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भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंहक बयान केँ गलत रूप सँ पेश कैल गेल: पत्रकार गंभीर बनैथ

विचार-विमर्श

नेपाल-भारत मित्रता: अति-प्राचीन जनस्तरीय संबंधक मूलभूत आधार

rajnath singh३० अगस्त, २०१५ – दूरदर्शन केर बिहार चैनल यानि डीडी बिहार पर चैल रहल एकटा निरंतर विचार-विमर्शमूलक “भारत नेपाल मैत्री के बढते कदम’ कार्यक्रम मे “खुली सीमा क्षेत्र और भारत नेपाल” विषयक वार्ता मे विशेषज्ञक रूप मे मोरंग आधारित व्यवसायीक संघक प्रतिनिधिक रूप मे हमर सहभागिता भेल छल। वरिष्ठ पत्रकार श्री विकास कुमार झा द्वारा एहि कार्यक्रमक संचालन कैल गेल छल, ओत्तहि भारत-नेपाल मैत्रीपूर्ण संबंध केर विशेषज्ञ श्री भैरव लाल दास तथा युवा पत्रकार सुमन कुमार केर सेहो एहि वार्ता मे सहभागिता छल। करीब आधा घंटाक एहि वार्ता मे बहुते रास महत्वपूर्ण विन्दु पर आपसी चर्चा अछि। बुध दिन ४ सँ ५ बजे संध्याकाल मे एकर प्रसारण होएबाक अछि डीडी बिहार चैनल पर।
खुला सीमा सँ रोजगारक अवसर दुनू देशक नागरिक केँ एक-दोसराक भूमि पर प्राप्त होइत छैक। रोजगारक अतिरिक्त लगानीकर्ताक लेल सेहो पूँजी लगानी करैत उद्योगक विकास सँ आरो लोक लेल रोजगारक अवसर उत्पन्न करबाक अवसर खुलेआम प्राप्त होइत छैक। शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, व्यवसाय… हरेक विकास हेतु वांछित सरोकार मे खुला सीमा सँ दुनू राष्ट्र केँ लाभ पहुँचैत छैक। भारत आ नेपालक आदिकाल सँ एहेन सुमधुर संबंध रहलैक अछि जे दुनू देश मे रहनिहार जनमानसक भाषा आ संस्कृतिक संग आपसी वैवाहिक संबंध सेहो बेरोकटोक कायम होइत रहलैक अछि। जेना महानन्दा सँ गंडकी धरिक मिथिला संस्कृति सीमाक आर-पार विद्यमान् छैक, तहिना अबध – काशीक संस्कृति सीमाक आर-पार विद्यमान् छैक। तहिना पूब मे गोरखा आ सिक्किम केर संस्कृति दुनू पार छैक तऽ पश्चिम मे गढवाल आ टिहरी केर संस्कृति दुनू कात विद्यमान् छैक। कुल १८५० किलोमीटर केर एहि लंबा खुला सीमाना मे दुनू कात अपने लोक केर रहनाय मे ‘खुला सीमाना’ अत्यन्त स्वाभाविक आ अनिवार्य रूप मे आवश्यक वाँछा सेहो छैक।
ठीक एकर बिपरीत उत्तरी सीमा जे लगभग १४०० किलोमीटर लंबा छैक ओ हिमालीक्षेत्रक दुर्गम ऊँचाई आ आवोहवा-आवरजात आ मानव जीवन केर संभावनाविहीन होएबाक कारणे विरले दुनू कातक लोक केँ जोड़ि पबैत छैक। यदा-कदा गोटेक प्रजाति तैयो दुनू कातक बरोबरि छैक, तिब्बत मूलक लोक केर भाषा आ संस्कृति सँ नेपालक किछेक जनजातिक भाषा आ संस्कृति मेल खाइत छैक, मुदा ई ओतेक फलीभूत नहि हेबाक कारण दुनू कातक सीमा सेहो बंधित छैक। भारत आ चीन संग समदूरस्थ राजनैतिक संबंधक ओकालति केनिहार ताहि कारण नेपाल मे आइ धरि सफल नहि भऽ सकल अछि। किछेक गूट वा पक्ष द्वारा भारत विरोधी नारा आ आवाज सेहो कहियो एतय प्रश्रय नहि पाबि सकल अछि, कारण जनमानस केर हृदय मे प्रेम आ सद्भावना एतेक भरल छैक जे कोनो प्रकारक शक्ति ओकरा आपस मे अलग नहि कय सकैत छैक। यैह कारण सँ नेपाल आ भारत बीच ‘बेटी-रोटीक संबंध’ आ ‘जनस्तरीय संबंध’ कहल गेलैक अछि जे सनातन मित्रताक आधार थिकैक।
