स्वाध्याय
संकलन: धर्म मार्ग
मान बडे मुनिवर गये, मान सबन को खाय॥१॥
धन-सम्पत्तिक माया सँ छुटकारा भेट गेल, मुदा दंभ एखन धरि छूटल नहि। ई मान तऽ एतेक खतरनाक होइत अछि जे कतेको मुनि तक केँ मट्टीपलीद कय देलक, ई सबकेँ खेनिहार होइत अछि।
जा सिर अहा जो संचरे, पडे चौरासी जाय॥२॥
कखनहु अभिमान नहि करू, कबीर बुझाकय कहलनि। जँ ई माथ पर सवार रहल तऽ चौड़ासी केर चक्कर यानि बेर-बेर अलग-अलग योनि मे जन्म लैत जन्म-मृत्युक चक्कर केर महान् दु:ख झेलहे टा पड़त।
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होए॥३॥
To One who prays in happiness, how sorrow can come.
जस द्वितीया का चन्द्रमा, शशि लहाय सब कोय॥५॥
सबसँ छोटे रहब ठीक अछि, छोट रहले सँ सब किछु होइत छैक। जेना द्वितिया केर चन्द्रमा केँ सब कियो प्रेम करैत छैक।
It is always better to be humble. Being humble is an effective way of getting results. The Moon of the second day ( after the no moon day) is loved by all.
का विष्नु का घटी गया, जो भृगु मारी लात ॥६॥
पैघ द्वारा क्षमा उचित अछि, छोट लेल उत्पात उचिते संभव अछि। विष्णुकेर किछु नहि घटलैन जखन भृगु लात मारने छलखिन।
Forgiveness befits the person who is great. One who is petty does something destructive. What is the loss incured by God Vishnu after receiving a blow from Maharishi Bhrugu.
जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय ॥८॥
जेहेन भोजन करब यानि अन्न खायब तेहने मन होयत। जेहेन पानि पीब तेहने वाणी होयत।
कर का मनका डारी दे , मन का मनका फेर॥९॥
: leave (give up) turning the bead in your hand, instead turn the bead in your heart (changing its attitude).
(धर्म-मार्गी शरद शर्मा)
हरी रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥१०॥
ओ मनुष्य आन्हर अछि जे गुरु कियो आर छी कहैत अछि। ईश्वर जँ रुसियो रहता तऽ गुरुक शरण कल्याण कय सकैत अछि, मुदा जँ गुरु केर अपमान करब तऽ ईश्वर कदापि शरण नहि देता।
दाना तो दुश्मन भला, मूर्ख का क्या मेल॥११॥
ताके अंग लगा रहे, मन में नहीं विकार॥१२॥
इस घर की यह रीत है, इक आवत इक जात॥१३॥
गाछ अपन पात सब सँ कहलक जे सुने पात – हमर बात, एहि घरक यैह रीत छैक जे एकटा आयत, दोसर जायत।
कहे कबीरा जस रहे, कर दे किसी का काम॥१४॥
न धन रहत, न जवानी रहत, न गाम न धाम… जे अछि ताहि सँ लोक-समाजक हित करैत चलू।