नेपाल मे अप्रिय घटना: अनियंत्रित आन्दोलन केर दुष्परिणाम

नेतृत्वकर्ता मे विवेक केर गंभीर आवश्यकता

tharuhatनेपाल मे संविधान बनेबाक लगभग आखिर बेर मे प्रदेश (राज्य) बनेबाक सीमांकन केला पर असन्तुष्ट पक्ष द्वारा घोषित आन्दोलन सँ आइ करीब दसम दिन लगातार बन्दीक स्थिति बनल अछि। बाट, विद्यालय, बाजार, ब्यापार – संपूर्ण बन्दक बन्दी बनिकय सोझाँ आयल अछि। नेतृत्वकर्ता आ आन्दोलनकर्ता पक्ष बीच न कोनो वार्ता न कोनो समाधान केर स्थिति सँ आम जनमानस मे आरो असंतोष बढैत जा रहल अछि। अवस्था एहेन वीभत्स भऽ गेल अछि जे बन्दकर्ता आन्दोलनी आ सुरक्षाकर्मी प्रहरी बीच दुइ-तर्फा झड़प भयानक हिंसक बनि सोझाँ आबय लागल अछि। एहि सँ पूर्व भारदह मे आन्दोलनकारी प्रहरीक गोली सँ मारल गेल छल। भैरहवा मे सेहो एकटा आन्दोलनकर्मीक लाश भेटल छल। देशक विभिन्न तराई भूभाग मे थरुहट आ मधेश प्रदेश केर माँगक समर्थन मे अलग-अलग समूह द्वारा आन्दोलन जारी अछि। एहि आन्दोलन मे नेताक बात सुनल जाय तऽ शान्तिपूर्ण माँग करबाक अधिकार अन्तर्गत आन्दोलन जारी रहबाक बात अछि, जखन कि जनता मे व्याप्त असंतोष आ सुरक्षाकर्मी सबहक कर्तब्यनिष्ठ बनि सुरक्षा प्रदान करबाक लेल काज करबाक स्थिति मे द्वंद्व प्रवेश पाबि गेल अछि। एक तरफ सत्ताधारी काँग्रेस आ एमाले आ ताहि संग एमाओवादीक नेतृत्व मे पहाड़ी शासकवर्गक पूर्व दमनमूलक मानसिकता आ दोसर दिशि कमजोर विपक्ष मधेशवादी दल तथा राजनीतिकर्मी नेतृत्वकर्ताक मन मे बैसल अविश्वास चरम पर पहुँचि जेबाक कारण आन्दोलन नितान्त अराजक आ अनियंत्रित रूप मे बढैत देखा रहल अछि। नहिये सत्ताधारी नेतृत्व मे कोनो विवेक, नहिये आन्दोलनकारी मे कोनो विवेक देशहित मे काज करैत बुझाइत अछि, ताहि कारण ई अराजक अवस्था दिन-ब-दिन बिस्फोटक भेल जा रहल अछि। खोखला भरोसा जे आन्दोलनकारीक भावनाकेँ संबोधन कैल जायत, आ खोखला – ढकोसलापूर्ण जिद्द सँ समाधान ताकबाक नियत आन्दोलनकेर तथाकथित नेतृत्वकारीक देखाइत अछि। देशक गृहमंत्री सदन मे बजैत छथि जे पता नहि आगाँ केहन अवस्था मे देश प्रवेश करत। अनिश्चितताक एहेन अंधकारमय अवस्था कोना नियंत्रित होयत, ताहि लेल कियो जिम्मेवार नहि देखा रहल अछि। देश मे मधेशी आ पहाड़ी जनमानस बीच सेहो एहि वातावरण सँ एकटा गंभीर सांप्रदायिक दूरी बनैत देखा रहल अछि। मानवाधिकारकर्मी आ अन्तर्राष्ट्रीय समुदायक हस्तक्षेप – राष्ट्रसंघीय निकायक हस्तक्षेप केर समय प्रत्यक्ष देखाय लागल अछि। नेपाल मे विद्यमान् अनिश्चितता केँ संबोधन करबाक लेल शीघ्रातिशीघ्र कोनो डेग लेब जरुरी अछि, नहि तऽ वास्तवमे ई मुलुक दुर्घटनाक अनिश्चित चक्र मे फँसि जायत, यैह भय व्याप्त अछि।

आइ, कैलालीक टीकापुर मे आन्दोलनकारी आ सुरक्षाकर्मी बीच द्वंद्व भिड़न्तक कारण लगभग १७ प्रहरी अधिकार तथा जवान मारल गेल ओत्तहि ३ टा आन्दोलनकर्मीक मृत्युक खबैड़ अछि। आन्दोलनकारी सब हाथ मे छूड़ा, भाला, गड़ाँस, आदि घातक घरेलू हथियार सहित पेट्रोल बम आदिक संग सुनियोजित ढंग सँ सुरक्षाकर्मी पर आक्रमण केलक, ई बात देशक गृहमंत्री अपन बयान मे कहलैन अछि। स्थानीय संवाददाता लोकनिक मुताबिक सुरक्षा प्रहरी द्वारा निषेधाज्ञा जारी केलाक बाद आन्दोलनकारी सब पूर्ण योजनाक संग ओहि निषेधाज्ञा केँ ध्वस्त करबाक लेल हथियार सँ लैस होइत ‘मरब-मारब’ समान अत्यन्त दुखद आ निन्दनीय तैयारीक संग द्वंद्व भिड़न्त केलक। प्रतिक्रियास्वरूप देशक आन भाग मे सेहो स्थिति तनावपूर्ण बनि गेल अछि। एहेन अवस्थाक सृजन राजनीतिकर्मीक हरमूठाई सँ भेल मुदा नियंत्रण करबाक विवेक कतय सँ आओत एकर कोनो निस्तुकी नहि अछि। कोनो देश मे नव संवैधानिक स्वरूप केर स्थापना लेल असंतोष तऽ होइते छैक, मुदा कम-बेसी कय सब नागरिक केँ अधिकारसंपन्न बनेबाक लेल विवेकक प्रयोग केने बिना नेपाल मे शान्ति नहि आबि सकैत अछि। अनिश्चित बन्दी कोनो बातक समाधान नहि हेतैक, वार्ता आ पूर्व समझौताक सम्मान जरुरी छैक।