मैथिलीक प्रवास आन्दोलनक एक अध्यायक अन्त: सत्यानन्द पाठक केँ श्रद्धाञ्जलि

किसलय कृष्ण, सहरसा। अगस्त २१, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

satyanand pathak1दिन कटाउन लगैय’ ….राति भयाउन लगैय’…अहाँ बिनु जिनगी जेना काँट केर हार…..कोनो चर्चित गीतकारक ई पाँति मोन पड़ि रहल अछि आइ पाठकजी बिनु….. जिनका मोनमे दरेग छल अपन माटि, मनुक्ख आ मातृभाषा प्रति, जिनका आँखिमे सिनेह छल अपन अनुजपीढ़ी प्रति, जिनक हाथमे लेखनी छल हिन्दी पत्रकारिता मे नव किर्तीमान गढ़बाक लेल आ मैथिली साहित्यक भंडारकेँ समृद्ध करबाक लेल, वाणीमे प्रखरता छल मिथिला आन्दोलन लेल आ हृदय मे सीताक प्रति सदैव समर्पण । से सीताक जन्म स्थली सीतामढ़ी जिलाक चोरौतमे जन्म लेनिहार,बंगालक सिलीगुड़ीमे शिक्षा ग्रहण केनिहार आ उतरपूर्वक गुवाहाटीमे पत्रकारिताक झंडाबरदार सत्यानन्द पाठक आइ अन्तरिक्षमे विलीन भ गेलाह दैहिक रुपे, मुदा आत्मिक रुपे सतत ओ जीबैत रहताह मैथिली साहित्य मे, मिथिला आन्दोलनमे ।

हुनक ग्राम्य प्रेमक साक्षात दर्शन हुनक उपन्यास गाम गेल छलहुँ मे भेटैत अछि । आरम्भमे ओ गुवाहाटी सँ प्रकाशित मिथिला सांस्कृतिक समन्वय समितिक पत्रिका पूर्वोत्तर मैथिल केर सम्पादन केलनि त’ चेतना समिति गुवाहाटीक स्थापना बाद मैथिल समाजक सम्पादक भ गेलाह ई हुनक मातृभाषा प्रेम छल । ओ उत्तर पूर्व केर हिन्दी पत्रकारिताक सम्मानित नाम छलाह । गुवाहाटी सँ प्रकाशित हिन्दीक नम्बर वन अखबार दैनिक पूर्वोदयक सम्पादक पाठकजी देश बिदेसमे घटैत मैथिली गतिविधिकेँ अवश्य समेटैत छलाह अपन अखबारमे । आब इएह चिन्ता सता रहल अछि जे हुनक अधूरा काज सभकेँ के पूरा करत । ओ त मैथिली आन्दोलनक एक अध्याय छलाह …..!

हार्दिक श्रद्धाञ्जलि सुमनक संग विशेष संस्मरण

१७ अगस्त, २०१५क साँझ, मोबाइलक रिंगटोन बजैत अछि….. रिसीव क कान लग दैत छी…. “किसलय कतय छी? २६ दिसम्बर लेल प्रोग्राम तय करु गुवाहाटी लेल । विदापत नाचक टीम सेहो चाही, शेष अहाँ तय कय लेब आ बीचमे आबू गुवाहाटी …… अध्यक्ष महोदय त नहिए रहला…. एहि बेरक कार्यक्रम हुनके स्मृति केँ समर्पित रहत ।” ई फोन छल मैथिलीक साहित्यकार, सम्पादक आ हिन्दी पत्रकारिताक उत्तरपूर्व मे ध्वजवाहक चौरौत, सीतामढ़ी वासी सत्यानन्द पाठक जी केर…..

साइते कोनो सप्ताह होयत जे हुनक स्नेहिल फोन नइ आयल हुअय । चेतना समिति गुवाहाटी केर संस्थापक, पहिने पूर्वोत्तर मैथिल आ पुन: मैथिल समाजक सम्पादक, दैनिक पूर्वोदयक सम्पादक, गाम गेल छलहुँक सरल उपन्यासकार, अनुवादक, परमस्नेही हमरा लेल पितृवत सिनेह राखय वला व्यक्तित्व ओना विदा भ जेताह, विश्वासे नहि भ रहल अछि ।

कतेक राग उपराग देलियनि ओइ दिन । किछुए दिन पहिने त चेतना समिति गुवाहाटीक अध्यक्ष मनोज वर्मा जी विदा भ गेल छलाह एहि लोकसँ…. पाठक सर त हुनका मोन पाड़बाक संगहि समारोहमे अपन दू पोथी लोकार्पणक वचन देने छलथि । सपरिवार कामाख्या दर्शन लेल आमंत्रण सेहो । नहि ओ ओना नहि जा सकैत छथि…. ओ त सदिखन संग रहताह…. अपन अक्षर संग…. मुदा फोन पर के पूछत…. किसलय… आर्थिक स्थिति केहेन अछि? ….. मैथिली आन्दोलनक वर्तमान स्थिति बताबू….. अजित कतय छथि ?….. चुन्नूजी के कहू….. एहि बेर अहाँ संग काठमान्डु चलब…. बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे…..छाड़इत निकट नयन बह नीरे😐 …..श्रद्धांजलि सर…..!!