राखी पर खास – विशेष अभिव्यक्ति आ खास-खास संदेशक संग

मैथिली जिन्दाबाद विशेष

सब पाठक लेल राखी सनक पवित्र भाइ-बहिनक पावैन पर हार्दिक शुभकामना। 

– मैथिली जिन्दाबाद

betee1आजुक दिन पर बेटीक महत्व स्वत: उजागर होइत छैक। हरेक भाइ अपन बहिन सँ राखी बन्हेबाक लेल जाइत अछि। रक्षा सूत्र केँ राखी मानल जाइत छैक। बहिन भाइ केर कलाई पर राखी बान्हि ईश्वर सँ प्रार्थना करैत अछि, भाइ केर दीर्घायू, सुस्वास्थ्य आ सुखी बनबाक लेल। तहिना भाइ सेहो अपन बहिनक दीर्घायू, स्वास्थ्य आ सुखी बनबाक मन सँ प्रार्थना करैत अछि। भाइ आ बहिनक बीच ई अटूट सम्बन्ध – आध्यात्मिक प्रेम सदैव जारी रहय, यैह इच्छा सर्वोपरि रहैत छैक।

आउ, मैथिली जिन्दाबाद पर आजुक विशेष दिन विभिन्न स्रोत सँ भेटल मूल्यवान् कथनी संकलन करी। अहाँ सब सँ निवेदन जे एकर प्रतिक्रिया बौक्स मे अहूँ सब नीक-नीक कोटेशन्स लिखिकय पठाउ।

सखि-बहिनपा ग्रुप सँ: श्रीमती रेणु झा द्वारा देल गेल फोटो आ कथन:

betee2बेटी नहि त पराई होइत अछि, और नहिये पराया धन!
कियैक कि धन तऽ खर्च भ जाइत अछि!
ई तऽ अनमोल मोती अछि, जे दू टा परिवार केँ एक टा माला मे जोइड कय रखने रहैत अछि!

हर बेटीक भाग्य मे पिता होइत अछि, मुदा हर पिताक भाग्य मे बेटी नहि होइत अछि!

सब भाइ-बहिन केँ राखीक शुभकामना!

– रेणु झा

शेखर सावंत, सुपरिचित हिन्दी-मैथिली लेखक केर किछु हिन्दी वाक्यांशक अनुवाद:

रक्षाबंधन केर शुभकामना!

बचपने सँ रक्षाबंधन केर दिन हमरा लेल बहुत हताश भरल दिन रहल अछि कियैक तऽ हमर कोनो अपन सहोदर बहिन नहि छल। जखन हम अपनहि बराबर उमेरक धियापुताक हाथपर सुन्दर-सुन्दर राखी बान्हल देखी तऽ माँ केर सोझाँ जाकय कानय लागी और पूछी जे हमर कोनो बहिन कियैक नहि अछि। माँ केँ कनिते कही जे बहिन आनू एखन जे हमरा राखी बान्हत।

माँ सेहो उदास भऽ जाइत छल। माँ कहैत छल, बेटा ई हमरा वश केर बात नहि छौक, आबे, हमहीं तोरा राखी बान्हि दैत छियौक। बड़ी रोला-धोलाक बाद माँ सँ राखी बन्हबा लैत रही हम। चन्दन-टीका सेहो लगबा लैत रही आ माँयेक हाथ सँ मिठाय सेहो खा लैत रही, लेकिन मन मे तऽ एकटा खुटका लगले रहैत छल।

rakhiहमरा हर अपन उम्रक लड़की मे अपन बहिन नजर आबय। एक बेर हम पड़ोसक एकटा बचिया सँ हिम्मत करैत कहलियैक – हमरा सेहो राखी बान्हि दे न! ओ कनि छितराइते कहलक – नहि बन्हबौ! हम अपने भाइ केँ बान्हब। ओहि दिन हम खूब कानल रही। कतेको वर्ष धरि माइये सँ राखी बन्हेलाक बाद हम राखी बन्हेनाय छोड़ि देलहुँ। कलाई सुन्न रहय लागल। धीरे-धीरे बचपन आ किशोरावस्था केँ पार करैथ हम जवानीक जीवन तक आबि गेल रही। तखन एकटा चमत्कार भेल। ईश्वरवादीक ईश्वर हमरा मदैद केला। हमरो एकटा बहिन भेट गेल। ओ बियाहल छली, एकटा डॉक्टर केर पत्नी। डॉक्टर साहेब केर तबादला हमरे शहर मे भेल छलनि। एक दिन हुनकर ससुर जे हमर पिता जी केर बचपनक दोस्त छलाह और रांची मे नौकरी करैत छलाह से बहुते वर्षक बाद हमरा ओतय एला आ हमर पिता सँ कहला – मित्र! हमर जमाय बाबुक एतहि ट्रांसफर भेलनि अछि। एतय तऽ हुनकर अभिभावक अहीं भेलहुँ। ओहि दिन सँ हुनका ओतय आबर-जात शुरू भेल। हम हुनकर पत्नी केँ दीदी कहय लगलहुँ। ओ बहुत स्नेह सँ राखी बान्हय लगली। तहिया सँ पच्चीस वर्ष भऽ गेल ओ हमरा राखी बान्हि रहली अछि। 