परसू भारतीय गृहमंत्रीक महाराजगंज (उत्तर-प्रदेश) मे एसएसबी पोस्ट केर उद्घाटन हेतु कैल गेल दौरा पर एकटा पत्रकार ‘पियुष श्रीवास्तव’ द्वारा बनौआ समाचार, जे अक्सर भारतीय मिडियाक शैली मे देखल जाइत छैक, तेहने अपरिपक्व आ बनौआ समाचार प्रकाश मे आयल। भारत-नेपालक सनातन मैत्रीक बुनियाद सँ पूर्ण अपरिचित ओहि पत्रकार द्वारा लिखल गेल मुताबिक माननीय राजनाथ सिंह नेपाल मे चलि रहल आन्दोलनक सन्दर्भ कहल गेलैक जे भारतक ध्यान एहि तरफ छैक, ओतय भारतक जनताक रक्षा लेल भारत सदैव तत्पर रहत। एतबा नहि, स्वयं राजनाथजीक शब्द मे उक्ति राखैत कहल गेल छैक जे ‘एक करोड़ भारतीय केर सुरक्षा भारतक जिम्मेवारी छैक’। आब ई एक करोड़ भारतीय के? जेकरा नेपाल मे मधेशी कहल जाइत छैक, जेकरा सच मे पित्त-राजनीति केनिहार आ किछु एहि तरहक लोक जे नेपाल केँ अपन जागिरदारीक देश मानैत छैक तेकरा द्वारा सेहो मधेशी केँ भारतीय मूलक मानल जाइत छैक, मुदा अपन मूल भगौड़ा भारतीय होएबाक बात केँ दरकिनार करैत शासकवर्गक होएबाक कारणे चर्चो मे नहि अबैत छैक। तऽ कि भारतीय गृहमंत्री सेहो ओहि किछु गोटाक मानसिकता अनुरूप अपन खूफिया विभागक बात पढलैन जे एक करोड़ मधेशी केँ भारतीय होएबाक भावुकता प्रकट केलनि? ई असंभव छैक। कारण मधेश भूमि कोना आ कहिया सँ नेपालदेशक भाग बनलैक एकर इतिहास छैक। फेर एतुका वासिन्दा कोना भारतीय? जखन भूमि नेपालक तऽ वासिन्दा कोना भारतक? कि भूमि राजा-महाराजा द्वारा जीतल जाइत छैक, प्रजाकेँ ओतय सँ उपटा देल जाइत छैक? यथार्थत: भारतीय गृहमंत्री भारतक कूटनैतिक बयान जे नेपाल मे चलि रहल गतिविधि पर भारतक नजैर चौकन्नापूर्ण तौरपर अछि आ एतय रोजगारक वास्ते आयल भारतीय नागरिक केर जीवन संकट मे नहि पड़ैक ताहि लेल सेहो ध्यान दय रहल अछि से कहलैन। मुदा पत्रकार जे आरो बहुते आधारहीन आ मूल्यहीन बात सब भारत-नेपालक सन्दर्भ आ वर्तमान मधेशी आन्दोलनक सन्दर्भ मे ओही रिपोर्ट मे लिखने छथि, हुनकर निजी अल्प अध्ययन सँ ठाढ एकटा विवाद टा छी। लेकिन नेपाल मे राष्ट्रीय मिडिया सब केँ सेहो मसालेदार समाचार भेटिते ओकरा एतेक जोरदार फोकस भेटैत छैक तेकर चर्चा जन-जन द्वारा कैल जाइत छैक। ई फेब्रिकेटेड न्युज एहि ठामक लीड न्युज बनि गेल आ एहि कारण नेपालक मूल वासिन्दा मधेशी सहित संपूर्ण नेपाली जनमानस मे एकटा नकारात्मक प्रचार भेल।
मैथिली जिन्दाबादक संपादक केर रूप मे एहि लेल एकटा पत्र सेहो लिखल गेल:
HM Rajnath Singh’s statement as released in India Today (mailtoday) by some journalist Piyush Shrivastav seems a total nonsense by relating the so called madheshis as Indians – it really endorses the bad feelings being created by some of the racists in Nepal. Madhesh which is part of Nepal after Sugauli Pact with British India and the people inhabiting this area is the original residents and these journalists of India focusing to write on Nepal movement must learn something from history. How such arrogant statement from HM is claimed to have given the 1 crore madheshis are indians….., also he has written more on the ongoing movement with citizenship conflict for which the madheshis are fighting with GoN. I request to pay attention on this.
