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संत कबीर आ हुनकर दोहा

संकलन: धर्म मार्ग

Kabir-1भारतवर्ष मे समय-समय पर एहेन तेजस्वी व्यक्तित्व लोकनिक जन्म भेल अछि जे वेद मे देल ईशक वचन केँ स्वत: प्रमाणित करैत अछि। भारत मे एक निश्चित समय केँ भक्ति आन्दोलन केर समय मानल जाइत अछि। जखन एहि भूमि पर यवन आक्रमण सँ सनातन धर्म भ्रष्ट होयबाक भ्रान्ति पसरय लागल, एक-दोसर मे यैह चर्चा आबि गेल जे आब लोक अपन धर्म केँ निर्वाह एहि यवन समान दुश्मनक सोझाँ नहि कय सकैत अछि, ताहि बिपरीत समय मे एक सँ बढिकय एक संत आ सज्जन समाज केँ अपन ओजस्वी वाणी सँ ईश्वरक एकरूपताक उपदेश केलनि, ओ सब मनुष्य केँ अपना भीतर निष्ठा आ सम्मान केँ बरकरार रखबाक लेल विभिन्न रूप सँ आत्मनिर्देशित होयबाक लेल प्रेरित केलनि। एहि पाँति मे कबीर केर नाम बहुत ऊपर मे लेल जाइछ। कबीर केर जन्म आ मृत्यु सँ जुड़ल बड रोचक कथा सब अछि, मुदा एतय संछेप मे एतबे कहय चाहब जे एकटा अनाथ कमलक फूल पर फेकल बच्चा केँ कोनो निपुत्र माता-पिता जे जोलहा जातिक मुसलमान छलाह वैह अपना घर मे पोसलैन आ कबीरक शिक्षा-दीक्षा रंगरेज नामक गुरु द्वारा भेलाक बाद कबीर केर अभिव्यक्ति साखी (दोहा) रूप मे प्रसिद्धि पाबय लागल। हुनक हजारों-लाखों अनुयायी बनि गेल।
(धर्म-मार्गी मनु)

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