मुदा एहि बेर ओहो शहर सँ बाहर छथि। अपन बीमार बेटाक पास जमशेदपुर मे छथि। बीतलहबा साँझ हुनकर ड्राईवर एकटा लिफ़ाफ़ा मे राखी दऽ गेल अछि। लेकिन ओ सुस्वादु भोजन जे दीदी अपना हाथ सँ बनाकय बहुत प्रेम सँ खुअबैत छलीह से नसीब नहि होयत।

– शेखर सावंत

शेखर सावंत द्वारा कहल गेल उपरोक्ता प्रसंग पर हुनक एक मित्र कमलेश कंचन केर प्रतिक्रिया आ बहिनक बारे कटु अनुभूति:

आर हमरो हताशा सुनि ले…. चारि टा अपन बहिन छल, एकटा मैर गेल अछि, बाकी सब छोट बहिन सब अछि। बेटी जेकाँ पोसलहुँ, विवाह करेलहुँ, मुदा ओकरा सबकेँ ओ भाइ नीक लगैत छैक जेकरा पास दौलत (पैसा) छैक। तैँ आब हम राखी नहि बन्हबाबैत छी। 

– कमलेश कंचन

बौद्ध कृष्ण लाल कर्ण – एहि महान् पाबनिक आध्यात्मिक विस्तृत अर्थ मे भाइ-बहिन सँ सेहो ऊपर समस्त मानव समुदाय लेल रक्षा सूत्र बान्हबाक महामंत्र सहितक पोस्टर संग सबकेँ बधाई दैत कहलैन अछि:

येनबद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे माचल माचला:!!

अभय कुमार राई – मकालू टेलिविजन एंकर आ न्युज एडिटर अपन अपडेट सँ आजुक विशिष्ट दिवसक चर्चाक संग नेपालदेशक राजनैतिक अस्थिरता आ अराजकता सँ देशक रक्षा लेल सेहो संदेश देलनि अछि। ओ हिन्दूराष्ट्र केर माँग कएनिहार पर राजनीति टा मे हिन्दू धर्मक रक्षाक बात केनाय आ हिन्दू संस्कार केँ बचेबाक कोनो उपाय नहि केनिहार पर आक्रमण सेहो केलनि अछि। पढू:

लियऽ! डोरा बान्हबाक काज सम्पन्न भेल। मन मे खट्कल किछु बात जे हिन्दु राष्ट्रक नाम जपनिहार – नहि तऽ नागपञ्चमी मे नहिये तऽ डोरा बान्हबाक दिन, हमरा लोकनिक श्रद्धाक प्रतीक कहेनिहार कोनो पण्डित वा पुरहित किनको गाम-घर मे आयल नहि देखलहुँ। जे पहिने देखाइत छल। हे धर्मक नाम मे राज करबाक ताक मे रहल बंधु, अस्तित्व जोगेबाक, रीति-रिवाज जोगेबाक, कम सँ कम गाम-घर लेल वांछित व्यवहार पूरा करबाक लेल सम्बन्धित ब्यक्ति पूजो-पाठक दिन तऽ पहुँचाउ। अपन संस्कार जोगेबाक लेल आगाँ बढू। तखनहि कहल जा सकैत छैक, हिन्दु आर हिन्दूराष्ट्र। एतय तऽ सबटा खाली खोखला भाषण आर राजनीति करय लेल परैक गेल अछि। देखू! आन धर्म केर प्रचारक सात समुन्द्र पार करैत अंगना-अंगना पहुँचि रहल अछि। अन्यथा भ्रम नहि हुअय, डोरा हम मन्दिर पहुँचिकय लगेलहुँ अछि।

– अभय कुमार राई

विदेशी भूमि पर रोजगार हेतु गेल एकटा भाइ आ मैथिली युवा कवि प्रयास प्रेमी मैथिल अपन बहिन सब केँ ओत्तहि सँ अपन एक रचनाक मार्फत राखीक संदेश देलनि अछि:

” बिदेशीके रक्षा बन्धन “
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भाइ बहिनक महान पावैन
आयल रक्षा बन्धन
बहिनक यादमे बिदेशक भाइ सबहक
धडकि रहल अछि धड्कन!

महाजनक कर्जा सँ भऽ के तंग
एलौं मलेशिया सउदी कतार
बिदेशो मे रहैत बहिन हम
याद करै छी राखी त्योहार!

रेशम के काँच धागा जेकाँ
अछि भाइ बहिनक बन्धन
सदियों सँ मानी आयल
आइ अछि पावैन रक्षा बन्धन!

भाइ के लेल बहिन लऽ के आयल
मिठाइ संग राखी थारीमे
प्रेम सऽ भाइके मिठाइ खुवाबैत
बान्हय छथि राखी हाथके नाडीमे

– प्रयास प्रेमी मैथिल

हम, मैथिली जिन्दाबाद लेल प्रवीण सेहो अपने सबहक वास्ते राखीक हार्दिक मंगलमय शुभकामनाक संग एहि लेख केँ एत्तहि विराम दैत छी।

हरि: हर:!!