मिथिलावादी राजनीतिकर्मीक एकताक प्रयास लेल मिथिला समागम: परिणाम ढाकक तीन पात

विशेष संपादकीय

मिथिला राज्यक माँग, मिथिलाक समग्र विकास आ मैथिल जनमानस मे राजनैतिक जनचेतनाक प्रसार केर अन्तिम उपलब्धिक वास्ते अलग-अलग धर आ समूह मे बँटल आन्दोलनी केँ एकजुट करबाक पुण्य विचार सँ आयोजित मिथिला समागम, मधुबनी केर सन्दर्भ!!

mithila samagam samaroh1व्यथा कथाक उद्घोषक आ सीता पर रामक दुराचार केर भावना समेटनिहार – मैथिली तथा हिन्दी कवि आ गीतकार उमाकान्त झा बक्शी द्वारा कैल गेल आह्वान ‘मिथिला समागम’ अन्त मे वैह ‘ढाक केर तीन पात’ बनिकय कार्यक्रम समापनक संगहि संपन्न भऽ गेल।

सरोकारवालाक न्यून सहभागिता सँ ई पूर्णरूपेण असफल प्रमाणित भेल। जाहि ठाम आयोजन भेल छल कम सँ कम ओतुको सर्वदलीय समावेशी राजनैतिक-सामाजिक कार्यकर्ता केँ आमंत्रण कैल जाइत तऽ शायद एकटा अधिवेशनक रूप मे ई कार्यक्रम अपूर्व सफलता पबैत। मुदा गोटेक चोरूक्का काज मे माहिर मिथिलावादी नेतृत्वकर्ताक आउटडेटेड योजना-प्रारूप सँ ई कार्यक्रम अपेक्षा सँ अत्यन्त न्यून स्तरक भेल।

फेसबुक पर सक्रिय अनेकानेक प्रचारबाजो लोकनि जँ एहि मे बैढ-चैढकय सहभागी बनैत तऽ एकटा परिणाममूखी उपलब्धि भेटैत। मुदा पहिने सँ बुझल एकमात्र जमीन पर काज कय रहल संस्था ‘अखिल भारतीय मिथिला पार्टी’ अपन नीक सहभागिता दैत येन-केन-प्रकारेन एहि परिकल्पना केँ साकार केलनि, ओ सब धन्यवादक पात्र छथि, यैह प्रमाणित भेल।

जरुरतो वास्तव मे अभामिपा केँ छैक, कारण ई पार्टी जमीन पर काज करबा हेतु अपन जी-जान लगौने अछि। दुइ दिनक कार्यक्रम मे पहिल दिन करीब ४० जन विभिन्न संस्थाक प्रतिनिधि एलाह, दोसर दिन सेहो २०-२२ गोटे रहलाह। पहिल दिन विचार-विमर्श ततेक गंभीरता सँ भेल जे ११ बजे सँ शुरु कार्यक्रम रातिक ९ बजे तक चलल। धरि ठोस योजना कि बनल से नहिये आयोजक केँ पता छन्हि आ नहिये एहि मे सहभागिता देनिहार प्रतिनिधि लोकनि केँ, मुदा ७२ वर्षक उमेर मे कोलकाता सँ आबि मिथिलाक मूलभूमि पर प्रयास केलनि ताहि वास्ते ओ अत्यन्त सराहना आ प्रशंसाक पात्र अवश्ये भेला

mithila samagam samarohएहि समागम केर परिकल्पनाकार आ मुख्य संयोजक उमाकान्त झा बक्शी केर अपनहि एक लेटेस्ट रचना जे वास्तव मे समागमे वास्ते लिखलो गेल छल: ‘मिथिला-मैथिलीक आन्दोलन अछि खड-खड मे टूटल। नेता सबके वाक् युद्ध और जनता छथि सूतल॥’ पूर्णरूपेण एहि समागम मे सेहो यैह भेल।