तहिना भारतीय राजदूतावास केर ध्यान सेहो स्वाभाविके रूप मे पहुँचल आ उपयुक्त स्पष्टीकरण विज्ञप्ति मार्फत नेपाली मिडिया केँ देल जा सकल। आइ काठमांडु पोस्ट पर समाचार पढि प्रसन्नता भेल जे भारत आ नेपाल बीच अपरिपक्व टिप्पणी वा आलेखक कोनो स्थान नहि छैक। एकटा पत्रकारक अपरिपक्व पत्रकारिता सँ आखिर दुइ देशक संबंध आ जनमानस पर कोना असर पड़ि सकैत अछि। धन्यवाद ज्ञापन करैत भारतीय राजदूतावास केँ पुन: एकटा विचारमूलक अभिव्यक्ति पठाओल गेल अछि। हमर दावा अछि जे मैथिली भाषा आ मिथिला संस्कृति जे दुनू देशक साझा भाषा-संस्कृति मे सँ एक अछि, एकर महत्वपूर्ण भूमिका सँ ई भारत-नेपाल मैत्री सदैव जिन्दाबाद रहत। बाकी समस्त संचारक शब्द निम्न अछि:
“Indian Home Minister denies making ‘one crore Indians in Nepal’ remark
The Embassy of India has said its attention has been drawn to a media report appeared in the India Today quoting India\’s Home Minister Rajnath Singh
kathmandupost.ekantipur.com”
“This has pleased us. Thanks.
We must understand that the original inhabiting people to Terai had their own principalities before unification of Nepal – even the unification has a strong reason of supporting the Shah dynasty of Gorkha. The Hindus on Northern side of Ganga always given high trust to the people who protected the cow. Go raksha – Gorakha! It stood for protecting Hinduism. The King was given trust to tighten the security on banks of Ganga so that the Yavans don’t succeed in invading this area. Giyasuddin’s attacks and finally overpowering the Mithila zone (Vajji federal states) and several other attacks from Bengal’s side on these principalities naturally developed a unity with King of Hills who also claimed to have trained armies – Gorkha Armies. History is evident of how Gorkha and Tirhutiya Armies developed a joint frontier to protect these areas. Later British also fought with them and it is said that they duly defeated to the then rulers. And then comes the Sugauli Pact – 1816. Again the 1857 episode at Lucknow – and support extended to British by the Gorkha Armies then and on that basis Nepali rulers were finally given the decision on border demarcation in 1860 and thereafter by resolving several disputes on border issues. Still there exist some of the areas in dispute for which PM of India also addressed. PM’s line was really very stronger, as I thought of, to make specialists group from civilians’ societies from both the countries who can mutually resolve. Now, since federalism is being established here, let all those principalities that existed independent in Bharatvarsha including that of Nepal, enjoy their self-rule and autonomy. This will be of course a natural justice. Border now in control of India and Nepal remain as it is. But it must be kept open for always. People to people relation must remain as stronger and free as it exists today. Maithili language and Mithila’s ancient culture that dominated these areas must be thanked for such strong friendly ties between two nations. Let people never feel that the international border is going to be as painful as happened in Bangladesh and Pakistan to the people of Bengla and Punjabi lingual and cultural origin. Madhesh or Madheshi issues also going to get resolved by these natural justices. No people from Hills or anywhere can ever deny the dominance of Mithila between the two nations. King Janak and his capital Janakpur is today in Nepal, however three-fourth of the Mithila now lies in India and one-fourth lies in Nepal. How can we imagine to divide them by a closed border? Similarly, Abadh, Koshal, Kashi, and other principalities which got divided between two nations by virtue of the Sugauli Pact – we cannot snatch their natural rights to remain in bonds of love and brotherhood. They are those who still maintain marriages and exchanges of harmonies of love and brotherhood. That is what called ‘betee-rotee ka sambandh’ and ‘people-to-people’ relations. On similar scale, the people of hills are common to both the countries – be it Garhwal region or Gorkha and Sikkim region of Western and Eastern borders of the two countries. There does not remain same essence on Northern border along Himalaya in length of 1400 Kms approx. So, the diplomacy of equidistant relations with India and China is absolutely flimsy and not practical. Hope, India’s diplomacy always remain on natural ties. All the best and help to end the present conflict in the nation and let federalism establish, be it on cost of keeping the Gorkha’s King ceremonial and Hindu Rashtra’s tag to Nepal. Please see a program: Open Border of India and Nepal, on DD Bihar tomorrow, around 4-5 pm. Truly yours, Pravin, Social, Cultural and Lingual Activist Biratnagar.”

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