वभाव सँ मिथिलाक्षेत्रक विपन्नता

Mithila Ke Jhandaजनप्रतिनिधि आइयो मिथिलाक्षेत्र मे ओतबे संख्या मे छैक, चाहे पंचायत हो या प्रखंड या जिला या प्रमंडल। सरकारी कामकाजी हाकिम-हुकुम सँ लैत प्रशासनक हरेक तह मे लोक ओहिना छैक जेना बाकी बिहार मे। न्यायपालिका सेहो समान स्तर सँ न्याय देबाक मन्दिर खोलिकय काज कय रहलैक अछि। लोकतंत्रक चारिम खंभा मानल जायवला संचार क्षेत्र सेहो एतय पूर्ण पल्लवित छैक। तखन कियैक कहल जाइत छैक जे ‘मैथिली-मिथिला विपन्न अवस्था मे छैक’?

वास्तविकता ई छैक जे जनप्रतिनिधि, प्रशासन, न्यायपालिका आ संचारक्षेत्र – सब एहिठामक जनताक बौद्धिक सामर्थ्य केँ बहुत पहिने सँ बुझैत छैक आ अकर्मण्यता सँ सेहो परिचित छैक। एहि ठाम विरोध केवल सांकेतिक होइत छैक। कोनो प्रकारक प्रतिकारात्मक क्रान्ति प्रीति-प्रशान्त प्रकरण समान कौआ कान लय उड़ि गेल आ ताहि मे कौआक खेहारय लेल टा संभव छैक। अपन मूल्य, मान, प्रतिष्ठा, पहिचान, विशिष्टता आदिक रक्षा लेल कतहु लोक एकमत भऽ आन्दोलन करैत होइक एहेन बहुत कम देखल जाइत छैक।

एहेन उदाहरण कतेको ठाम देखल जा सकैत छैक जे नेतागिरी करबाक लेल ढेर रास आश्वासन – वादा आदिक झड़ी लगेलक, चुनाव मे जीतल आ फेर वैह जनता केँ सोझाँ-सोझी ठेंगा देखेलक। जनता मे आपसी घमर्थन केर फायदा उठबैत आपसे मे समाज केँ विभक्त राखि भरपूर मजा लेलक ५ साल धरि। बुद्धिजीवी समाज ओकरा सँ असंतोष पेलक, धरि चुपचाप ओकर सब ताण्डव केँ वर्दास्त करैत रहल। जहिया दोसर बेर चुनाव हेतैक तऽ ओकरा वोट नहि दय पुन: दोसर केँ देब, दोसरो चुनल लोक यैह ताल आ मात्रा होयत, ओकरो ५ वर्ष झेलब। झेलिते-झेलिते मिथिला स्वतंत्रताक बादो ७ दशक मे अपन मूल-मान-प्रतिष्ठा-पहिचानक हनन टा केलक, संवर्धन या संरक्षण मे पिछैड़ गेल जेना प्रत्यक्ष देखाइत अछि।

एखन एकटा नवका हल्ला पसैर रहल अछि जे बिहार मे कुल १० भाषा केँ मातृभाषा वर्ग मे राखि पठन-पाठन करबाक मान्यता मे सँ मैथिली केँ हंटा देल गेल अछि। ई मात्र हल्ला थीक, बिना आधार केर कतेको बात होयब मैथिल केर वैह कौआ कान लय उड़ि गेल तऽ कौआ केँ खेहारयवला स्वभाव मे पड़ैत अछि। केकरो जखन गहिंर रुचि रहय मैथिली मे वा मिथिला मे तऽ निश्चिते तथ्यगत बात कैल जाइत, एतय तऽ उड़ती खबैड़ पर हमरा लोकनि बेसी ध्यान दैत छी। मधेपुर मे ऐगलग्गी मे ४-५ टा घर जरैत छैक, फैटकी कुटी पर समाचार २०-२५ घर जरबाक पसरैत छैक आ कुर्सों धरि अबैत-अबैत वैह समाचार पूरे मधेपुरे सुड्डाह भऽ गेल से पसैर जाइत छैक।

अहिना भेल छल १९८० केर दशक मे जखन मिथिला सँ पंडित जगन्नाथ मिश्र अपन राजनैतिक आका केर हुकुम केँ मानैत येन-केन-प्रकारेण उर्दू केँ दोसर राजभाषा केँ मान्यता दियेबाक बाद अपन पीठ अपनहि सँ ठोकैत दावी केने छलाह जे देखू, हम जे गछलहुँ से पूरा कएलहुँ। एम्हर ओहि समय सबसँ बेसी खौंत मैथिल ब्राह्मणहि केँ भेल, खूब करिया झंडा जगन्नाथ मिसिर केँ देखायल गेल। मिसिरजी सेहो अपन छवि धूमिल होइत देखि तरफर मे अपन कार्यकाल समाप्ति सँ कनी दिन पहिने जतेक संस्कृत विद्यालय आ महाविद्यालय आदि मैथिल बाभन समुदाय द्वारा खोलल गेल छल तेकरा मान्यता प्रदान कय पुन: मोहमद जगन्नाथ सँ पंडित जगन्नाथ बनि बेर-बेर अपन गढ सँ चुनाव मे जितैत रहला। ई बात अलग भेलैक जे बाद मे राजनैतिक तौर पर हाशिया पर फेकेला आ हुनकर चेले हुनकहि चाइल सँ हुनके किनार केलक। एत्तहु समर्थन कम आ घमर्थन बेसीक उदाहरण सोझाँ रहल।

कहल जाइत छैक जे मैथिली, मिथिला आ मैथिल केर कल्याण एखन धरि गैर मैथिल बेसी केलनि, चाहे अटल बिहारी वाजपेयी होइथ वा बिहार केर गैर-मैथिल मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री आदि। एखनहु नरेन्द्र मोदी मैथिली बाजय मे सम्मान बुझैत ‘हम आहाँ सब के गोर लागय छी’ कहि सकैत छथि, ओ आशीर्वाद माँगि सकैत छथि, मुदा एहिठामक नेता सब हिन्दी मे बाजि नरेन्द्र मोदी केँ सुनेबा लेल बेसी आतूर देखाइत छथि। कारण मंत्री पद केर दाबी पास हेबाक चाही। एतुका जनता आ ओकर भावना केर विभक्त रूप सँ तऽ ओ सब परिचित छथिये। के पूछैत अछि एहि घमर्थन करयवला जनमानस केँ?