उद्देश्य रहल जे कोना मिथिलाक मुद्दा लेल राजनैतिक एकजुटता चाही तऽ ओहि मे एकटा फूकास्टर संस्थाक मधुबनी इन्चार्ज ‘मंचासीन अतिथि’ कार्यक्रमक उद्देश्य आ विषय सँ इतर ‘शराबबंदीक आवश्यकता’ पर अपन संबोधन करैत सभाक ध्यान ओहि दिशामे कार्य करबाल लेल आकृष्ट केलनि।

ओतहि एक दोसर प्रतिनिधि राइज फर मिथिला सँ सनसेट करबाक भरपूर कूचेष्टा पैछले वर्ष झंझारपुर संसदीय चुनावकाल मे कएनिहार आ घोषणा पर घोषणा टा कएनिहार प्रतिनिधि कहलैन जे ‘मैथिल कियो नहि, सब अपन-अपन जातीय अहंकार मे डूबल…. मिथिलाक हितैषी बनबाक स्वांग टा कैल जा रहल अछि।’

मुण्डे-मुण्डे मतिर्भिन्ना! जे मैथिल केर स्वभाव होइत छैक ताहि सँ कनिको इतर कोनो योजनाबद्ध आ प्रासंगिक वार्ता कतहु नहि छल एहि समागम मे।

mithila samagam samaroh2अखिल भारतीय मिथिला पार्टीक राष्ट्रीय संयोजक रत्नेश्वर झा सहित राज्य संयोजक सदरे आलम खान, महासचिव अरविन्द कुमार झा, महिला नेत्री लोकनि आ खास मे खास बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र सँ उम्मीदवारी देनिहार बीरबल यादव, मुजफ्फरपुर सँ संजय मिश्रा, बिठौली सँ श्याम झा, संजय मंडल व अन्य केर उपस्थिति सँ ई समागम अपन विषय आ उद्देश्य दुनू कायम राखि सकल। यैह पार्टीक पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आ वयोवृद्ध मिथिलावादी नेता वर्तमान मे आदर्श मिथिला पार्टी सँ आबद्ध सुधीरनाथ मिश्र केर खास उपस्थिति आ विभिन्न प्रकारक सल्लाह-संयोजन मे संपन्न ई कार्यक्रम विषय आ लक्ष्य केँ स्थापित करबा मे आंशिक सफलता जरुर हासिल केलक। मैथिली तथा मिथिला लेल अपन जीवन समर्पित कएनिहार अत्यन्त अनुभवी अभियानी प्रो. उदय शंकर मिश्र आ कमलेश झा केर उपस्थिति सँ एहि कार्यक्रमक महत्व बढल।

संगहि प्रो. मिश्र समान प्रखर प्रवक्ताक व्याख्यान सँ उपस्थित प्रतिनिधि लोकनि भरपूर मातृभूमि-स्नेह उत्पन्न कए सकलाह। धरि ई नहि स्पष्ट भेल जे मिथिलाक्षेत्र मे कुल कतेक सीट पर गठबंधन कम सँ कम अहु दुइ दल मे भेल। कार्यक्रम मे डा. धनाकर ठाकुर केर अनुपस्थिति अपने आप मे एकटा गंभीर सवाल ठाढ कय देलक जेकर चर्चा बेर-बेर होइत रहल। डा. ठाकुर केर जिद्द आ ‘एकोहं द्वितियोनास्ति’ केर सिद्धान्त सँ कतेको लोक आहत भेल छथि, आ फेर ई भय बनले रहि गेल जे आखिर अभामिपा आ आमिपा मे समुचित गठबंधन बनैत कोनो क्षेत्र सँ मात्र एक्के टा उम्मीदवार चुनाव मे लड़त

कार्यक्रमक पहिल दिनक अन्त मे रत्नेश्वर झा अपन फेसबुक स्टेटस सँ जानकारी करौलनि जे अभामिपा केर पूर्वक निर्णय १२९ विधानसभा क्षेत्र सँ एहि पार्टीक उम्मीदवार चुनाव लड़त ताहि मे सँ ओ मात्र ६५ सीट पर चुनाव लड़ब आ बाकी ६४ सीट मिथिला लेल कार्य कएनिहार अन्य राजनीतिक दल लेल छोड़ि देब ई प्रस्ताव समागम मार्फत रखबाक बात कहलनि। ओ ईहो कहला जे एहि मे मिथिलांचल मुक्ति मोर्चा तथा मिथिलांचल विकास पार्टी सँ हुनका कोनो तालमेल नहि भेलनि अछि। स्पष्ट हो जे एहि कार्यक्रम मे एहि दुओ दलक कोनो सहभागिता नहि देखायल। मैथिली जिन्दाबाद हिनका संग सम्पर्क करैत विस्तृत प्रतिक्रिया मंगलक जे ट्रेन मे यात्रा समाप्ति पर आइ सँ दुइ दिन पहिनहि पठेबाक बात कहने छलाह, मुदा तेहेन कोनो जानकारी एखन धरि नहि देलनि अछि।

मुदा उमाकान्त झा बक्शी संग दोसर दिनक कार्यक्रम प्रारंभ होइ सँ पूर्वहि पहिल दिनुका कार्यक्रमक उपलब्धि पर दूरभाष पर कैल गेल चर्चा मे हुनकर प्रस्तावना पर कोनो निर्णय समागम द्वारा नहि हेबाक बात कहलनि। संगहि, दोसर दिनक कार्यक्रमक मार्फत कोनो घोषणापत्र आ ठोस रणनीति बनबैत जमीन पर कार्य आरम्भ कैल जायत तेकर जबाब मे बस गोल-मटोल कामचलाऊ टाइप जबाब भेटल जे ‘देखू, ओ सबटा हेतैक। समापन सत्र धरि ई सब निर्णय लेल जायत।’

पहिल दिनुका कार्यक्रमक कोनो प्रेस विज्ञप्ति आदि हो तऽ उपलब्ध कराउ, तेकर जबाब भेटल जे प्रभात खबड़ आ हिन्दुस्तान पत्रिका आदि मे समाचार प्रकाशित अछि ओहि माध्यम सँ ग्रहण करय पड़त कारण व्यस्तताक चलते फेसबुक मार्फत ई सब देबा मे असमर्थ छलाह। बाद मे फेसबुक मार्फत कवितात्मक शैली मे समागम केर समाचार देलनि: “१८ जन संगठन के एक स्वर मे उद्घोष। मिथिलावादी पार्टीक पक्ष मे एक-एक वोट॥”

पुन: श्री बक्शी जी अपन जीवनक एक अभूतपूर्व प्रयास आ मनक भावना केँ एकटा क्रान्तिगीत सँ एना समेटने छथि जे सच मे मिथिलाक जन-जन केर स्वर हेबाक चाही:

मिथिला क्रांति गीत
===========
मिथिला बासी करू बिचार।
सब दिन ठकलक छलिया नेता, पटना – दिल्ली के सरकार।
मिथिला सब दिन रहल अन्हार।।
मिथिला बासी करू बिचार।
——————————
नई सिंचाई के कोनो व्यवस्था, ने रोज़ी के साधन।
मिथिला चारागाह बनौलक झूठ फूस आस्वाशन।
जाति धर्म पर वोट मंगई छै सब नेता गद्दार।
मिथिला सब दिन रहल अन्हार।।
मिथिला बासी करू बिचार।
—————————–
मिथिलाबासीक तूँ तूँ मै मै, आ आपस के ईर्ष्या द्वेष।
देखि कनै छथि माय मैथिली और हसै अछि देस विदेश।
मिलिकय सब लडिऔ चुनाव मिलिकय मांंगू अधिकार।
मिथिला सब दिन रहल अन्हार।।
मिथिला बासी करू बिचार।
—————————-
अरसठि वरख बीत गेल औरो सहब ने आब उपेक्षा।
अपन एकता के बल पर हम करबै अप्पन रक्षा।
मिथिला के हम दीप जरबै माँ मैथिली केर पुकार।
आब ने मिथिला रहत अन्हार।
मिथिला बासी करू बिचार।
================================

ताहि उपरान्त श्री बक्शी जी स्वस्फूर्त अपन जे प्रतिक्रिया देलनि ओ काफी नकारात्मक आ निराशाजनक लागल। ओ लिखलनि जे किछु लोक एकर असफलताक प्रतीक्षा मे आ बेसी लोक सफलताक कामना कय रहल छलाह। एकताक दीप जरबय मे मिथिला समागम सफल भेल। एहेन नकारात्मक टिप्पणी कियैक आ एना निराशाक शिकार बनि ‘किछु लोक’ वला दाकियानूसी-झाडफानूसी प्रवृत्तिक प्रतिक्रिया संयोजनकर्ताक तरफ सँ नहि हेबाक चाही ई कहला पर उमाकान्त झा बक्शी मानू जेना अपन मोन भीतरक हमरा प्रति पीड़ा आ पूर्वाग्रह केँ रोकि नहि सकलाह आ हमरो पर वैह आरोप लागल जे हुनकर एहि प्रयास सँ हम सेहो असन्तुष्ट पक्ष रही आ असफलताक इन्तजार मे रही। समाचार सविस्तार मंगबाक अपन कर्तब्यनिर्वहन लेल सेहो हुनकर कोपभाजन बनय पड़ल – एतेक बेचैनी कियैक अछि प्रवीण नारायण जी – आदि सुनय पड़ि गेल। बाद मे फेर ओ अपन प्रतिक्रिया सँ निराशाक सीमा पार करैत देखेलाह जखन लिखलनि जे ‘मैथिली जिन्दाबाद केर ढोल फूटि गेल…’। हमरा तथापि हिनकर मिथिला-मैथिली प्रति निरंतर क्रियाशीलता पर गर्व अछि आ सदिखन रहत, खोरनाठी लऽ के खोरय मे बच्चे सँ माहिर प्रवीण सेहो समुचित प्रतिक्रिया जगहे पर देलकैन, ई सब चलिते रहैत छैक, मैथिल केर खंडी बुद्धिक होयब ओकरा सबहक स्वभाव मे होइत छैक। बुढ भेन्ने कि!

आम तौर पर यैह प्रचलित छैक जे मिथिलाक मुद्दा पर अपन राय सँ ऊपर आम राय कोना बनत ताहि लेल आपसी सहमति रहितो मोनक क्लेश केर कारण धरातल पर कहियो चलिये नहि पबैत छैक आ फेर आपसे मे एक-दोसर पर व्यक्तिगत थाल फेका-फेकी आ शब्दवाण केर हुराहुरी शुरु भऽ जाइत छैक मैथिलजन मे। राज्यक आवश्यकता पर सबहक अलग-अलग राय, कियो विकासक आवश्यकता लेल संघर्षक बात कहत तऽ कियो मिथिलावाद राजनीतिकर्ता लेल समर्थनक बात करत – एहि तरहें सजग समाज मे जखन स्वस्फूर्त विभाजन चरम पर छैक तऽ अनुगामी समाज जे श्रेष्ठक आचरण सँ अपन कर्म-कर्तब्यक निर्धारण करैत छैक ओकर निर्णय कतेक मैथिली-मिथिला सँ प्रभावित हेतैक ई स्वत: अनुमान लगाबय योग्य छैक। जरुरत एक्के टा छैक, लोकतंत्र मे सदा लोक संग सरोकार बढाउ, लोकमानस मे विषय केँ स्थापित करू। जहिया जनभावना मे मिथिला राज्यक मुद्दा प्रवेश पाबि जायत तेकर बाद कि नेता आ कि अभिनेता…. राज्यक निर्माण करने बिना भौगोलिक दृष्टिकोण सँ अत्यन्त मर्मस्पर्शी भारतीय भूभाग यानि मिथिला केँ राज्य सहित ओ सब अधिकार सौंपय पड़तैक भारत सरकार केँ जे कोनो मिथिलावासीक माँग रहतैक! बस जनभावना मे मिथिलाक प्रवेश आ जन-जन मे मैथिलपन केर भान!! यैह थिकैक कार्य वर्तमान!!